OSIRIS-REx Mission: एस्टेरॉयड की पृथ्वी से टक्कर को रोकने के लिए NASA ने वैज्ञानिक को दिए 1 अरब डॉलर, जानें ये दिलचस्प कहानी
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OSIRIS-REx Mission: एस्टेरॉयड की पृथ्वी से टक्कर को रोकने के लिए NASA ने वैज्ञानिक को दिए 1 अरब डॉलर, जानें ये दिलचस्प कहानी

NASA Mission: हमारे सौरमंडल की सबसे खतरनाक चट्टान एस्टेरॉयड बेन्नु है. यह एक एयरक्राफ्ट करियर जितना विशाल है. बेन्नू को 11 सितंबर, 1999 को MIT में लिंकन प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने खोजा था. 

OSIRIS-REx Mission: एस्टेरॉयड की पृथ्वी से टक्कर को रोकने के लिए NASA ने वैज्ञानिक को दिए 1 अरब डॉलर, जानें ये दिलचस्प कहानी

Asteroid Bennu: भविष्य में होने वाले एक संभावित एस्टेरॉयड टकराव को रोकने के मकसद से लॉन्च किए गए नासा के अरबों डॉलर के मिशन की रोमांचक कहानी अब दुनिया के सामने आई है. वैज्ञानिक दांते लॉरेटा की किताब, ‘द एस्टेरॉयड हंटर: ए साइंटिस्ट्स जर्नी टू द डॉन ऑफ अवर सोलर सिस्टम’ इस मिशन के बारे में विस्तार से बताते हैं.

ये कहानी काफी हद तक 1998 की हॉलीवुड फिल्म Armageddon से मिलती जुलती है. ​ मिशन के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर के रूप में लॉरेटा,  इस हाई रिस्क वाले ऑपरेशन का किताब में प्रत्यक्ष विवरण प्रदान करते हैं.  

डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक किताब न केवल मिशन के वैज्ञानिक और तकनीकी पहलुओं की पड़ताल करती है बल्कि इस ऐतिहासिक मिशन के पीछे की मानवीय भावना और सामूहिक प्रयास पर भी प्रकाश डालता है.

हमारे सौरमंडल की सबसे खतरनाक चट्टान एस्टेरॉयड बेन्नु है. यह एक एयरक्राफ्ट करियर जितना विशाल है. यह हमारे सौर मंडल की सबसे अंधेरी वस्तुओं में से एक है. इसकी सतह पर चमकने वाले सूर्य के प्रकाश का केवल के छोटा हिस्सा ही रिफ्लेक्ट होता है. अधिकांश अन्य एस्टेरॉयड पांच गुना अधिक रिफ्लेक्ट होते हैं.

यदि हमारी दुनिया ने इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया तो यह 24 सितंबर, 2182 को,  36 मैक या 27,000 मील प्रति घंटे के वेग से पृथ्वी की सतह से टकराएगा. यह टक्कर ऐसी होगी जैसे एक एक मालगाड़ी ग्रह से टकराए.

नासा ने दांते लॉरेटा को सौंपा जिम्मा
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक 2011 में,  नासा ने इस खतरे का सामना करने का जिम्मा वैज्ञानिक दांते लॉरेटा को सौंपा. नासा ने उन्हें मिशन के लिए एक बड़ी रकम दी. वह बताते हैं, ‘2011 में, नासा ने मुझे इसे पूरा करने के लिए एक अरब डॉलर का पुरस्कार दिया.

मिशन का मकसद न केवल एस्टेरॉयड पर एक अंतरिक्ष यान भेजना था बल्कि उसका एक टुकड़ा पृथ्वी पर वापस लाना भी था.

1999 में हुई थी बेन्नू की खोज
बेन्नू को 11 सितंबर, 1999 को MIT में लिंकन प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने खोजा था. एस्टेरॉड की काली, कार्बन युक्त सतह से संकेत मिलता है कि इसमें जीवन की उत्पत्ति और रहने योग्य दुनिया के गठन को समझने की कुंजी हो सकती है. अरबों साल पहले, बेन्नू जैसे एस्टेरॉयड पृथ्वी पर महत्वपूर्ण कार्बनिक यौगिक लाए होंगे जिससे जीवन के विकास को बढ़ावा मिला.

क्या होगा अगर बेन्नू पृथ्वी से टकराए
यदि बेन्नू पृथ्वी से टकराता है, तो यह पूरे इतिहास में किए गए सभी परमाणु परीक्षणों की संयुक्त शक्ति से अधिक विस्फोट करेगा, जिससे चार मील चौड़ा गड्ढा बन जाएगा और विनाशकारी पर्यावरणीय और मानवीय संकटों की एक श्रृंखला प्रतिक्रिया शुरू हो जाएगी.

OSIRIS-REx मिशन ने दिखाई उम्मीद की किरण
ऐसे गंभीर खतरे के सामने, OSIRIS-REx मिशन ने दुनिया को उम्मीद की किरण दिखाई है. यह मिशन,  तनाव और आखिरकार जीत हासिल करने की कहानी है जिसमें बेन्नू के बीहड़ इलाके पर अंतरिक्ष यान की सफल लैंडिंग शामिल थी.

मिशन का मुख्य आकर्षण सटीक ऑपरेशन था जहां अंतरिक्ष यान के टच-एंड-गो सैंपल एक्विजिशन मैकेनिज्म (टीएजीएसएएम) ने एस्टेरॉड की सतह के साथ संपर्क बनाया, जो चिंता और उत्तेजना से भरा क्षण था.

क्या था OSIRIS-REx मिशन

OSIRIS-REx को 8 सितंबर 2016 को लॉन्च किया गया था. 22 सितंबर 2017 को पृथ्वी के पास से उड़ान भरी और 3 दिसंबर 2018 को बेन्नू के साथ मुलाकात हुई.

इसने अगले दो साल सतह का विश्लेषण करने में बिताए ताकि एक उपयुक्त साइट ढूंढी जा सके जहां से नमूना निकाला जा सके.

20 अक्टूबर 2020 को, OSIRIS-REx ने बेन्नु को छुआ और सफलतापूर्वक एक नमूना इक्ट्ठा किया. 

OSIRIS-REx ने 10 मई 2021 को बेन्नू को छोड़ दिया और 24 सितंबर 2023 को अपना नमूना पृथ्वी पर लाया.

मिशन की अहमियत
यह मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण के इतिहास में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में खड़ा है, जो हमारे ग्रह को अलौकिक खतरों से बचाने के मानवता के संकल्प का प्रतीक है.

यह प्रारंभिक सौर मंडल की हमारी समझ में एक महत्वपूर्ण छलांग का भी प्रतीक है, जो ऐसे सुराग देता है जो हमारे ब्रह्मांडीय पड़ोस के गठन और विकास के रहस्यों को उजागर कर सकते हैं.

यह ऐतिहासिक कोशिश न केवल हमारे सौर मंडल में छिपे संभावित खतरों की तरफ ध्यान दिलाती है बल्कि हमारे ग्रह और प्रजातियों के भविष्य की सुरक्षा करते हुए इन चुनौतियों का डटकर सामना करने की हमारी बढ़ती क्षमताओं को भी दर्शाती है.

(फोटो - प्रतीकात्मक)

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