नई दिल्ली: झारखंड के सरायकेला-खरसांवा जिले के बीरबांस गांव की रहने वाली छुटनी देवी को तीन सितंबर 1995 की तारीख आज तक याद है. यह वही तारीख थी जब उनके ही गांव की पंचायत ने उनपर जुल्म किये थे. खुद पर हुए जुल्म की टीस आज भी जब उनके सीने में उठती है तो जख्म एक बार फिर हरे हो जाते हैं और छुटनी देवी की आंखें नम हो उठती हैं.
डायन बता किए गए थे अत्याचार
छुटनी देवी के पड़ोस में एक बच्ची बीमार पड़ी थी. इसका इल्जाम लगा छुटनी देवी के सर पर. वालों ने कहा कि तुम डायन हो, जादू टोना करके बच्ची की जान लेना चाहती हो. पंचायत ने उन पर 500 रुपये का जुर्माना भी लगाया, जिसे दबंगों के खौफ के चलते छुटनी देवी ने भर भी दिया.
पति का साथ भी नहीं हुआ नसीब
लेकिन जब उनके पड़ोसी में रहने वाली बीमार बच्ची अगले रोज भी ठीक नहीं हुई तो एक साथ चालीस-पचास लोगों ने उनके घर पर धावा बोल दिया. छुटनी देवी को उनके घर से खींचकर बाहर निकाला. उनके तन से कपड़े खींच लिये गये. बेरहमी से पीटा गया. इतना ही नहीं, उनपर मल-मूत्र तक फेंका गया. इस घटना के बाद उनका गांव में रहना मुश्किल हो गया. यहां तक कि पति ने भी उन्हें छोड़ दिया. अगर रातों-रात अपने तीन बच्चों के साथ वह गांव से न भागी होतीं तो उनका जिंदा बचना भी नामुमकिन था.
वीरांगना के रूप में पहचान, मिला पद्मश्री
हालांकि अपने ऊपर हुए इस असहनीय अत्याचार के अंधेरे से निकलते हुए छुटनी देवी ने आज रोशनी की एक नई कहानी लिख रही हैं. आज छुटनी देवी की पहचान एक ऐसी वीरांगना के तौर पर है जिंहोंने 'डायन' की पहचान मिटाने के लिए खुद की लड़ाई तो लड़ी ही, पूरे झारखंड में 'डायन-भूतनी' कहकर प्रताड़ित की गयी तकरीबन 150 महिलाओं को नरक जैसी जिंदगी से बाहर निकाला. पिछले साल नवंबर महीने भारत के राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री का सम्मान प्राप्त हुआ.
डायन के नाम पर महिलाओं पर हो रहा अत्याचार
छुटनी देवी बताती हैं कि डायन के नाम पर आज भी झारखंड के कई इलाकों में अत्याचार नहीं रुका है. इसकी वजह केवल अंधविश्वास नहीं है. ऐसी घटनाओं के पीछे आपसी रंजिश को साधने से लेकर संपत्ति हड़पने तक की साजिशें हैं. बीते 3 सितंबर को झारखंड की राजधानी रांची से महज 50 किलोमीटर दूर सोनाहातू थाना क्षेत्र के राणाडीह गांव में एक साथ तीन महिलाओं को डायन करार देकर गांव के लोगों ने मौत के घाट उतार डाला.
डायन बता हो रही हैं महिलाओं की हत्याएं
2022 के बीते नौ महीनों में डायन, तंत्र-मंत्र और जादू के नाम पर दो दर्जन से ज्यादा हत्याएं हुई हैं. मारे गये लोगों में 95 फीसदी महिलाएं हैं. पिछले सात वर्षों में डायन-बिसाही के नाम पर झारखंड में हर साल औसतन 35 हत्याएं हुईं हैं. अपराध अनुसंधान विभाग (CID) के आंकड़ों के मुताबिक 2015 में डायन बताकर 46 लोगों की हत्या हुई. इस वर्ष अब तक डायन के नाम पर 26 हत्याएं हुई हैं. इस तरह साढ़े सात वर्षों का आंकड़ा कुल मिलाकर 250 से ज्यादा है.
डायन बताकर प्रताड़ित करने के मामलों की बात करें तो 2015 से लेकर 2020 तक कुल 4,556 मामले पुलिस में दर्ज किये गये. अनुमान है कि 2015 से लेकर अब तक डायन हिंसा के 5000 से भी ज्यादा मामले पुलिस में दर्ज हुए हैं. हर रोज दो से तीन मामले पुलिस के पास पहुंचते हैं. झारखंड में अभी तक डायन और तंत्र-मंत्र के नाम पर 1050 से भी ज्यादा हत्याएं हुई हैं.
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