नई दिल्लीः Aaj Ka Panchang: आज आषाढ़ पूर्णिमा है. आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को आषाढ़ पूर्णिमा कहा जाता है. इस दिन व्रत रखने, भगवान विष्णु की पूजा करने, सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने और चंद्रमा की पूजा करने का विधान है. पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और ब्राह्मणों को दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है. जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा का दोष होता है, वे आज के दिन ज्योतिष उपाय करके उसे दोष से मुक्ति पा सकते हैं.
आज का पंचांग
आषाढ़ - शुक्ल पक्ष - पूर्णिमा - बुधवार
नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र
महत्वपूर्ण योग - इंद्र योग
चंद्रमा का धनु के उपरांत मकर राशि पर संचरण
आज का शुभ मुहूर्त - 07.07 बजे से 08.31 बजे तक
राहु काल- 12.32 बजे से 02.12 बजे तक
त्योहार- पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, व्यास पूजा, सत्य व्रत
आषाढ़ पूर्णिमा व्रत 2022 चंद्रोदय
आषाढ़ पूर्णिमा व्रत के दिन चंद्रोदय रात 08 बजकर 59 मिनट पर होगा
चंद्र दोष उपाय
1. जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा का दोष हो, वे आज चंद्र देव की पूजा करें और उनके बीज मंत्र का जाप करें. इससे आपको लाभ होगा.
2. चंद्र दोष से मुक्ति के लिए आप पूर्णिमा को स्नान के बाद किसी गरीब ब्राह्मण को सफेद वस्त्र, चावल, शक्कर, दूध, सफेद मिठाई, चांदी, मोती आदि का दान कर सकते हैं. यह भी लाभकारी उपाय है.
3. चंद्र द्रोष निवारण का सबसे उत्तम और आसान उपाय है भगवान शिव की आराधना करना. शिव कृपा से भी चंद्र दोष दूर हो सकता है.
जानिए गुरु पूर्णिमा का महत्व
हिंदू धर्म के अनुयायियों के बीच पूर्णिमा तिथि का विशेष स्थान है. इस तिथि को भगवान विष्णु की सच्चे मन से विधि-पूर्वक पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है. जब यह पूर्णिमा तिथि आषाढ़ महीने में होती है, तो इसे गुरु पूर्णिमा कहते हैं. इस पूर्णिमा के दिन अर्थात आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु महर्षि व्यास जी का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं.
इससे आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. वेदव्यास जी ने ही पहली बार चारों वेदों का ज्ञान दिया था. इसलिए महर्षि व्यास जी को पहले गुरु की उपाधि दी गई है.
कहते हैं कि इस दिन भगवान शिव की उपासना करें. गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. अपने गुरु या उनके चित्र को सामने रखकर उपासना करें. पूर्णिमा पर एक समय भोजन करना चाहिए और चंद्रमा या भगवान सत्यनारायण का व्रत करना चाहिए. साथ ही समृद्धि और पद-प्रतिष्ठा भी मिलती है.
गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए
पांच मिट्टी के छोटे-छोटे पात्र में गाय का कच्चा दूध और उसमें बताशा या पेड़ा रख दें. आज सायंकाल चंद्रमा दिखाई देने के बाद उसे चंद्र देवता को समर्पित करते हुए सभी पात्रों के सामने एक-एक घी का एक दीपक जला दें. अगले दिन सुबह उस पात्र में दूध बचा हुआ तो उसे फलदार वृक्ष की जड़ में डाल दें. ओर उस पात्र को नदी में प्रवाहित कर दें.
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