online booking for Temple: माता श्री चिंतपूर्णी जी में हवन करवाने के लिए अब श्रद्धालु ऑनलाइन बुकिंग कर सकेंगे. ऐसे में मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी.
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राकेश मालही/ऊना: उत्तर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माता श्री चिंतपूर्णी में श्रद्धालुओं को नए साल में घर बैठे हवन करवाने के लिए ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा प्रदान की जा रही है. माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर में विधिवत रूप से इसका शुभारंभ किया गया.
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बता दें, सूक्ष्म हवन करवाने के लिए 40 मिनट से 1 घंटे समय के लिए 500 रूपये रजिस्ट्रेशन फीस रखी गई है. साथ ही 1200 रूपये लगेंगे अगर आप हवन सामग्री भी लेते हैं. वहीं, अगर सप्तशती हवन करवाना हो तो आपको रजिस्ट्रेशन के लिए 1,100 रुपये देने होंगे. साथ ही 5800 रूपये हवन सामग्री शुल्क होगा, जिसमें करीब 2 से 3 घंटे लगेंगे. हवन सामग्री मंदिर न्यास श्रद्धालुओं को पेमेंट आधार पर उपलब्ध करवाएगा. श्रद्धालुओ की सुविधा के लिए हवन करवाने वाले पुजारियों के नाम और सम्पर्क नंबर वेबसाइट पर उपलब्धर करवाए गए हैं, श्रद्धालु खुद से ऑनलाइन हवन के लिए बुक कर सकते हैं.
इसके साथ ही सूक्ष्म हवन करवाने का समय सुबह 7 से 8 बजे, 11 से 12 बजे और 3.15 बजे से 4.14 तक होगा. जबकि सप्तशती हवन सुबह 8 से 10 और साढे़ 12 से तीन बजे तक और 4.30 से 7 बजे तक होगा. वहीं इसपर हिमाचल के उपमुख्यमंत् मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. धार्मिकों स्थलों का विकास और विस्तार करके इन्हें पर्यटन की दृष्टि से समृद्ध बनाया जाएगा, ताकि धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सके.
उन्होंने कहा कि प्रदेश को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है. यहां अनेकों देवी देवताओं का वास है. प्रदेश के समस्त ऐतिहासिक धार्मिकों स्थलों का पुनरूद्वार किया जाएगा. उन्होंने प्रदेश की जनता, स्थानीय जनता, पुजारी वर्ग और लोगों से आहवान किया कि वे मंदिरों के विकास में अपना महत्वूपर्ण योगदान दें.
माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर प्रदेश के लोगों की आस्था का केंद्र है, हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपनी श्रद्धा के साथ यहां आते हैं. उन्होंने कहा कि मंदिर स्थल पर श्रद्धालुओं को सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करवाने के प्रयास किए जा रह हैं. मंदिरों के सरकारीकरण होने से मंदिरों की आय में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. इस धनराशि का उपयोग मंदिरों के विकास, मंदिरों के कल्याण और श्रद्धालुओं की सेवा में लगना चाहिए तथा पुजारी वर्ग को भी उनका हिस्सा मिलना चाहिए.
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