Bangladesh Election 2024: यह इलेक्शन कड़ी सिक्योरिटी के बीच कराया जा रहा है. इलेक्शन कमीशन ने कहा कि आठ जनवरी की सुबह से नतीजे आने की उम्मीद है. पीएम शेख हसीना की सत्तारूढ़ आवामी लीग के लगातार चौथी बार जीतने की भी उम्मीद है.
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Bangladesh Election 2024: भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में चुनावी प्रचार थम चुका है. अब आम चुनाव के लिए वोटिंग की तैयारी हो रही है. इलेक्शन के लिए मतदान 7 जनवरी को होगा. मुख्य अपोजिशन बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की गौरमौजूदगी की वजह से पीएम शेख हसीना लगातार चौथी बार इलेक्शन जीत सकती है. बता दें कि अपोजिशन पार्टी बीएनपी ने इलेक्शन का बहिष्कार किया है और ‘‘अवैध सरकार’’ के खिलाफ 48 घंटे की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान भी किया है.
बांग्लादेश इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, इस बूार इलेक्शन में 42,000 से ज्यादा वोटिंग सेंटरों पर रविवार, 7 जनवरी को होने वाले वोटिंग में टोटल 11.96 करोड़ वोटर्स अपने मत का प्रयोग करेंगे. इलेक्शन में 27 राजनीतिक दलों के 1,500 से ज्यादा कैंडिडेट्स चुनावी मैदान में हैं. वहीं, 100 से ज्यादा विदेशी पर्यवेक्षक 12वें आम चुनाव की निगरानी रखेंगे. खास बात यह है कि इस बार भारत के तीन पर्यवेक्षक भी निगरानी में हैं.
यह इलेक्शन कड़ी सिक्योरिटी के बीच कराया जा रहा है. इलेक्शन कमीशन ने कहा कि उसे आठ जनवरी की सुबह से नतीजे आने की उम्मीद है. पीएम शेख हसीना की सत्तारूढ़ आवामी लीग के लगातार चौथी बार जीतने की भी उम्मीद है, क्योंकि पूर्व पीएम खालिदा जिया (78) की पार्टी ने इलेक्शन का बहिष्कार कर दिया है. खालिदा भ्रष्टाचार के इल्जामों में दोषी ठहराए गए हैं, वो तब से घर में नजरबंद हैं.
पीएम ने जनता से की ये अपील
76 साल की शेख हसीना ने इस सप्ताह राष्ट्रीय टेलीविजन पर दिए संबोधन में लोकतंत्र समर्थक और कानून का पालन करने वाले दलों से ऐसे विचार को हवा न देने का दरख्वास्त किया था, जो देश की संवैधानिक प्रक्रिया में ‘‘बाधा’’ डालते हों. जबकि बीएनपी ने शनिवार से 48 घंटे की देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है.
बीएनपी ने की ये मांग
बीएनपी के स्पोक्सपर्सन रुहुल कबीर रिजवी ने हड़ताल का ऐलान करते हुए कहा, ‘‘इस अवैध सरकार के इस्तीफे, एक तटस्थ सरकार के गठन और सभी पार्टी नेताओं तथा कार्यकर्ताओं को जेल से रिहा करने की मांग करना है.’’
शेख हसीना 2009 से सत्ता में हैं
बता दें कि शेख हसीना साल 2009 से सत्ता में हैं और उन्होंने आखिरी इलेक्शन दिसंबर 2019 में जीता था. इस इलेक्शन में जानलेवा हिंसा हुई थी और इलेक्शन में धांधली के इल्जाम लगे थे. जबकि बीएनपी ने इससे पहले साल 2014 में भी इलेक्शन का बहिष्कार किया था. हालांकि, साल 2019 के इलेक्शन में हिस्सा लिया था.