Nikhat Zareen Mary Kom Story: भारत की मेजबानी में खेले जा रहे वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में रविवार को जब निकहत जरीन ने गोल्ड जीतकर अपने टाइटल को डिफेंड किया तो दर्शकों के बीच अलग ही उत्साह देखने को मिला, किसी ने कहा कि मिल गई हमें मैरी कॉम की उत्तराधिकारी और यह बात काफी हद तक सच भी नजर आती है. हालांकि बहुत कम लोग यह जानते हैं कि निकहत जरीन का सफर कोई हाइवे वाली सड़क नहीं था बल्कि कांटों भरी कच्ची पगडंडी जितना ही मुश्किल रहा.
जब मैरी कॉम ने गुस्से में पूछा था कि कौन हैं निकहत जरीन
एक वक्त ऐसा भी था जब भारत की दिग्गज मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम ने गुस्से से पूछा था, ‘निकहत जरीन कौन है?’ निकहत ने 2022 में विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर इस सवाल का जवाब दिया था और अब रविवार को एक बार फिर उन्होंने अपना दूसरा विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीता तो ये भी बता दिया कि वो मैरी कॉम की उत्तराधिकारी हैं. निकहत जरीन घरेलू दर्शकों के सामने एक से ज्यादा बार वर्ल्ड चैम्पियनशिप का खिताब हासिल करने वाली दूसरी भारतीय मुक्केबाज बनीं.
निकहत ने 50 किग्रा वजन वर्ग का खिताब जीतने के बाद कहा, ‘मैं दूसरी बार विश्व चैम्पियन बनकर खुश हूं वो भी ओलंपिक वजन वर्ग और घरेलू दर्शकों के सामने. यह पदक सभी फैन्स के लिए है.’
समाज के तानों पर निकहत ने जड़ा खिताब का तमाचा
निकहत के लिये यह दूसरा खिताब भावनात्मक रहा क्योंकि इस सफर में इस 26 साल की मुक्केबाज को ताने, सामाजिक पूर्वाग्रह और उपेक्षा का सामना करना पड़ा. जहां तक मैरीकॉम का संबंध है तो उन्हें नहीं लगा होगा कि चार साल में निकहत उनके नक्शेकदमों पर चलते हुए उनके बाद एक से ज्यादा विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीतने वाली दूसरी भारतीय बन जायेंगी.
पिता बनाना चाहते थे एथलीट
निकहत के पिता उन्हें धावक बनाना चाहते थे लेकिन उनकी बेटी ने मुक्केबाजी में आने फैसला किया ताकि वह साबित कर सकें कि महिलायें भी इस खेल में अच्छा कर सकती हैं. तेलंगाना के निजामाबाद में मुस्लिम परिवार से आकर मुक्केबाजी की ड्रेस ‘टी शर्ट और शॉर्ट’ में खेलने से निकहत और उनके माता-पिता को तानों और टिप्पणियों का सामना करना पड़ा. लेकिन उन्होंने इन पर ध्यान नहीं दिया.
कंधे की चोट के चलते एक साल तक रिंग से रही दूर
एक दशक पहले जूनियर विश्व चैम्पियनशिप का खिताब जीतने के बाद निकहत का कंधा बाउट के दौरान उतर गया जिससे उन्हें करीब एक साल तक रिंग से दूर रहना पड़ा. लेकिन वह एलीट स्तर पर खुद को साबित करने के लिये जी जान से जुटी रहीं और उन्होंने शानदार वापसी की. उन्होंने 2019 में स्ट्रैंड्जा मेमोरियल में स्वर्ण पदक और थाईलैंड ओपन में रजत पदक जीता. लेकिन इंडिया ओपन में वह महिला मुक्केबाजी के इतिहास की सबसे महान मुक्केबाज मैरीकॉम को नहीं हरा सकीं.
मैरीकॉम के हाथों ट्रॉयल्स में मिली थी हार
भारतीय मुक्केबाजी महासंघ ने 2019 विश्व चैम्पियनशिप से पहले ट्रॉयल करने से इनकार कर दिया जिसने मैरीकॉम के निरंतर प्रदर्शन के कारण उन्हें ही चुनने का फैसला किया और मणिुपर की मुक्केबाज ने भी अपना आठवां विश्व चैम्पियनशिप पदक जीता. जब बीएफआई ने मैरीकॉम को उनके विश्व चैम्पियनशिप कांस्य पदक पदर्शन की वजह से टोक्यो ओलंपिक क्वॉलीफायर के लिए भेजने का फैसला किया तो निकहत ने तब के खेल मंत्री किरेन रिजीजू से एक ‘निष्पक्ष ट्रॉयल’ करने की मांग रखी.
निकहत के अनुरोध को स्वीकार करते हुए ट्रॉयल की घोषणा हुई लेकिन यह युवा मुक्केबाज अपने से अनुभवी मैरीकॉम से एक तरफा मुकाबले में हार गयी. लेकिन यह घटना भी निकहत के जज्बे को कम नहीं कर सकी और इस मुक्केबाज ने इसके बाद मिले मौकों का पूरा फायदा उठाते हुए यहां तक का सफर तय किया.
मैरीकॉम की उत्तराधिकारी बन सकती हैं निकहत
निकहत की शुरूआती जीत के बाद लोगों ने उन्हें मैरीकॉम का उत्तराधिकारी बनने की संभावना जतायी और हाल की जीत से यह मजबूत ही होती दिख रही है. वह अक्टूबर 2021 के बाद से बेहतरीन फॉर्म में है. उन्होंने तब से एक भी मुकाबला नहीं गंवया है, उन्होंने दो राष्ट्रीय चैम्पियनशिप खिताब जीते, 2022 स्ट्रैंड्जा मेमोरियल, 2022 विश्व चैम्पियनशिप, सारे चयन ट्रॉयल और राष्ट्रमंडल खेल में जीत हासिल की. पिछले साल इस्तांबुल में उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप में चार साल बाद भारत को स्वर्ण पदक दिलाया.
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