नई दिल्ली: ब्रह्मा वैवर्त पुराण के अनुसार, रमा एकादशी व्रत का पालन करके व्यक्ति अपने पिछले पापों से मुक्ति पा सकता है. भक्त जो इस दिन भगवान विष्णु की महिमा सुनते हैं, मोक्ष प्राप्त करते हैं. इस व्रत को करने से प्राप्त गुण कई अश्वमेध यज्ञों और राजसुय यज्ञों द्वारा किए गए गुणों से कहीं अधिक हैं. भक्त जो इस उपवास का पालन समर्पण और श्रद्धा से करते हैं वे अपने जीवन में भारी सफलता प्राप्त करने में सक्षम होते हैं.
पुराणों के मुताबिक रमा एकादशी व्रत से कामधेनु और चिंतामणि के समान फल मिलता है. इस व्रत को करने से समृद्धि और संपन्नता बढ़ती है. इस व्रत से लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं. पद्म पुराण का कहना है कि रमा एकादशी व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा भी मिलती है. जिसके प्रभाव से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं और मृत्यु के बाद विष्णु लोक मिलता है.
इस दिन नहीं खाना चाहिए चावल
एकादशी व्रत के दिन चावल का सेवन करने की मनाही होती है. मान्यता यह है कि एकादशी के दिन पानी की अधिक मात्रा वाले खाद्य पदार्थों को नहीं खाना चाहिए. क्योंकि पानी अस्थिरता से जुड़ा होता है. चावल की खेती के दौरान पानी सबसे महत्वपूर्ण होता है और चंद्रमा भी पानी को आकर्षित करता है. यदि व्रत रखने वाला एकादशी के दिन चावल का सेवन करता है तो चंद्रमा की किरणें उसके मन पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं. ऐसे में व्यक्ति के लिए व्रत पूरा करना कठिन हो सकता है.
क्या कहता है विष्णु पुराण?
विष्णु पुराण में कहा गया है कि एकादशी के दिन चावल खाने से व्यक्ति के सभी गुण समाप्त हो जाते हैं क्योंकि चावल मुख्य रूप से भगवान का भोजन है. इसलिए जहां तक हो सके एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित करें ताकि किसी भी पाप से बचा जा सके.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)
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