असम के हिंदू-मुसलमान में है गहरा ताल्लुक; मजहब के अलावा कुछ भी अलग नहीं
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असम के हिंदू-मुसलमान में है गहरा ताल्लुक; मजहब के अलावा कुछ भी अलग नहीं

Assam Hindu Muslim: लेखक वासबीर हुसैन का कहना है कि असम में हिंदू-मुस्लिम के बीच गहरा ताल्लुक है. वह एक साथ भाईचारे के साथ रहते हैं. यहां के हिंदू मुसलमानों में मजहब के अलावा कुछ भी अलग नहीं है.

असम के हिंदू-मुसलमान में है गहरा ताल्लुक; मजहब के अलावा कुछ भी अलग नहीं

Assam Hindu Muslim: लेखक और 'सेंटर फॉर डेवलपमेंट एंड पीस स्टडीज' के कार्यकारी निदेशक वासबीर हुसैन ने कहा है कि असमिया हिंदुओं और असमिया मुसलमानों के बीच ताल्लुक बहुत मजबूत हैं. उन्होंने कहा कि दोनों समुदायों के बीच दोस्ती को कोई भी आसानी से नहीं तोड़ सकता. वह असमिया सैयदों की कयादत करने वाले संगठन असमिया सैयद कल्याण ट्रस्ट के एक प्रोग्राम में बोल रहे थे. रविवार को हुसैन ने गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से 17वीं शताब्दी के मुस्लिम सुधारक और सूफी संत अज़ान पीर के नाम पर 'अंतर-धार्मिक सद्भाव या समुदायों की सद्भावना' विषय पर एक पीठ शुरू करने की गुजारिश की.

मजहब को छोड़कर सब कुछ समान
असमिया सैयद उन पांच मुस्लिम समूहों में से एक है, जिन्हें असम सरकार ने आधिकारिक तौर पर राज्य के मूल निवासी समुदायों के तौर पर मान्यता दी है. हुसैन ने कहा कि धर्म को छोड़कर असमिया हिंदुओं और असमिया मुसलमानों में कोई अंतर नहीं है. उनकी भाषा, संस्कृति, खान-पान की आदतें सभी कुछ एक जैसी हैं और वे एक जैसे कपड़े पहनते हैं. उन्होंने कहा, "मेरा पूरा यकीन है कि असमिया हिंदुओं और असमिया मुसलमानों के बीच दोस्ती के पारंपरिक बंधन को कोई भी आसानी से नहीं तोड़ सकता." 

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हिंदू मुस्लिम रहते हैं एक साथ
हुसैन, गुवाहाटी से संचालित 'नॉर्थईस्ट लाइव' के प्रधान संपादक भी हैं. हुसैन ने बताया कि किस तरह असम के मकामी मुसलमान इस्लाम की तुलना में सांस्कृतिक इस्लाम का पालन करते हैं और राज्य की बड़ी हिंदू आबादी के साथ अमन से रहते हैं. उन्होंने असमिया मुस्लिम समुदाय की विरासत के संरक्षण और इसकी तरक्की के लिए असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की तरफ से की गई पहल की तारीफ की. 

अजान पीर के वंशज हैं मुसलमान
प्रोग्राम के अहम मेहमान गुवाहाटी यूनिवर्सिटी के कुलपति नानी गोपाल महंत ने कहा कि लोगों या समुदायों की अनेक पहचान हो सकती हैं, जो धर्म से परे होती हैं. उन्होंने असमिया मुसलमानों और सैयदों का उदाहरण दिया जो सूफी संत अजान पीर के वंशज हैं. उन्होंने कहा कि वे वृहत्तर असमिया समाज का हिस्सा हैं. 

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