नई दिल्ली: World Cancer Day: ‘कैंसर’ नाम सुनते ही मन में डर बैठ जाता है क्यों कि आपने कई लोगो को सही समय पर इलाज न मिलने के कारण कैंसर से हारते हुए देखा है. मानव शरीर में कई अनिगिनत कोशिकाएं होती हैं इनमें कई बार विभाजन होता रहता है और यह हमारे शरीर को नियंत्रित रखता है पर कभी-कभी यह कोशिकाएं बेहिसाब तरीके से बढ़ने लगती हैं और शरीर का नियंत्रण बिगड़ जाता है. उसे ही कैंसर कहा जाता है. इसी साल फरवरी में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा में बताया कि साल 2018 से 2020 के बीच देश में कैंसर के 40 लाख केस सामने आए. WHO के मुताबिक ज्यादा कैंसर होने वाले 172 देशों की सूची में भारत का स्थान 155वां हैं. कैंसर कई प्रकार के हैं पर इस समय होने वाले सबसे प्रमुख कैंसर की बात करें तो उनमे महिलाओं में होने वाले स्तन कैंसर आज कल तेजी से फैल रहा है. प्रोस्टेट कैंसर और लिम्फोमा कैंसर जिनके बारे में जानना व समय पर इलाज बहुत आवश्यक है.
स्तन कैंसर के बढ़ते मामले
डॉक्टर अतुल श्रीवास्तव, सीनियर कंसलटेंट, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल कहते है स्तन कैंसर के मामलों में देरी होने पर होने वाली मौतों की भी संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है. यह कैंसर स्तन की कोशिकाओं में पनपता है. स्तन कैंसर के कई कारण हो सकते हैं यदि मासिक धर्म में परिवर्तन हो जैसे- पीरियड का समय 26 दिनों से कम या 29 दिनों से ज्यादा हो जाए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. कई महिलाओं में शराब, सिगरेट, ड्रग्स आदि नशीले पदार्थों से सेवन से भी स्तन कैंसर की संभावना बनी रहती है. यदि आपके परिवार की किसी करीबी सगे संबंधियों को ब्रेस्ट कैंसर हुआ है तब भी इसकी संभावना अधिक बढ़ जाती है.
लक्षण-
इसे स्वयं पहचानने के लिए कुछ लक्षणों पर गौर करने की आवश्यकता है. यदि स्तन में गांठें है, निप्पल में गांठ है, स्तन के आकार में बदलाव जैसे ऊँचा, टेड़ा-मेड़ा होना, स्तन या फिर निप्पल का लाल रंग हो जाना, स्तन से खून आना, स्तन की त्वचा में ठोसपन हो जाना, स्तन या फिर निप्पल में डिंपल, जलन, लकीरें सिकुड़न होना, स्तन का कोई भाग दूसरे हिस्सों से अलग होना, स्तन के नीचे ठोसपन या सख्त अनुभव होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
स्वयं की जांच बहुत जरूरी है-
स्तन कैंसर को पहचानने में यदि देरी हो जाए तो इसका इलाज भी कठिन हो जाता है, इसलिए लक्षणों तो पहचानना और स्वयं परीक्षण बहुत आवश्यक है. इसे पहचानने के लिए महिला को अपने स्तन के साइज, रंग, ऊंचाई, मोटाई और ठोसपन की जानकारी होना बहुत आवश्यक है. आप अपने ब्रेस्ट की जांच कई प्रकार से कर सकती हैं. माहवारी आने के कुछ दिनों बाद, खासकर 4 से 5 दिनों में स्तन परीक्षण करना चाहिए. यदि इसके लक्षणों को महिलाएं जल्दि पकड़लें और जांच कराएं तो इसके उपचार के लिए कई साधन हैं जैस- कीमोथेरेपी, रेडिएशन, सर्जरी आदि। इसलिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप इसके लक्षणों को पहचाने और तुरंत इलाज करवाएं.
