India-France submarines deal: भारत और फ्रांस ने मुंबई में तीन अतिरिक्त फ्रांसीसी-डिजाइन वाली स्कॉर्पीन श्रेणी की 'हंटर-किलर' पनडुब्बियों के निर्माण की प्रगति की पुष्टि की है, जो भारतीय नौसेना के लिए एक बड़ी और अच्छी खबर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच मार्सिले में हुई बातचीत के बाद बुधवार को जारी एक संयुक्त बयान में इस विकास पर प्रकाश डाला गया.
वहीं, इसकी भी पुष्टि हुई कि भारत के मौजूदा छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के बेड़े में आईएनएस वाग्शीर भी शामिल हो गई है, जिसे पिछले महीने पीएम मोदी ने कमीशन किया था.
दोनों नेताओं ने रक्षा औद्योगिक रोडमैप के तहत चल रहे भारत-फ्रांस सैन्य सहयोग की भी प्रशंसा की और भारत में स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के निर्माण में सफल सहयोग की सराहना की.
इस परियोजना में स्वदेशी तकनीक के मामले में भी प्रगति देखी गई है. विशेष रूप से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) प्रणाली को पी75 पनडुब्बियों में यूज किया गया है.
AIP तकनीक इन पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की क्षमताओं को बढ़ाती है, जिससे वे लंबे समय तक पानी में डूबी रह सकती हैं और साथ ही पता लगने की संभावना भी कम होती है.
नौसेना के अलावा क्या?
नौसेना की प्रगति के अलावा, दोनों पक्षों ने मिसाइल सिस्टम, हेलीकॉप्टर और जेट इंजन निर्माण में संयुक्त प्रयासों पर चर्चा का स्वागत किया. प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस से पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर के अधिग्रहण की संभावना पर भी बात की और इसकी संभावित खरीद को 'भारत-फ्रांस रक्षा संबंधों में एक और मील का पत्थर' बताया.
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