नई दिल्लीः नीतीश कुमार ने रविवार को 9वीं बार बिहार के सीएम पद की शपथ ली. राजभवन में आयोजित इस समारोह में जय श्री राम और मोदी-मोदी के नारे भी लगे. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई बीजेपी नेता भी इस कार्यक्रम में पहुंचे हैं. सीएम नीतीश के अलावा सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने भी शपथ ली है.
जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने खुद को एक ऐसे नेता के रूप में स्थापित किया है, जिन्होंने सबसे लंबे समय तक बिहार में शासन किया, जबकि उनकी पार्टी कभी भी अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई. इस उपलब्धि के पीछे छिपा हुआ तथ्य और उनका राजनीतिक कौशल यह है कि नीतीश (72) कभी भी अपने सहयोगियों के साथ सहज नहीं रह सके, जिसके कारण उन्हें कई बार साझेदार बदलने पड़े.
केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने रविवार को जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) अध्यक्ष नीतीश कुमार के भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल होने के फैसले का स्वागत करते हुए इसे ‘देर आए दुरुस्त आए’ करार दिया. केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री ने कहा कि कुमार ने राजग का हिस्सा बनने का सही समय पर सही फैसला किया.
इससे पहले दिन में, कुमार ने यह कहते हुए बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया कि महागठबंधन और विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) में उनके लिए ‘चीजें अच्छी तरह से काम नहीं कर रही थीं’. नीतीश ने भाजपा के साथ नयी सरकार बनाने का दावा पेश किया, जिसे उन्होंने 18 महीने से भी कम समय पहले खारिज कर दिया था. आठवले ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने नीतीश जी से कहा था कि वह राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू यादव के साथ नहीं जाएं क्योंकि वे आपके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करेंगे. लेकिन देर आए दुरुस्त आए... मैंने उनसे कहा था कि (नरेन्द्र) मोदी जी के साथ जुड़ जाएं... अब उन्होंने सही निर्णय लिया है, इसलिए मैं उन्हें धन्यवाद दे रहा हूं.
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