वाराणसी. होली में पिचकारी से रंग डाले बिना मजा कहां आता है. पर दिव्यांगो के लिए होली का रंग फीका पड़ जाता है. क्योंकि उसे वह चला नहीं पाते हैं. इस मुश्किल से निजात दिलाने के लिए वाराणसी के एक स्कूल का प्रतिभाशाली छात्र सामने आया है. छात्र ने एक डिजिटल पिचकारी बनाई है जो कि बोलने से ही रंग बरसाने लगेगी. इसका कोडवर्ड हैप्पी होली रखा गया है.
पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के आर्यन इंटरनेशनल स्कूल के छात्र आयुष ने दिव्यांगों के जीवन में खुशियों के रंग भरने के लिए एक डिजिटल पिचकारी इजाद की है. आयुष कक्षा 8 में पढ़ते हैं.
कैसे काम करती है डिजिटल पिचकारी
यह आवाज के कोड से संचालित होती है. इसकी खासियत यह है कि बिना हाथ लगाये आवाज के कोड से रंग की बरसाने लगती है.
आयुष ने बताया कि डिजिटल पिचकारी में एक माइक लगा है. यह माइक हैप्पी होली के कोड से संचालित होता है. जैसे हम पिचकारी में लगे माइक में हैप्पी होली बोलते हैं पिचकारी में लगे वाटर पम्प को माइक 2 से 3 सेकंड के लिये ऑन कर देता है जिससे पिचकारी में लगे कंटेनर में भरे वाटर कलर प्रेसर के साथ स्प्रे करता है. ये पिचकारी 10 मीटर दूर तक वाटर कलर फेंक सकता है. डिजिटल पिचकारी बनाने में सात दिनों का समय लगा है और 250 रुपये का खर्च आया है.
क्या कहते हैं आयुष
आयुष ने बताया कि हम बचपन से देखते आ रहे हैं कि होली में बहुत सारे लोग रंग खेलते हैं. लेकिन दिव्यांग रंग नहीं खेल पाते हैं. ऐसे लोगों लोगों की समस्या को दूर करने के लिए हमने एक डिजिटल पिचकारी बनाई है. इस पिचकारी से दिव्यांग लोग होली का मजा ले सकेंगे.
गोरखपुर के वैज्ञानिक महादेव पांडेय ने बताया कि यह सेंसर बेस्ड तकनीक है. यह आवाज के कमांड से संचालित होती है. बलरामपुर अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक और चर्म रोगी विशेषज्ञ डाक्टर एमएच उस्मानी कहते हैं सेंथटिक रंगो से लोगों की स्किन को काफी नुकसान पंहुचती है. लोगों को हर्बल रंग का ही इस्तेमाल करना चाहिए. जिन्हे रंग छूने से परेशानी है उनके लिए यह पिचकारी अच्छी है.
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