Ganesh Jayanti 2025: भगवान श्रीगणेश के अवतरण-दिवस को गणेश जयंती के रूप में मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार यह पर्व हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है.
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Maghi Ganesh Jayanti 2025: माघी गणेश जयंती या माघ विनायक चतुर्थी, हर साल हिंदू महीने माघ में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. 2025 में, यह त्यौहार 1 फरवरी को पड़ता है और भगवान गणेश को सम्मानित करता है, जो बाधाओं को दूर करने वाले और ज्ञान और समृद्धि लाने वाले हैं.
यह त्यौहार, जो महाराष्ट्र और गोवा में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, व्यक्तिगत भक्ति और आध्यात्मिक चिंतन पर जोर देता है, जो वर्ष के अंत में गणेश चतुर्थी के बड़े सार्वजनिक उत्सवों के विपरीत है. माघी गणेश जयंती ज्ञान, समृद्धि और बाधाओं पर काबू पाने के विषयों को रेखांकित करती है. भक्त ऐसे अनुष्ठान करते हैं जो विनम्रता, आध्यात्मिक विकास और नई शुरुआत के लिए आशीर्वाद को बढ़ावा देते हैं. क्षेत्रीय रूप से तिल कुंड चतुर्थी या वरद चतुर्थी के रूप में जाना जाता है, यह दिन सामुदायिक भावना को बढ़ावा देता है और सांस्कृतिक बंधनों को मजबूत करता है.
तिथि एवं शुभ समय
तिथि प्रारंभः 1 फरवरी, 2025, सुबह 1:08 बजे
तिथि समाप्तिः 2 फरवरी 2025, प्रातः 9:14 बजे
पूजा का शुभ मुहूर्तः 1 फरवरी 2025, सुबह 11:38 बजे से दोपहर 1:40 बजे तक (2 घंटे 2 मिनट)
इस साल माघी गणेश जयंती रवियोग के साथ मनाई जा रही है, जिससे इस दिन का आध्यात्मिक महत्व और भी बढ़ गया है. हालांकि, इस दौरान भद्रा और पंचक भी रहेंगे. भक्तों को आध्यात्मिक लाभ को अधिकतम करने के लिए शुभ समय में अनुष्ठान करना चाहिए.
माघी गणेश जयंती का महत्व
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था, इसलिए यह उनके भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है. इस दिन व्रत रखने और अनुष्ठान करने से अधूरी इच्छाएं पूरी होती हैं, बाधाएँ दूर होती हैं और सुख-समृद्धि आती है.
पूजा के दौरान भगवान गणेश को मोदक (मोदक) चढ़ाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है.
इस दिन को बुद्धि, सौभाग्य और नई शुरुआत के लिए आशीर्वाद मांगने का अवसर भी माना जाता है.
माघी गणेश जयंती के अनुष्ठान
उपवासः भक्त सूर्योदय से चंद्रोदय तक उपवास रखते हैं, तथा पूजा पूरी करने के बाद ही इसे तोड़ते हैं.
पूजा की तैयारी: भगवान गणेश की मूर्ति की हल्दी, फूल, धूप और मोदक जैसी मिठाइयों से पूजा की जाती है.
मंत्रोच्चार और अर्पणः भक्तगण गणेश मंत्रों का पाठ करते हैं और उनका आशीर्वाद पाने के लिए फल और अन्य वस्तुएं चढ़ाते हैं.