VPN in Pakistan: सारी दुनिया टेक्नोलॉजी पर आधारित हो रही है लेकिन हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान ने वीपीएन जैसी सुविधा को गैर इस्लामी करार दिया है. पाकिस्तान की इस्लामिक विचारधारा परिषद ने कहा है कि यह गुनाहों वाले काम करने में मदद करता है.
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Pakistan: पाकिस्तान की इस्लामिक विचारधारा परिषद (सीआईआई) ने वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क यानी वीपीएन के इस्तेमाल को गैर-इस्लामी करार दिया है. इसके अलावा सीआईआई ने 'अनैतिक और ईशनिंदा' वाली सामग्री तक पहुंच को रोकने के लिए कोई भी कदम उठाने के लिए सरकार का समर्थन किया है. पाकिस्तान में लाखों इंटरनेट यूजर वीपीएन का इस्तेमाल करते हैं, खासकर तब जब सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रतिबंध लगा दी है. सीआईआई के चेयरमैन रागिब नईमी ने कहा कि अनैतिक या आपत्तिजनक कंटेट तक पहुंच पर पाबंदी लगाना इस्लाम के सिद्धांतों के मुताबिक है. उन्होंने कहा कि पाबंदियों को दरकिनार करने या प्रतिबंधित वेबसाइटों तक पहुंचने के लिए वीपीएन का इस्तेमाल इस्लामिक लॉ के तहत अस्वीकार्य है.
नईमी ने कहा कि वीपीएन यूजर्स को अपनी पहचान और स्थान छिपाने की इजाज़त देती है, जिससे अक्सर सरकार की तरफ से प्रतिबंधित वेबसाइट्स तक पहुंच मिलती है. इस्लामी कानून में किसी भी कार्रवाई की अनुमति उसके मकसद और तरीके पर निर्भर करती है. उन्होंने कहा कि वीपीएन यूजर की पहचान छिपाने के कारण डिजिटल चोरी समेत अवैध गतिविधियों को बढ़ावा दे सकता है, जो इस्लामी और सामाजिक कानूनों का उल्लंघन है. वीपीएन का इस्तेमाल गुनाहों में यानी गलत कामों में मदद करता है, जो इस्लामी नैतिकता के खिलाफ है.
वीपीएन के इस्तेमाल पर सीआईआई की तरफ से यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान दूरसंचार प्राधिकरण (पीटीए) की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान से बड़े पैमाने पर अनुचित, यौन और ऐसे कंटेंट तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है जिस पर पाबंदी लगी हुई है. पाकिस्तान दूरसंचार प्राधिकरण की मानें तो पाकिस्तानियों की तरफ से वीपीएन का इस्तेमाल करके प्रतिबंधित वेबसाइटों तक पहुंचने के लिए कम से कम पांच अरब प्रयास किए गए हैं.
दूसरी तरफ, सरकार का कहना है कि वह सोशल मीडिया वेबसाइटों और वीपीएन नेटवर्कों को रजिस्टर्ड करने के अमल में है और देश में गैर रजिस्टर्ड वीपीएन का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगी. सरकार का यह भी कहना है कि वीपीएन का इतने बड़े पर इस्तेमाल इंटरनेट कनेक्शन की कम बैंडविड्थ का एक कारण है. इसमें यह भी खुलासा हुआ कि आतंकवादियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल गलत सूचना, फर्जी खबरें, फर्जी दावे फैलाने और यहां तक कि देश में अपनी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के बारे में शेखी बघारने के लिए किया है, जिसके चलते अधिकारियों को कार्रवाई करनी पड़ी और ऐसे सभी तत्वों की पहुंच को रोकना पड़ा.
इंटरनेट कनेक्शन पर अंकुश लगाने और फायरवॉल तैनात करके सोशल मीडिया के इस्तेमाल को कंट्रोल करने के सरकार के कदम की पाकिस्तानी नागरिकों ने कड़ी आलोचना की है और दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने इसे चुनौती दी है. माना जाता है कि सीआईआई का ताजा बयान निश्चित रूप से पाकिस्तान में वीपीएन, इंटरनेट और सोशल मीडिया तक पहुंच के खिलाफ सरकार की नीतियों को और अधिक मजबूती देगा.
इनपुट-आईएएनएस