Sheikh Hasina: शेख हसीना के खिलाफ दर्ज 49 मामलों में हत्या के 40, मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार के सात, अपहरण का एक...और BNP के जुलूस पर हमले का एक केस शामिल है । शेख हसीना के खिलाफ एक के बाद एक..हत्याओँ के केस दर्ज करने पीछे का मकसद शेख हसीना को सद्दाम हुसैन की तरह सजा दिलवाना है.
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Bangladesh news: बांग्लादेश में अब कट्टरपंथियों की ही सरकार चल रही है..तो उनके ही रोल मॉडल अब वहां राज करेंगे...जाकिर नाइक भी उनमें से एक है...जिसकी कट्टरपंथी सोच से प्रेरित बांग्लादेश की कट्टरपंथी सरकार अब शेख हसीना के पीछे पड़ गई है. क्या अब बांग्लादेश में शेख हसीना के साथ भी सद्दाम हुसैन जैसा सलूक होगा? क्या बांग्लादेश की अंतरिम सरकार शेख हसीना के खिलाफ नरसंहार का मुकदमा चलाएगी? क्या सद्दाम हुसैन की तरह शेख हसीना को भी मौत की सजा सुना दी जाएगी? ये बड़े सवाल हैं.
असल में ये कोई काल्पनिक सवाल नहीं है..क्योंकि जिस तरह रोजाना..बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ हत्या समेत संगीन अपराधों के केस दर्ज हो रहे हैं...वो इसी तरफ इशारा करते हैं. पिछले दस दिनों में बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ 49 FIR दर्ज हुईं हैं. अकेले गुरुवार को ही शेख हसीना पर सात केस दर्ज हुए हैं..
शेख हसीना के खिलाफ दर्ज 49 मामलों में हत्या के 40, मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार के सात, अपहरण का एक...और BNP के जुलूस पर हमले का एक केस शामिल है. शेख हसीना के खिलाफ एक के बाद एक..हत्याओँ के केस दर्ज करने पीछे का मकसद शेख हसीना को सद्दाम हुसैन की तरह सजा दिलवाना है.
सद्दाम हुसैन पर भी मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार के आरोपों का मुकदमा चलाया गया था. शेख हसीना पर भी इन्हीं आरोपों में मुकदमे दर्ज किये गये हैं. इराक में सद्दाम हुसैन को 1982 में हुए एक नरसंहार के अपराध में फांसी की सजा सुनाई गई थी. शेख हसीना पर भी 2013 में एक प्रदर्शन के दौरान 27 लोगों के नरसंहार का केस दर्ज हुआ है.
शेख हसीना के खिलाफ इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल में अब तक चार मामले दर्ज हो चुके हैं. इन चार मामलों में तीन मामले..छात्र आंदोलन में हुई हिंसा और उसमें हुईं मौतों से जुड़े हैं..जो अंतरिम सरकार की Planning का पार्ट है..वो प्लानिंग जो शेख हसीना को सजा दिलवाने के लिए की गई है. शेख हसीना के खिलाफ केस चलाने और सजा सुनाने के लिए जरूरी है कि शेख हसीना को भारत से वापस बांग्लादेश लाया जाए. इसके लिए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कोशिश शुरु कर दी है...और अब बांग्लादेश में शेख हसीना भगौड़ा घोषित हो चुकी हैं.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना का राजनयिक पासपोर्ट रद्द कर दिया है. बांग्लादेश के आंतरिक मंत्रालय ने कहा है कि हसीना किसी पद पर नहीं हैं, ऐसे में वो राजनयिक पासपोर्ट की हकदार नहीं हैं. भारतीय वीजा नियमों के मुताबिक राजनयिक पासपोर्ट के साथ शेख हसीना सिर्फ 45 दिन भारत में रह सकती हैं. लेकिन राजनयिक पासपोर्ट रद्द होने की वजह से शेख हसीना को वापस बांग्लादेश भेजना पड़ सकता है.
अब बांग्लादेश की सरकार कभी भी भारत सरकार से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर सकती है. शेख हसीना को भारत में शरण लिए हुए 18 दिन हो चुके हैं. ऐसे में सवाल ये है कि क्या शेख हसीना को वापस बांग्लादेश जाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा? बांग्लादेश और भारत के बीच वर्ष 2013 में प्रत्यर्पण समझौता हुआ था. इसमें कहा गया है कि अगर कोई अपराध राजनीति से जुड़ा है तो ऐसे मामलों में प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है.
लेकिन हत्या, अपहरण, बम विस्फोट और आतंकवाद जैसे अपराधों के आरोपी का प्रत्यर्पण करने से इंकार नहीं किया जा सकता. पिछले दो हफ्तों के दौरान बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ हत्या..नरसंहार..अपहरण जैसे संगीन अपराध दर्ज किये गये हैं..जिनको राजनीतिक बताकर खारिज करना भारत के लिए मुश्किल हो सकता है.
क्योंकि प्रत्यर्पण संधि में ये भी प्रावधान है कि शेख हसीना के प्रत्यर्पण का अनुरोध करते समय बांग्लादेश सरकार को शेख हसीना पर लगे आरोपों से जुड़े सबूत पेश करने की जरूर नहीं है. सिर्फ बांग्लादेश की अदालतों से शेख हसीना के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वॉरंट के आधार पर प्रत्यर्पण का अनुरोध किया जा सकता है.
यानी शेख हसीना ने बांग्लादेश के भगौड़ों को वापस बांग्लादेश लाने के लिए भारत से की थी..अब वही प्रत्यर्पण संधि..शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ा सकती है...ये बात बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और भारत सरकार के बीच तल्खी को और ज्यादा बढ़ा भी सकती है..