नई दिल्ली. 18 सितंबर से आयोजित होने जा रहा संसद का विशेष सत्र पक्ष-विपक्ष दोनों के लिए रणनीतिक लिहाज से बेहद अहम है. इस विशेष सत्र के दौरान सरकार की नजरें खासतौर से विपक्षी इंडिया गठबंधन में शामिल दलों पर रहेगी. इस गठबंधन को बीजेपी और सरकार घमंडिया, अधर्मी या इंडी गठबंधन कहते रहे हैं.
सरकार की नजर इस बात पर रहेगी कि 2024 चुनाव में एकजुट होकर देशभर में BJP के खिलाफ चुनाव लड़ने का दावा करने वाली इन पार्टियों के बीच संसद के दोनों सदनों में कितना सामंजस्य है? साथ ही सांसदों के स्तर पर इनके बीच किस हद तक समन्वय स्थापित हो गया है.
बीजेपी की तरफ से लगातार लगाए जा रहे हैं आरोप
बीजेपी की तरफ से लगातार कहा जाता रहा है कि विपक्षी गठबंधन अंतर्विरोधों से भरा हुआ है. गठबंधन में शामिल हर नेता प्रधानमंत्री बनने की इच्छा रखता है. संसद सत्र के एजेंडे पर सभी राजनीतिक दलों के बीच सहमति बनाने के लिए सरकार ने सत्र से एक दिन पहले रविवार,17 सितंबर को शाम 4:30 बजे संसद भवन परिसर में सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है.
सरकार ने साफ किया एजेंडा
सरकार ने संसद के विशेष सत्र को लेकर अपनी तरफ से एजेंडा साफ कर दिया है. संसद के आगामी विशेष सत्र के दौरान, आजादी के 75 सालों-संविधान सभा से लेकर आज तक की उपलब्धियों पर चर्चा होगी. मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक 2023, डाकघर विधेयक 2023, अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक 2023 और प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक 2023 को भी चर्चा के बाद पारित करवाया जाएगा.
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