पाक छोड़कर भारत आईं, पेड़ के नीचे रहीं...अब चलाती हैं 8000 करोड़ रुपये की कंपनी, जानें- कौन हैं?

Success Story: रजनी बेक्टर का जन्म 1940 में कराची (अब पाकिस्तान में) में हुआ था. उनके शुरुआती साल लाहौर में बीते, लेकिन 1947 में भारत के विभाजन के दौरान उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव आया. विभाजन ऐसा दौर था, जिसने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया. रजनी का परिवार उन लोगों में से था जिन्हें अपना घर छोड़कर भारत में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Jul 12, 2024, 08:35 PM IST
  • एक शरणार्थी से लेकर 8000 करोड़ रुपये के ब्रांड की मालकिन
  • अपना घर छोड़कर भारत में शरण लेने के लिए मजबूर हुईं
पाक छोड़कर भारत आईं, पेड़ के नीचे रहीं...अब चलाती हैं 8000 करोड़ रुपये की कंपनी, जानें- कौन हैं?

Success Story: महिला उद्यमी भी देश दुनिया में नाम कर रही हैं. अपनी कड़ी मेहनत, दूरदृष्टि और नए विचारों के माध्यम से असाधारण सफलता प्राप्त कर रही हैं. किरण मजूमदार शॉ और इंदिरा नूयी जैसे नाम प्रसिद्ध हैं, लेकिन कई अन्य महिलाओं ने भी जमीन से उठकर संपन्न व्यवसाय बनाए हैं. ऐसी ही एक प्रेरक महिला हैं रजनी बेक्टर, जिन्होंने मिसेज बेक्टर फूड स्पेशलिटी लिमिटेड की स्थापना की. 20,000 रुपये से व्यवसाय शुरू करने से लेकर 8,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की कंपनी का नेतृत्व करने तक का उनका सफर उनकी दृढ़ता और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है.

विभाजन...
रजनी बेक्टर का जन्म 1940 में कराची (अब पाकिस्तान में) में हुआ था. उनके शुरुआती साल लाहौर में बीते, लेकिन 1947 में भारत के विभाजन के दौरान उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव आया. विभाजन ऐसा दौर था, जिसने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया. रजनी का परिवार उन लोगों में से था जिन्हें अपना घर छोड़कर भारत में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.

आउटलुक बिजनेस के साथ एक साक्षात्कार में, रजनी ने अपने परिवार की उस भयावह यात्रा को याद किया. वे पठानकोट में एक पेड़ के नीचे सात दिनों तक एक ट्रेन का इंतजार करते रहे, जो कभी नहीं आई. आखिरकार, वे मालगाड़ी से यात्रा करते हुए, अकल्पनीय भयावह दृश्य देखते रहे, जिसमें रास्ते में कई शव भी शामिल थे. कठिनाइयों के बावजूद, रजनी और उनके परिवार की पंजाब में कुछ अजनबियों ने मदद की, जिन्होंने भोजन और लस्सी दी. छोटी रजनी इस दयालुता से हैरान हुईं और उन्होंने अपनी मां से पूछा कि ये लोग उनकी मदद क्यों कर रहे हैं, संकट के समय साझा मानवता को नहीं समझते.

लुधियाना में नई शुरुआत और क्रेमिका का जन्म
1957 में, 17 साल की उम्र में, रजनी ने पंजाब के एक व्यवसायी धर्मवीर बेक्टर से शादी की और लुधियाना चली गईं. लुधियाना में जीवन को आगे बढ़ाते हुए, रजनी ने किसी भी चुनौती को अपने रास्ते में बाधा नहीं बनने दिया. उन्होंने 1978 में 20,000 रुपये के निवेश के साथ एक छोटी क्रीम यूनिट की स्थापना की, जिसका नाम उन्होंने क्रेमिका रखा, जो 'क्रीम का' से लिया गया था. उन्हें पहली बड़ी सफलता तब मिली जब उन्होंने एक स्थानीय उत्सव में भाग लिया, जहां उनकी आइसक्रीम ने उस समय के प्रसिद्ध ब्रांड क्वालिटी को पीछे छोड़ दिया. इस सफलता ने उन्हें अगला कदम उठाने के लिए प्रेरित किया.

रजनी ने ब्रेड और बिस्किट बनाना शुरू किया तो क्रेमिका की मांग लगातार बढ़ती गई. 1985 में, उन्होंने अपनी कंपनी को कंपनी अधिनियम 1956 के तहत एक निजी लिमिटेड इकाई के रूप में पंजीकृत किया. हालांकि, 80 के दशक के दौरान पंजाब में राजनीतिक अस्थिरता ने महत्वपूर्ण चुनौतियां खड़ी कर दीं. परिवार को धमकियों का सामना करना पड़ा, जिसमें उनके सबसे बड़े बेटे के अपहरण का प्रयास भी शामिल था. इन प्रतिकूलताओं के बावजूद, रजनी का संकल्प और मजबूत होता गया और उनके परिवार ने 1990 तक पूरी तरह से खाद्य व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया.

रजनी के सबसे बड़े बेटे ने व्यवसाय में शामिल होकर 1991 में एक बिस्किट प्लांट की स्थापना की. 90 के दशक के मध्य में मैकडॉनल्ड्स के साथ साझेदारी ने एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित किया. मैकडॉनल्ड्स के साथ क्रेमिका के सहयोग ने आगे के अवसरों को जन्म दिया, जिसमें सॉस की आपूर्ति के लिए क्वेकर ओट्स के साथ उद्यम करना भी शामिल था. हालांकि, बाद में साझेदारी खत्म हो गई. 2006 में गोल्डमैन सैक्स ने क्रेमिका में निवेश किया.

लिस्टिंग
2020 में अपने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के साथ कंपनी की विकास यात्रा नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई. IPO ने एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित किया, जिसने कंपनी की सफलता को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया. आज, मिसेज बेक्टर फूड स्पेशलिटी लिमिटेड भारतीय शेयर बाजार में 8,339.73 करोड़ रुपये के बाजार पूंजीकरण के साथ सूचीबद्ध है. कंपनी ने लगातार मजबूत बिक्री का प्रदर्शन किया है.

विभाजन के दौरान एक शरणार्थी से लेकर 8000 करोड़ रुपये के ब्रांड की मालकिन बनने तक की रजनी बेक्टर की यात्रा किसी प्रेरणा से कम नहीं है. उनकी कहानी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प की शक्ति का प्रमाण है.

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