ये है UCC लागू करने वाला भारत का पहला राज्य, जानें तलाक, संपत्ति समेत 5 बड़े बदलावों के बारे में

27, जनवरी को ही भारत के एक राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया गया है. क्या आप जानते हैं कि ये राज्य कौन सा है? चलिए जानते हैं इसी सवाल का जवाब, साथ ही इसके लागू होने से कौन-कौन से बड़े बदलाव आए हैं.

Written by - Bhawna Sahni | Last Updated : Jan 27, 2025, 09:30 PM IST
    • UCC के बाद आए बड़े बदलाव
    • अब इन नियमों का होगा पालन
ये है UCC लागू करने वाला भारत का पहला राज्य, जानें तलाक, संपत्ति समेत 5 बड़े बदलावों के बारे में

नई दिल्ली: उत्तराखंड भारत का वो पहला राज्य बन गया है जहां समान नागरिक संहिता यानी Uniform Civil Code (UCC) लागू किया गया है. 27 जनवरी, 2025 सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में इसका आधिकारिक तौर पर ऐलान भी कर दिया है. इस दौरान जनता के इस्तेमाल में आने वाले एक विशेष पोर्टल का लोकार्पण भी किया गया, साथ ही संहिता की एक नियमावली भी पेश की गई है. चलिए ऐसे में जानते हैं कि UCC के कारण उत्तराखंड में क्या-क्या बदलाव होने वाले हैं.

UCC क्या है?

भारत में कानून को दो भागों में बांटा गया है- एक आपराधिक और दूसरा सिविल. आपराधिक कानून के अंतर्गत आते हैं चोरी, हत्या और हिंसा जैसे अपराध. इन कानूनों का उल्लंघन करने पर हर धर्म और समाज के लिए समान नियमों के तहत सजा देने का प्रावधान है. वहीं, सिविल कानून में शादी, संपत्ति और तलाक जैसे मामले आते हैं. इसके कानून किसी धर्म के रीति-रिवाजों के अंतर्गत आते हैं. दरअसल, हमारे देश में सभी धर्मों की शादी और तलाक को लेकर पर्सनल लॉ बनाए गए हैं. 

UCC लागू होने के बाद बड़े बदलावसेना

सेना: UCC में नए बदलावों के तहत अब सेना के जवानों के लिए वसीयत को लेकर नया नियम बनाया गया है. इसके तहत जवान मौखिक निर्देश देकर या लिखकर भी अपनी वसीयत तैयार करवा सकते हैं. हालांकि, दो गवाहों के समक्ष ही इसे सत्यापित किया जा सकता है.

शादी: अब हर धर्म के लिए शादी की न्यूनतम उम्र लड़कों की 21 वर्ष और लड़कियों की 18 वर्ष कर दी गई है. इससे पहले मुस्लिम कानून शादी के लिए बिल्कुल अलग थे. इसके अलावा शादी का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा.

तलाक: UCC लागू होने के बाद सभी धर्मों को समान तलाक की प्रक्रिया से होकर गुजरना होगा. इसके लिए पहले अलग-अलग धर्मों के मुताबिक नियम बने थे. जैसे हिन्दू धर्म में 6 महीने का अलगाव अनिवार्य है, वहीं, ईसाई धर्म में 2 साल की अवधि होती है, लेकिन अब सबके लिए नियम समान हो गए हैं.

लिव-इन: लिव-इन पार्टनर्स को भी अपने रिश्ते का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा. यदि कोई कपल एक महीने से ज्यादा वक्त तक लिव-इन में रह रहा है और उसने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया तो उन पर 10,000 रुपये का जुर्माना और 3 महीने की जेल भी हो सकती है.

हलाला का अंत: धामी की सरकार ने मुस्लिम समुदाय में हलाला का अंत कर दिया है. इसके अलावा पहली पत्नी के जीवित रहते हुए या उसे तलाक दिए बिना दूसरी शादी करना गैर-कानूनी माना जाएगा.

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