Adhbhut himachal: हिमाचल प्रदेश में वैसे तो घूमने के लिए बहुत सी जगह हैं, लेकिन यहां ऐसे कई धार्मिल स्थल भी हैं जहां जाए बिना भक्त रह ही नहीं पाते हैं. ऐसा ही है यहां का ज्वाला देवी मंदिर जहां सदियों से बिना तेल बाती के जोत जल रही है. अद्भुत हिमाचल की सैर में आज हम आपको इस जोत से जुड़ी अद्भुत कहानी के बारे में बताएंगे.
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Adhbhut himachal ki sair: मान्यता है कि जब तक जोत न जलाई जाए तब तक पूजा अधूरी रहती है. घर हो या कोई मंदिर जोत जलाना शुभ माना जाता है. नवरात्रि के दिनों में इस जोत का खास महत्व होता है. नवरात्रि में हर घर और मंदिर में जोत जलाई जाती है. कुछ भक्त तो माता रानी के व्रत रखकर नौ दिन तक अखंड जोत जलाते हैं, लेकिन इस खबर में हम आपको एक ऐसी जोत के बारे में बताएंगे जो एक, दो या नौ दिन नहीं बल्कि कई वर्षों से जल रही है, जिसके बारे में सोचकर न केवल आम इंसान बल्कि वैज्ञानिक भी हैरत में हैं.
बिना तेल बाती के जलती है जोत
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में कालीधार पहाड़ी के बीच में स्थित मां ज्वाला देवी 51 शक्तिपीठों में से एक है. इस मंदिर में सदियों से माता रानी की जोत जल रही है. हैरानी की बात तो ये है कि यह जोत बिना तेल बाती के ही जल रही है. ऐसे में इस मंदिर को नगरकोट, चमत्कारी और जोता वाली का मंदिर भी कहा जाता है. इस जोत को देखने और दर्शन के लिए आज लाखों श्रृद्धालु यहां आते हैं.
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सबसे बड़ी जोत को कहा जाता है ज्वाला माता
कहा जाता है कि जब मां सती के अंग गिर रहे थे तब इस जगह उनकी जीभ गिरी थी. ज्वाला देवी मंदिर में 9 ज्वालाएं जल रही हैं. इन सभी को मां भगवती के 9 स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है. एक ज्वाला को मां चण्डी देवी, मां अन्नपूर्णा, मां विध्यवासिनी, मां अम्बिका देवी, महालक्ष्मी, मां सरस्वती, मां हिंगलाज माता, मां अंजी देवी और सबसे बड़ी जोत को ज्वाला माता कहा जाता है.
जोत जलने के पीछे क्या है पौराणिक कथा?
बिना तेल बाती के सदियों से जल रही ज्वाला मंदिर की जोत के पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसके अनुसार बाबा गोरखनाथ ज्वाला मां के बड़े भक्त थे. कहा जाता है कि वे हमेशा ही मां की भक्ति में लीन रहते थे. एक दिन जब गोरखनाथ को भूख लगी तो उन्होंने मां से कहा कि वो भीक्षा मांगकर आते हैं तब तक मां पानी गर्म करके रखें. ऐसा कहकर वे भीक्षा मांगने चले गए. इसके बाद मां ने ज्वाला जला ली थी और पानी गर्म कर लिया था, लेकिन गोरखनाथ कभी लौटकर ही नहीं आए.
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कब तक जलती रहेगी यह अखंड जोत
ऐसा माना जाता है कि ज्वाला देवी मंदिर के पास बने एक कुंड से भाप निकलती रहती है यह भाप उसी पानी की है जो मां ने बाबा गोरखनाथ के लिए गर्म किया था और यह ज्वाला भी वही है जो मां ने उस वक्त जलाई थी जब गोरखनाथ ने कहा था. तब से इस कुंड को गोरखनाथ की डिब्बी कहा जाने लगा. कहा जाता है कि यह ज्वाला तब तक जलती रहेगी जब तक गोरखनाथ लौटकर नहीं आते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. जी न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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