Who is Sanjay Verma: चुनाव आयोग ने मंगलवार को 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी संजय वर्मा को महाराष्ट्र का नया पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया. उन्होंने महाराष्ट्र की पूर्व पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला की जगह ली, जिनका सोमवार (4 नवंबर) को फोन टैपिंग के आरोपों के चलते तबादला कर दिया गया था. चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को आज शाम 5 बजे तक अपने आदेश का पालन करने का निर्देश दिया है.
लीगल और टेक्निकल महानिदेशक के रूप में कार्यरत वर्मा, रश्मि शुक्ला का स्थान लेंगे. वर्मा अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त होंगे. चुनाव आयोग ने कांग्रेस की शिकायतों के बाद रश्मि शुक्ला को राज्य पुलिस प्रमुख के पद से हटाने का आदेश दिया था.
चुनाव आयोग द्वारा शुक्ला के तबादला आदेश दिए जाने के बाद राज्य के मुख्य सचिव को महाराष्ट्र के नए डीजीपी की नियुक्ति के लिए 5 नवंबर तक तीन आईपीएस अधिकारियों के नाम भेजने का निर्देश दिया गया था. वर्मा 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और शुक्ला 1988 बैच की हैं.
मुख्य सचिव ने भेजे थे ये तीन नाम
महाराष्ट्र की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक ने चुनाव आयोग को तीन आईपीएस अधिकारियों के नामों की एक लिस्ट सौंपी थी, जिसमें मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक फनसालकर, संजय वर्मा और रितेश कुमार शामिल थे.
रश्मि शुक्ला को क्यों हटाया गया?
कांग्रेस और शिवसेना (UBT) की शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए महाराष्ट्र पुलिस प्रमुख रश्मि शुक्ला, राज्य की पहली महिला पुलिस महानिदेशक (DGP) के तबादले का आदेश दिया गया था.
1988 बैच की आईपीएस अधिकारी शुक्ला ने पिछले पांच वर्षों में अपने पूरे करियर में जितने उतार-चढ़ाव देखे हैं, उतने अधिकांश हर किसी अधिकारी को देखने को नहीं मिलते. शुक्ला उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस की खास अधिकारी के रूप में देखी जाती हैं. उन्होंने राज्य खुफिया विभाग (SID) की आयुक्त के रूप में कार्य किया. बताया जाता है कि यह पद सत्ता में बैठे लोगों के करीबी माने जाने वाले अधिकारियों को ही मिलता है.
रश्मि शुक्ला के खिलाफ तीन FIR भी दर्ज हुई थीं, जिन्हें बाद में रद्द कर दिया गया. विपक्ष ने शुक्ला की डीजीपी पद पर नियुक्ति को लेकर सरकार पर निशाना साधा था और सीएम शिंदे से उन्हें हटाने को कहा. एनसीपी (शरदचंद्र पवार) प्रवक्ता विद्या चव्हाण ने शुक्ला की नियुक्ति को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के मानदंडों का उल्लंघन बताया. चव्हाण ने कहा, 'जिन आईपीएस अधिकारियों की सेवा छह महीने से अधिक बची हुई है, उन्हें डीजीपी पद के लिए माना जाता है. हालांकि, शुक्ला पांच महीने में सेवानिवृत्त हो जाएंगी और उनकी नियुक्ति कानूनन गलत है.'
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