IAS Puja Khedkar, UPSC candidature cancelled: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने बुधवार को विवादों में फंसी IAS ट्रेनी अधिकारी पूजा खेडकर की अनंतिम उम्मीदवारी रद्द कर दी और आयोग द्वारा आयोजित भविष्य की सभी परीक्षाओं में उनपर स्थायी रूप से रोक लगा दी. पूजा खेडकर पर सिविल सेवा परीक्षा में अपनी उम्मीदवारी सुरक्षित करने के लिए विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (गैर-क्रीमी लेयर) कोटे का दुरुपयोग करने का आरोप है.
यूपीएससी द्वारा यह घोषणा पूजा खेडकर की पात्रता और उनके आवेदन से संबंधित परिस्थितियों की विस्तृत समीक्षा के बाद की गई है. यूपीएससी द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है, 'UPSC ने उपलब्ध रिकॉर्ड्स की सावधानीपूर्वक जांच की है और उन्हें(पूजा) सीएसई-2022 नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करने का दोषी पाया है. सीएसई-2022 के लिए उसकी अनंतिम उम्मीदवारी रद्द कर दी गई है और उन्हें यूपीएससी की सभी भावी परीक्षाओं/चयनों से भी स्थायी रूप से वंचित कर दिया गया है.'
पूजा नहीं दे पाईं स्पष्टीकरण
UPSC पैनल ने अपने बयान में यह भी बताया कि पूजा खेडकर को 18 जुलाई को फर्जी पहचान बताकर परीक्षा नियमों में निर्धारित सीमा से अधिक प्रयास करने के लिए कारण बताओ नोटिस (SCN) जारी किया गया था. हालांकि, बाद में समय सीमा 30 जुलाई तक बढ़ा दी गई, लेकिन आयोग ने स्पष्ट किया था कि यह अंतिम अवसर था और 'समय में कोई और विस्तार' नहीं दिया जाएगा.
पैनल ने कहा, 'उन्हें समय-सीमा बढ़ाए जाने के बावजूद, वह निर्धारित समय के भीतर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने में विफल रहीं.'
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने पूजा खेडकर पर सिविल सेवा परीक्षा में अपनी उम्मीदवारी सुरक्षित करने के लिए विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (गैर-क्रीमी लेयर) कोटा का दुरुपयोग करने का मामला दर्ज किया है.
अपराध शाखा के सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) स्तर के नेतृत्व वाली एक टीम को विभिन्न सरकारी विभागों से दस्तावेज एकत्र करने का काम सौंपा गया था.
आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 464 (काल्पनिक व्यक्ति के नाम पर दस्तावेज बनाना), 465 (जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेज को असली के रूप में पेश करना) और विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम की धारा 89 और 91 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66डी के तहत उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
कैसे उम्मीदवारी हासिल की?
महाराष्ट्र कैडर की 2023 बैच की आईएएस अधिकारी खेडकर ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को दिए अपने हलफनामे में खुद को दृष्टिबाधित बताया था.
उन्होंने 2022 में अपनी विकलांगता की पुष्टि के लिए छह मेडिकल टेस्ट नहीं करवाए, लेकिन बाद में एक बाहरी मेडिकल सेंटर से एमआरआई रिपोर्ट पेश की, जिसे आठ महीने की देरी के बाद 2023 में स्वीकार किया गया.
इससे पहले, खेडकर ने पुणे कलेक्टर कार्यालय से अपनी स्पेशल मांगों का अनुरोध करके विवाद खड़ा कर दिया था, जो उनके पद के लिए अनुमत नहीं थे. उन्होंने लाल-नीली बत्ती और वीआईपी नंबर प्लेट वाली अपनी निजी ऑडी कार का भी इस्तेमाल किया. उन्होंने अपनी निजी कार पर 'महाराष्ट्र सरकार' का बोर्ड भी लगाया था.
पुणे से वाशिम
पूजा तब ज्यादा चर्चा में आईं, जब उनके खिलाफ पुणे के डीएम ने सरकार से शिकायत की. तब उनको पुणे से वाशिम ट्रांसफर कर दिया. उन्हें प्रोबेशन अवधि के बाकी समय वाशिम के सुपर-न्यूमेरी असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में काम करना था. लेकिन अब उनके लिए बुरी खबर है. इस बीच उनकी मां का भी विवाद सामने आया था.
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