लखनऊ: यूपी विधानसभा में शुक्रवार को मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी की अनुपस्थिति में ‘उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली (संशोधन) विधेयक, 2022’ ध्वनि मत से पारित हो गया. इस संशोधन विधेयक में दंगा-उपद्रव में किसी व्यक्ति की मौत अथवा संपत्ति के नुकसान पर मुआवजे की रकम की वसूली दोषी व्यक्ति से करने का प्रावधान है.
क्या है प्रावधान
विधेयक में हड़ताल, दंगा और उपद्रव में सार्वजनिक और निजी संपत्ति को हुए नुकसान की उपद्रवियों से वसूली का प्रावधान है. साथ ही अगर दंगे या उपद्रव में किसी व्यक्ति की जान जाती है, तो दावा अधिकरण को पांच लाख रुपये प्रतिपूर्ति देने का अधिकार दिया गया है. इसकी वसूली दोषी व्यक्ति से की जाएगी. सरकारी या निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए पुलिस कार्रवाई पर होने वाला खर्च भी दोषी को ही भरना होगा.
संसदीय कार्य मंत्री ने रखा प्रस्ताव
विधानसभा के मानसून सत्र के पांचवें दिन प्रश्न काल के बाद संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने सदन से 'उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली (संशोधन) विधेयक, 2022' पारित करने का प्रस्ताव रखा. नेता सदन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गैरमौजूदगी थे. इसलिए उनकी ओर से खन्ना से प्रस्ताव रखा.
इसके पहले बहुजन समाज पार्टी के नेता उमाशंकर सिंह ने प्रस्तावित विधेयक को प्रवर समिति को सौंपे जाने का प्रस्ताव रखा, लेकिन सत्ता पक्ष के सदस्यों की संख्या अधिक होने से सिंह का प्रस्ताव गिर गया.
क्या बोले संसदीय कार्य मंत्री
विधेयक के बारे में संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि लोक संपत्ति की क्षति, निजी संपत्ति की क्षति और वैयक्तिक क्षति पर भी आरोपियों से वसूली की जाएगी. उन्होंने कहा कि उपद्रव या दंगे में अब पीड़ित व्यक्ति या जिसकी जान चली जाए उसका आश्रित भी प्रतिकर (मुआवजा) के लिए अपील कर सकता है.
क्या है बदलाव
पहले दावा करने की समय सीमा केवल तीन माह थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया है.
नई व्यवस्था में अधिकरण को मामले का स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार होगा.
सरकारी संपत्ति के नुकसान पर संबंधित कार्यालय के कार्यालयाध्यक्ष प्रतिकर के लिए अधिकरण के समक्ष दावा करेंगे.
दावा अधिकरण की ओर से क्षतिपूर्ति के आदेश देने के 30 दिन के भीतर दोषी को पूरी राशि जमा करनी होगी.
संशोधन में यह साफ कर दिया गया है कि प्रदर्शन या हड़ताल में हुए नुकसान के लिए कौन जिम्मेदार होगा.
आयोजनों के आयोजक को भी जवाबदेह बनाया गया है. ताकि भीड़ हिंसक न हो और इसके लिए आयोजक को अपनी जिम्मेदारी का अहसास रहे.
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