BJP on JDU: लोकसभा चुनाव में एनडीए को बहुमत मिला है. लेकिन बीजेपी बहुमत की जादुई आकंड़े को पार नहीं कर पाई है. बीजेपी को 240 सीटें मिली है. सीएम नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू किंगमेकर के भूमिका में हैं.
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BJP on JDU: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों का ऐलान हो चुका है. इस चुनाव में एनडीए को बहुमत मिला है. लेकिन बीजेपी बहुमत की जादुई आकंड़े को पार नहीं कर पाई है. बीजेपी को 240 सीटें मिली है. सीएम नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू किंगमेकर के भूमिका में हैं. अब केंद्र में सरकार बनाने की कवायद जारी है. इस चर्चाओं का बाजार गर्म है. एक तरफ जदयू तीन मुद्दों को लेकर हावी है, जिसमें अग्नीवीर योजना, यूसीसी और जाति जनगणना शामिल हैं, वहीं दूसरी तरफ डीटीपी की नजर लोकसभा स्पीकर और 3 अहम मंत्रालय पर है.
बीजेपी जदयू की मांगों के नहीं झुकेगी
इन चर्चाओं के बीच जराए ने दावा किया है कि जदयू की मांगों के आगे भाजपा नहीं झुकेगी. बीजेपी गठबंधन धर्म का पालन के तहत काम करेगी. मंत्रालय का बंटवारा हो या मंत्रियों की संख्या, सहयोगियों की चिंताओं के ध्यान में रखकर काम करेगी. सभी सहयोगियों के साथ मिलकर चलेगी. इस बीच पार्टी निर्दलीय सांसदों और छोटे-छोटे दलों से संपर्क साध रही है.
जराए ने किया बड़ा दावा
जराए ने दावा किया है कि सभी महत्वपूर्ण मंत्रालय बीजेपी अपने पास रखेंगी. जिसमें गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और कृषि मंत्रालय शामिल हैं. इसका मतलब है कि बीजेपी किसी भी पार्टी को यह मंत्रालय नहीं देगी. इसके साथ ही स्पीकर पद भी बीजेपी अपने पास रखेंगी. क्योंकि सदन में स्पीकर की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होता है. जराए के मुताबिक, टीडीपी तीन मंत्रालय गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और कृषि मंत्रालय की मांग कर रही है. इसके साथ ही लोकसभा इस्पीकर भी मांग कर रही है. यहीं हाल जदयू का है. जदयू भी 3 अहम मंत्रालय की मांग कर रही है.
नीतीश अपने शर्तों पर चलाते हैं सरकार
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब इन दो पार्टियों को ये अहम मंत्रालय नहीं दिया जाएगा, तो क्या ये दोनों पार्टियां जो किंगमेकर की भूमिका में वह बीजेपी को अपना समर्थन जारी रखेंगे, या गठबंधन तोड़ लेंगे. आइए विस्तार से बताते हैं. सीएम नीतीश कुमार साल 1995 से बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ते आए हैं, लेकिन कई ऐसे मौके आए हैं, जहां नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया है. जब नरेंद्र मोदी को साल 2014 में बीजेपी की तरफ से पीएम कैंडिडेट के रूप में ऐलान किया गया, तो नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़कर अलग हो गए. फिर वो बीजेपी के साथ आए, लेकिन अपनी शर्तों पर बिहार में सरकार चलाते हैं. बीच में बिहार सरकार में बीजेपी की ज्यादा दखल हो गई थी, जिसके बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया था. फिलहाल वो एनडीए में हैं, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जब भी नीतीश कुमार को कुछ कहना होता है, तो वो अपने करीबी नेताओं से बयान दिलवाते हैं. हमेशा से नीतीश कुमार अपनी शर्तों पर सरकार चलाते हैं. अगर इसमें किसी का दखल हो तो वह उससे नाता तोड़ लेते हैं. यही हाल राजद के साथ हुआ था.
बीजेपी से नाता तोड़ सकते हैं नीतीश?
साल 2019 में नीतीश कुमार की पार्टी बिहार में 17 सीटों पर इलेक्शन लड़ी थी, जिसमें 16 सीट जीतनें में कामयाब हुई थी. इसके बाद नरेंद्र मोदी सरकार का गठन हुआ, जिसमें जदयू को एक मंत्रालय दिया जा रहा था, लेकिन नीतीश कुमार इससे नाराज होकर मोदी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुए और बाहर से ही अपना समर्थन जारी रखा, लेकिन साल 2020 विधानसभा इलेक्शन के बाद नीतीशने भाजपा से नाता तोड़ लिया. वहीं, राजनीतिक विश्लेषक यूसुफ अली का कहना है कि बीजेपी ने साफ कर दिया है कि वह नीतीश कुमार की मांगों के आगे नहीं झेकेंगे है. ऐसे नीतीश कुमार 2025 विधानसभा इलेक्शन के बाद बीजेपी से नाता तोड़ सकते हैं. क्योंकि ऐसा साल 2020 विधानसभा चुनाव के बाद कर चुके हैं.