नई दिल्ली: Himachal Pradesh Political Crisis: हिमाचल प्रदेश में सियासी संकट कम होता नजर आ रहा है. विधानसभा के स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कांग्रेस के 6 बागी विधायकों की सदस्यता को रद्द कर दिया है. स्पीकर ने कहा है कि व्हिप के उल्लंघन के चलते विधायकों की सदस्यता रद्द हुई है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि 6 कांग्रेसी विधायकों की सदस्यता रद्द होने से किसे फायदा होगा?
क्यों रद्द हुई सदस्यता?
दरअसल, राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी. उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी की बजाय भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन को वोट किया. नतीजा ये रहा कि दोनों को बराबर वोट पड़े, लेकिन टॉस में भाजपा प्रत्याशी महाजन ने जीत दर्ज की. हालांकि, सदस्यता रद्द होने का कारण दूसरा है. कांग्रेस ने बजट पेश करने के दौरान व्हिप जारी की थी. सभी विधायकों को विधानसभा में मौजूद रहना था. लेकिन 6 विधायक अनुपस्थित रहे. व्हिप का उल्लंघन करने से उनकी सदस्यता रद्द हो गई.
क्या है हिमाचल विधानसभा का गणित, कैसे बदला?
हिमाचल विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 68 सीटें हैं. कांग्रेस के पास 40, बीजेपी के पास 25 विधायक हैं. 3 निर्दलीय विधायक हैं. बहुमत का आंकड़ा 35 है. लेकिन अब 6 विधायक अयोग्य ठहरा दिए गए हैं. अब विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 62 हो गई है. नंबर गेम बदल गया है. कांग्रेस के विधायकों की संख्या 34 हो गई है. बहुमत का आंकड़ा 32 हो गया है. यदि BJP तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी पा लेती है, तो भी संख्या 28 तक ही पहुंचेगी. यह आंकड़ा सरकार बनाने या गिराने के लिहाज से नाकाफी है. इसका मतलब है कि हिमाचल में कांग्रेस की सरकार पर फिलहाल कोई खतरा नहीं है.
उपचुनाव हुए तो?
यदि इन 6 सीटों पर उपचुनाव होते हैं और बीजेपी सभी सीटों पर जीत दर्ज करती है, 3 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी ले लेती है, तो भाजपा के पास 34 विधायक होंगे. कांग्रेस की संख्या भी 34 रह जाएगी, इसमें एक स्पीकर भी शामिल हैं. ऐसे में बीजेपी के पास 34 और कांग्रेस की संख्या 33 हो जाएगी. यही कारण है कांग्रेस उपचुनाव जीतने के लिए पूरा दम लगा देगी.
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