Bilawal Bhutto: पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ने पीएम की रेस से हटने और पाकिस्तान की नई सरकार को बाहर से समर्थन करने का फैसला किया है, लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ जिस वजह से बिलावल इसके लिए तैयार हो गए?
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Why Bilawal Bhutto out of PM Race: पाकिस्तान में 8 फरवरी को हुए आम चुनाव के बाद सरकार गठन का रास्ता लगभग साफ हो गया है. नए फॉर्मूले के तहत शहबाज शरीफ पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री होंगे. नवाज शरीफ ने खुद शहबाज को पार्टी की ओर से पीएम पद के लिए नॉमिनेट किया है. नई सरकार के लिए बिलावल भुट्टो भी तैयार हैं और वो सरकार का हिस्सा नहीं होंगे, बल्कि बाहर से समर्थन करेंगे. इतना ही नहीं, अब तक प्रधानमंत्री बनने पर डटे बिलावल इससे भी पीछे हट गए हैं. लेकिन, अचानक ऐसा क्या हुआ कि बिलावल, सरकार को बाहर से समर्थन करने और पीएम की रेस से हटने के लिए तैयार हो गए?
PM की रेस से हटने के लिए बिलावल भुट्टो क्यों हुए तैयार?
पाकिस्तान के इस पूरे सियासी समीकरण में किंगमेकर की भूमिका में नजर आ रहे बिलावल भुट्टो अब तक किंगमेकर की बजाय किंग की भूमिका में आना चाहते थे. पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम यानी प्रधानमंत्री बनना चाहते थे. लेकिन, अब वो बाहर से शहबाज शरीफ को समर्थन देने के लिए तैयार हो गए हैं. इसके पीछे की वजह है कि वो अपने पिता आसिफ अली जरदारी को पाकिस्तान का राष्ट्रपति बनाना चाहते हैं. उनकी पार्टी पीपीपी ने साफ किया है कि वो आसिफ अली जरदारी को नया राष्ट्रपति बनाने का प्रस्ताव आगे बढ़ा रहे हैं.
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने मंगलवार को कहा कि वह चाहते हैं कि उनके पिता आसिफ अली जरदारी को फिर से राष्ट्रपति बनाया जाए. प्रधानमंत्री पद की दौड़ से हटने की घोषणा करते हुए बिलावल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पीपीपी, नई सरकार का हिस्सा बने बिना, पीएमएल-एन का समर्थन करेगी. हालांकि, वह अपने पिता आसिफ अली जरदारी को अगले राष्ट्रपति के रूप में देखना चाहते हैं.
2008 से 2013 तक राष्ट्रपति रहे थे जरदारी
बता दें कि आसिफ अली जरदारी अभी 68 साल के हैं और एक बार फिर उनके राष्ट्रपति बनते का रास्ता साफ हो गया है, क्योंकि पाकिस्तान के मौजूदा राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी अगले महीने अपना पद छोड़ने वाले हैं. बता दें कि दिवंगत प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के पति जरदारी 2008 से 2013 तक राष्ट्रपति रह चुके हैं.
बिलावल भुट्टो ने कहा, 'मैं यह इसलिए नहीं कह रहा हूं, क्योंकि वह मेरे पिता हैं. मैं यह इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि देश इस समय भारी संकट में है और अगर कोई इस आग को बुझा सकता है तो वह आसिफ अली जरदारी हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'पीपीपी ने फैसला किया है कि हम संघीय सरकार में शामिल होने में असमर्थ हैं या इसकी स्थिति में नहीं हैं और हम ऐसी व्यवस्था में मंत्रालय लेने में दिलचस्पी नहीं लेंगे. लेकिन, हम देश में राजनीतिक अराजकता भी नहीं देखना चाहते हैं.'
नेशनल असेंबली में किसको मिली कितनी सीटें
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 336 सीटें हैं, जिनमें से 266 सीटों पर चुनाव होते हैं. जबकि, अन्य 60 सीट महिलाओं के लिए और 10 अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं और ये जीतने वाले दलों को आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर आवंटित की जाती हैं. इस बार 255 सीटों पर ही चुनाव हुए हैं, क्योंकि बाजौर में, हमले में एक उम्मीदवार की मौत हो जाने के बाद एक सीट पर मतदान स्थगित कर दिया गया था.
265 सीटों पर हुए चुनाव में इमरान खान की PTI समर्थित 101 निर्दलीयों ने जीत दर्ज की है. वहीं, नवाज शरीफ की PMLN को 77 सीट मिली है. तीसरे पर बिलावल भुट्टो की PPP है, जिसने 54 सीटों पर जीत दर्ज की है. इसके बाद चौथे नंबर अलताफ हुसैन की MQM-P है, जिसके पास 17 सीटें हैं. नई सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 265 सीट में से 133 सीट चाहिए.