Zakir Naik: पाकिस्तान में कट्टरपंथियों और आतंकियों के बीच गठजोड़ की नीव रखी जा चुकी है. पाकिस्तान की यात्रा कर जाकिर नाइक ने इस गठजोड़ की शुरुआत की है.
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Zakir Naik: पाकिस्तान में कट्टरपंथियों और आतंकियों के बीच गठजोड़ की नीव रखी जा चुकी है. पाकिस्तान की यात्रा कर जाकिर नाइक ने इस गठजोड़ की शुरुआत की है. 15 सितंबर को लाहौर के एक होटल में आयोजित एक कार्यक्रम ने पाकिस्तान में कट्टरपंथी विचारधाराओं और आतंकवादियों के बीच बढ़ते संबंधों की परतें खोल दीं. इस कार्यक्रम की तस्वीर सामने आने के बाद पाकिस्तान में जाकिर नाइक की यात्रा का मकसद सामने आ चुका है.
इस कार्यक्रम में भगोड़े इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक को आमंत्रित किया गया था. जिसका स्वागत करने वाला पहला व्यक्ति मुजम्मिल हाशमी था. हाशमी, जो लश्कर-ए-तैयबा का एक सक्रिय सदस्य है, हाफिज सईद के साथ हाथ मिलाते हुए नजर आया. यह तस्वीर इस बात की पुष्टि करती है कि कट्टरपंथी संगठनों के बीच एक नए प्रकार की सहमति या गठजोड़ बन रहा है.
सूत्रों के अनुसार, इस मुलाकात में लश्कर का कमांडर हारिस डार भी शामिल था, जो आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तानी सरकार की नीतियों के सवालों के बीच एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. ऐसे में यह समझना मुश्किल नहीं है कि लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों को एक राजनीतिक मंच पर लाने का प्रयास किया जा रहा है.
यही नहीं, लाहौर के उसी होटल में हाफिज सईद की एक और महत्वपूर्ण मुलाकात अब्दुल वाहिद के साथ हुई. जो पहले लश्कर का कमांडर रह चुका है और वर्तमान में पाकिस्तान मिल्ली मुस्लिम लीग का नेता है.
यह घटनाक्रम न केवल आतंकवादियों और कट्टरपंथियों के बीच एक नए संबंध को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि पाकिस्तान की सरकार और सिस्टम ऐसे तत्वों को एक मंच पर लाने के लिए सक्रिय हैं. इस प्रकार की गतिविधियां यह दर्शाती हैं कि किस प्रकार कट्टरपंथी विचारधाराएं और आतंकवादी संगठन एक नई दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. जाकिर नाइक की यात्रा का उद्देश्य स्पष्ट है: कट्टरपंथ को सामान्य बनाना और इसे एक वैध राजनीतिक संदर्भ में प्रस्तुत करना.
इस स्थिति ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता को बढ़ा दिया है, क्योंकि यह न केवल पाकिस्तान के आंतरिक मामलों को प्रभावित करता है, बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति पर भी सवाल उठाता है. ऐसे समय में जब वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ जंग जारी है, पाकिस्तान का यह कदम निश्चित रूप से चिंता का विषय है. ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस प्रकार के गठजोड़ों के खिलाफ ठोस कदम उठाएगा या नहीं.