प्रोस्टेट कैंसर से बचाव संभव
डॉ इंदु बंसल, सीनियर कंसलटेंट, रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम बताती है प्रोस्टेट एक ग्रंथि है यह केवल पुरुषों में मूत्रमार्ग के आस पास पाई जाती है और यह कैंसर यही पर होता है. प्रोस्टेट ग्रंथि कुछ तरल पदार्थ को बनाती है जो वीर्य बनाने में मदद करता है. प्रोस्टेट कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है पर कई बार यह तेजी से भी प्रोस्टेट ग्रंथि के बाहर फैल सकते हैं जो घातक हो सकते हैं. एक आदमी की उम्र के अनुसार प्रोस्टेट का आकार बदल सकता है. छोटे पुरुषों में, यह अखरोट के आकार होगा, लेकिन वृद्ध पुरुषों में यह बहुत बड़ा हो सकता है.
लक्षण-
पेशाब करने मे मुश्किल या जलन होना, बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना, खासकर रात में, मूत्र या वीर्य में खून आना, मूत्र करने मे दर्द होना, कुछ मामलों में, स्खलन पर दर्द, इरेक्शन करने या बनाए रखने में कठिनाई, बैठने पर दर्द या बेचैनी, अगर प्रोस्टेट बढ़ गया है, हड्डी मे दर्द होना जैसे लक्षण प्रोस्टेट कैंसर हो सकते हैं.
उपचार-
प्रोस्टेट कैंसर का इलाज हो सकता है लेकिन इसके लिए इसको समय पर पता लगना जरुरी है. एक आसान सी और सस्ते सी खून की जांच पीएसए टेस्टिंग द्वारा इस कैंसर को बहुत जल्दी पकड़ा जा सकता है. यह एक प्रकार की खून की जांच होती है जिससे प्रोस्टेट ग्रन्थि के असामान्य तौर पर बड़े होने के शुरुआती लक्षणों के बारे में पता लगाया जाता है. यह पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर की शुरुआती जांच का सबसे सामान्य तरीका है. इसलिए आप यह जांच समय समय पर करवाते रहें. हर पुरुष को 50 साल की उम्र से साल में एक बार यह टेस्ट कराना चाहिए. लक्षणों को पहचान कर समय रहते यदि इलाज करवाना शुरू कर दे तो आप बेहतर जिंदगी जी सकते हैं. प्रोस्टेट कैंसर का इलाज सर्जरी और रेडिएशन द्वारा किया जाता है और हार्मोन के इंजेक्शन और गोलियां भी इसके इलाज में प्रयोग की जाती हैं, इसलिए नियमित रुप से पीएसए टेस्टिंग कराएं और किसी भी लक्षण को इग्नोर न करके समय रहते उपचार कराकर कैंसर मुक्त हो जाएं.
लिम्फोमा कैंसर पर रखे नज़र
डॉ जे बी शर्मा, सीनियर कंसलटेंट, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, एक्शन कैंसर हॉस्पिटल के अनुसार लिम्फोमा कैंसर व्हसइट ब्लड सेल्स में होता है. यह शरीर को बीमारी से लड़ने में मदद करते हैं. इसमें मरीज़ को बहुत ज्यादा लंबे समय तक बुखार, गले और बगल में गांठे महसूस होती है और वज़न काफी जल्दी गिरने लग जाता है. लिम्फोमा कई प्रकार होते हैं, लेकिन इनमें से दो मुख्य हैं- हॉजकिन्स लिम्फोमा और नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा, इससे बचने के लिए लक्षणों को जल्द से जल्द समझना बहुत जरूरी है जिससे इलाज भी जल्द से जल्द करवाकर आप स्वस्थ हो सकें.
लक्षण-
इसके लक्षण शरीर के कई हिस्सों में दिखाई पड़ते हैं जैसे- आपकी गर्दन, बगल या कमर में लिम्फ नोड्स की दर्द रहित सूजन, लगातार थकान, बुखार, रात को पसीना, सांस लेने में कठिनाई, वजन घटना, त्वचा में खुजली होने पर जरूर डॉक्टर से चेकअप करवाएं.
उपचार-
लिम्फोमा कैंसर का उपचार कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी द्वारा होता है. इसके अलावा टारगेटेड थेरपी द्वारा एंटी बॉडीज़ के इंजेक्शन से कैंसर युक्त कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है. इस उपचार का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें दवा कैंसर युक्त कोशिकाओं को पहचान कर केवल उन्हीं को नष्ट करती है. आपको लक्षणों को समझना और जल्द से जल्द इलाज करना चाहिए. तभी आप लिम्फोमा कैंसर से बच सकते हैं.
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