13 बार गिफ्तार, 31 साल जेल और 154 कोड़े; जानें कौन हैं नोबेल याफ्ता नरगिस मोहम्मदी?
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13 बार गिफ्तार, 31 साल जेल और 154 कोड़े; जानें कौन हैं नोबेल याफ्ता नरगिस मोहम्मदी?

Narges Mohammadi: ईरान की महिला कार्यकर्ता को लंबी बीमारी के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उन्हें 2023 में नोबल शांति पुरस्कार से नवाजा गया है. वह ईरान की औरतों के हक के लिए आवाज उठाती रही हैं. यहां जानिए नरगिस के बारे में सबकुछ.

13 बार गिफ्तार, 31 साल जेल और 154 कोड़े; जानें कौन हैं नोबेल याफ्ता नरगिस मोहम्मदी?

Narges Mohammadi: ईरान के अफसरों ने जेल में बंद नोबेल शांति पुरस्कार याफ्ता नरगिस मोहम्मदी को लगभग 9 हफ्ते तक बीमार रहने के बाद अब अस्पताल में भर्ती कराने की इजाजत दे दी है. नरगिस के लिए अभियान चलाने वाले एक ग्रुप 'फ्री नरगिस कोएलिशन' ने इस बात की तस्दीक की. मोहम्मदी को ईरान की सबसे खतरनाक मानी जानी वाली जेल में रखा गया. यहां राजनीतिक कैदियों और पश्चिमी देशों से ताल्लुक रखने वाले लोगों को रखा जाता है. नरगिस दिल की बीमारी से पीड़ित हैं. कौन हैं नरगिस मोहम्मदी और उन्हें जेल में क्यों रखा गया है, आइए इस खबर में जानते हैं.

लिखने से शुरूआत
नरगिस की पैदाइश 1972 में जांजन सूबे के एक परिवार में हुईं. पिता किसान थे, मगर ननिहाल सियासी था. नरगिस एक जहीन लड़की थीं. स्कूली पढ़ाई के बाद यूनिवर्सिटी में 'न्यूक्लियर फीजिक्स' में मिला. पढ़ाई के साथ नरगिस को एहसास हुआ कि जब दुनिया भर में महिलाओं को उनके अधिकार सौंपे जा रहे हैं, तब ईरान में उनका दमन क्यों हो रहा? इसके बाद नरगिस ने उस वक्त अखबारों में औरतों के हक में लिखना शुरू किया.

औरतों को इंसाफ
अखबार में लिखने की  वजह से उन्हें धमकियां मिलने लगीं. उन्‍होंने ईरान में महिलाओं के दमन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. उन्‍होंने ईरान में मानवाधिकारों को बढ़ावा दिया और सभी के लिए आजादी मांगी. साल 1995 में नरगिस की मुलाकात तागी रहमानी से हुई. तागी रहमानी भी महिलाओं के हक की बात कर रहे थे. नरगिस ने इंजीनियरिंग की डिग्री ली साथ में लिखती रहीं. साल 1999 में नरगिस ने शादी की. कुछ दिनों बाद उनके शौहर को सरकार की निंदा करने के इल्जाम में गिरफ्तार कर लिया गया. साल 2003 में वह 'डिफेंस ऑफ ह्यूमन राइट सेंटर' से जुड़ गईं. इस संगठन के तहत उन्होंने खास तौर पर ऐसे लोगों के परिजनों की काफी मदद की, जिनके अपने सरकारी जुल्म के शिकार हुए थे. नरगिस को इस संस्था से निकलवा दिया गया. 

नहीं रुकी मुहिम
हालांकि नरगिस का अभियान नहीं रुका. उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया और रिहा किया गया, पर जुलाई 2011 में जब गिरफ्तार किया गया, तो सालों की सजा सुनाई गई. इसके बाद नरगिस को कई बार गिरफ्तार किया गया और छोड़ा गया. उन्‍हें अब तक 13 बार अरेस्‍ट किया जा चुका है. यही नहीं 5 बार दोषी ठहराया जा चुका है. नरगिस ने 31 साल जेल में बिताए हैं. जेल में रहते हुए नरगिस ने वहां की महिला कैदियों की दर्दनाक हालत की जैसी-जैसी रिपोर्टें भेजीं, उसने ईरान सरकार के सारे झूठ को बेनकाब कर दिया. नरगिस को इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी. उनके जिस्म पर अब तक 154 कोड़े बरसाए जा चुके हैं.

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औरतों के लिए आवाज
ख्याल रहे कि नरगिस मोहम्मदी को आखिरी बार साल 2021 में ईरानी सरकार के कहने पर हिरासत में लिया गया था. ईरान की पुलिस ने नरगिस मोहम्‍मदी पर ईरान सरकार के खिलाफ गलतफहमी फैलाने का इल्जाम लगाया है. नरगिस 'डिफेंडर ऑफ ह्यूमन राइट सेंटर' की उप प्रमुख हैं. यह एक गैर सरकारी संगठन है जिसे शिरिन एबादी ने बनाया था. शिरिन को साल 2003 में नोबेल शांति पुरस्‍कार मिल चुका है.

पुरस्कार और सजा
नरगिस मोहम्मदी को साल 2023 में नोबल शांति पुरस्कार दिया गया. मोहम्मदी नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाली 19वीं औरत हैं और 2003 में मानवाधिकार कार्यकर्ता शिरीन एबादी के बाद यह पुरस्कार पाने वाली वह दूसरी ईरानी महिला हैं. नोवेल कमेटी के मुताबिक नरगिस ने ईरान में मानवाधिकारों को बढ़ावा दिया और सभी के लिए आजादी का सपोर्ट किया. नोबेल कमिटी के मतुाबिक नरगिस मोहम्मद को इसके लिए निजी कीमत चुकानी पड़ी.

जेल में थीं नरगिस
नरगिस मोहम्‍मदी को जब शांति का पुरस्‍कार दिया गया उस वक्त भी वह जेल में ही थीं. ईरान में सितंबर 2022 में एक कुर्दिश औरत महसा अमीनी की ईरान की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. उनकी मौत के बाद पूरे ईरान में हिजाब के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए. ईरानी सरकार ने प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ ताकत का इस्तेमाल किया. प्रदर्शन के दौरान तकरीबन 500 लोगों की मौत हो गई. इस दौरान 20 हजार से ज्‍यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया. इस प्रदर्शन के दौरान लोगों ने औरतों की आजादी का सपोर्ट किया और नरगिस मोहम्‍मदी के अभियान को समर्थन दिया.

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