देशभर में बढ़ रही है महिला जजों की संख्या, चीफ जस्टिस बोले- माहौल बदल रहा है

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ सिंह ने कहा, 'कोर्ट में लिंगानुपात का बदलना बताता है कि अब माहौल बदल रहा है. 15 साल पहले हमने एक प्रयास शुरू किया था. आज उसी का नतीजा है कि कोर्ट में महिलाओं का आंकड़ा पुरुषों से आगे निकल गया है.' 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 6, 2023, 09:52 PM IST
  • चीफ जस्टिस ने दी जानकारी.
  • बोले- माहौल बदल रहा है.
देशभर में बढ़ रही है महिला जजों की संख्या, चीफ जस्टिस बोले- माहौल बदल रहा है

नई दिल्ली. देश के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने 6 अक्टूबर को एक प्रोसिडिंग के दौरान सबसे एक खुशखबरी साझा की. उन्होंने कहा कि देश में महिला जजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. लोवर कोर्ट में महिला जजों कां आंकड़ा पुरुष जजों से आगे निकल रहा है. उन्होंने प्रोसिडिंग क दौरान ही कहा, ' यहां कोर्ट में महाराष्ट्र के 75 सिविल जज जूनियर डिवीजन मौजूद हैं. इसमें 42 जज महिलाएं और 33 पुरुष हैं. 

चीफ जस्टिस ने सुनाई खुशखबरी
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ सिंह ने कहा, 'कोर्ट में लिंगानुपात का बदलना बताता है कि अब माहौल बदल रहा है. 15 साल पहले हमने एक प्रयास शुरू किया था. आज उसी का नतीजा है कि कोर्ट में महिलाओं का आंकड़ा पुरुषों से आगे निकल गया है.' 

दरअसल 15 साल पहले महिला जजों के लिए लोवर कोर्ट में आरक्षण शुरू हुआ था. उन्होंने आगे कहा, यहां मौजूद जजों में से 2 डॉक्टरेट की डिग्री लिए हैं तो कुछ जिमनास्ट हैं. कुछ आर्टिस्ट भी ग्रुप में शामिल हैं. उन्होंने कहा, भले ही उदाहरण मैंने महाराष्ट्र लोवर कोर्ट का दिया है लेकिन यह ट्रेंड पूरे भारत में बदल रहा है. 

अप्रैल में जारी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2022 के अनुसार, अधीनस्थ अदालतों में महिला न्यायाधीशों की संख्या राष्ट्रीय औसत 35 प्रतिशत है, जिसमें पांच राज्यों में 50 प्रतिशत से अधिक महिला न्यायिक अधिकारी हैं. 11 राज्यों में महिला जजों की संख्या बढ़ाने के लिए आरक्षण की शुरुआत हुई थी. बिहार में 35 फीसदी आरक्षण है तो झारखंड में 5 फीसदी.

5 साल पहले सुप्रीम, हाई कोर्ट और सब आर्डिनेट कोर्ट्स में सिर्फ 28 फीसदी थीं महिला जज 
उस वक्त भी लोवर कोर्ट में महिला जजों की संख्या ऊपर की दोनों कोर्ट्स से बेहतर थी. महाराष्ट्र लोवर कोर्ट में उस वक्त 29 फीसदी महिला जज थीं. सबसे खराब स्थिति बिहार की थी. जहां 9.98 फीसदी ही महिला जज थीं. दिल्ली में यह आंकड़ा थोड़ सुखद था जहां 34.76 फीसदी महिल जज थीं. सुप्रीम कोर्ट में तो यह स्थिति और भी बदतर थी, जहां 4 फीसदी ही महिला जज थीं. हाई कोर्ट में भी यह आंकड़ा गंभीर था. 10 फीसदी जज ही केवल वहां महिला थीं.

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