Jamiat ulema e hind sadbhawna sansad: इस जलसे के दौरान जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की चीफ महमूद मदनी ने कहा कि बेइज्जत होकर खामूश होजाना कोई मुलमानों से सीखे. हम तक्लीफ तो सह सकते हैं लेकिन देश का नाम खराब नहीं होने देंगे.
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के देवबंद में आज जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की अगुवाई में मुस्लिम संगठनों का दो रोज़ा विशाल जलसा चल रहा है, जिसमें देश भर अलग-अलग संगठनों के प्रतिनिधि पहुंचे हैं. इस जलसे के पहले दिन मुस्लिम संगठनों के बीच इस्लामोफोबिया के खिलाफ आवाज़ उठाने पर सहमती बनी है. इसके अलावा जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने धर्म संसद के तर्ज पर करीब 1000 जगहों पर सद्भावना संसद के आयोजन का ऐलान किया.
इस जलसे के दौरान जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की चीफ महमूद मदनी ने कहा कि बेइज्जत होकर खामूश होजाना कोई मुलमानों से सीखे. हम तक्लीफ तो सह सकते हैं लेकिन देश का नाम खराब नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि अगर जमीयत उलेमा शांति को बढ़ावा देने और दर्द, नफरत सहन करने का फैसला करते हैं तो ये हमारी कमजोरी नहीं, ताकत है.
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जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की चीफ महमूद मदनी जलसे के दौरान खिताब करते हुए जरा भावुक भी हो गए. उन्होंने कहा कि हमें हमारे ही देश में अजनबी बना दिया गया. महमूद असद मदनी ने अखंड भारत की बात पर भी निशाना साधा. मदनी ने कहा कि आप किस अखंड भारत की बात करते हैं? मुसलमानों के लिए तो राह चलना मुश्किल हो गया. ये हमारे सब्र का इम्तिहान है.
जमीयत की तरफ से ये भी आरोप लगाया कि इस वक्त देश जिस तरह प्रभावित हुआ है, उतना पहले कभी नहीं हुआ. ये भी कहा गया कि देश सत्ता में काबिज लोग देश की सदयों पुरानी रिवायत और भाई चारे को खत्म करने पर दर पर है. इजलास के दौरान महमूद मदनी ने बीजेपी का नाम लिए बगैर तंकीद करते हुए कहा कि उसके नजदीक हमारी साझी विरासत और सामाजिक मूल्यों की कोई अहमियत नहीं है. उसे सिर्फ अपनी हुकूमत ही प्यारी है. इसके साथ-साथ जमीयत ने देश के मौजूदा हालात पर चिंता भी जाहिर की.
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