वायु सेना प्रमुख की HAL से नाराजगी की वजह है बड़ी, यूं कम हो रहा लड़ाकू विमानों का बेड़ा

भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने एयरो इंडिया में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की ओर से हल्के लड़ाकू विमानों की डिलिवरी में देरी पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा था, मैं आपको केवल अपनी जरूरतें और चिंताओं के बारे में बता सकता हूं. ऐसे में सवाल यह है कि वायु सेना प्रमुख को ऐसी क्या चिंता है, जिसे लेकर उन्हें सार्वजनिक तौर पर बयान देना पड़ा.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 12, 2025, 05:48 PM IST
  • इंडियन एयरफोर्स के पास 31 स्क्वाड्रन
  • दो-दो मोर्चों पर तैयार रहने की जरूरत
वायु सेना प्रमुख की HAL से नाराजगी की वजह है बड़ी, यूं कम हो रहा लड़ाकू विमानों का बेड़ा

नई दिल्लीः भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने एयरो इंडिया में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की ओर से हल्के लड़ाकू विमानों की डिलिवरी में देरी पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा था, मैं आपको केवल अपनी जरूरतें और चिंताओं के बारे में बता सकता हूं. आपको उन चिंताओं को दूर करना होगा. ऐसे में सवाल यह है कि वायु सेना प्रमुख को ऐसी क्या चिंता है, जिसे लेकर उन्हें सार्वजनिक तौर पर बयान देना पड़ा.

इंडियन एयरफोर्स के पास 31 स्क्वाड्रन

दरअसल यह चिंता भारतीय वायु सेना में कम होते लड़ाकू विमानों को लेकर है. रिपोर्ट्स की मानें तो अभी एयरफोर्स के पास 31 स्क्वाड्रन हैं, जिनमें प्रत्येक में 18 विमान हैं. जबकि हर स्क्वाड्रन में अधिकतम 24 विमान होने चाहिए. 1965 के बाद से ये आंकड़ा अभी सबसे कम है.

दो-दो मोर्चों पर तैयार रहने की जरूरत

वहीं वायुसेना के पास 42 स्क्वाड्रन होनी चाहिए. चिंता की बात यह है कि भारत को दो-दो मोर्चों पर संभावित खतरों से निपटने के लिए हर समय तैयार रहने की जरूरत होती है. जहां एक मोर्चे पर चीन है तो दूसरे पर पाकिस्तान. ऐसे में भारतीय वायुसेना को किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए हर समय अपने बेडे़ में पर्याप्त सैन्य संसाधनों की जरूरत है. 

सुस्त है खरीद प्रक्रिया

लेकिन सुस्त खरीद प्रक्रिया समेत अन्य वजहों के चलते भारतीय वायु सेना के पास लड़ाकू विमानों की संख्या में कमी आई है. भारत के पास स्क्वाड्रन की बात करें तो साल 1965 के युद्ध बाद वायु सेना में स्क्वाड्रन की संख्या में बढ़ोतरी की गई. 1996 में भारत के पास 41 स्क्वाड्रन हो गई थीं. लेकिन इसके बाद लड़ाकू विमान पुराने होते गए और उन्हें रिटायर किया जाने लगा और नए विमान उस अनुपात में नहीं आए.

रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 2013 में भारतीय वायु सेना के पास स्क्वाड्रनों की संख्या घटकर 35 पहुंच गई थी. वहीं ये अब घटकर 31 पर आ गई है. भारत के पास 31 में से 2 स्क्वाड्रन कम उड़ान भर रहे हैं क्योंकि ये दोनों अपने 21 मिग लड़ाकू विमानों को बचा रहे हैं. इन लड़ाकू विमानों ने 1971 के युद्ध में हिस्सा लिया था और ये रिटायर होने के लिए तैयार हैं लेकिन इनके रिटायरमेंट की योजना को टाला जा रहा है.

भारत के पास कितने लड़ाकू विमान

रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत के पास अभी लगभग 600 लड़ाकू विमान हैं. इनमें 248 सुखोई 30एमकेआई, 45 मिराज 2000, 130 सेपेकैट जगुआर, 40 मिग 21 बाइसन, 32 तेजस एलसीए एमके 1, 65 मिग 29 और 36 राफेल हैं. चीन की तुलना में भारत के पास आधे लड़ाकू विमान हैं. चीन के पास करीब 1300 फाइटर जेट हैं जबकि पाकिस्तान के पास 445 फाइटर जेट हैं.

हालांकि एचएएल ने जल्द ही हल्के लड़ाकू विमान तेजस की डिलिवरी करने की बात कही है. ऐसे में भारत के स्क्वाड्रन में जल्द ही लड़ाकू विमान बढ़ सकते हैं.

यह भी पढ़िएः HAL पर क्यों भड़के वायुसेना प्रमुख? खुलकर जताई नाराजगी, जानें पूरा मामला

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप. 

ट्रेंडिंग न्यूज़