Jammu & Kashmir news: बाबा चमलियाल का मेला हर साल 22 जून को लगता है. इस मजार पर हिन्दु-मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग श्रद्धा के साथ यहां पर मन्नतें मांगते हैं. ये मजार राजधानी राजधानी जम्मू से 42 किमी दूर है.
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Jammu & Kashmir news: भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक तनाव के बीच एक मजार मुहब्बत का पैगाम देता है. ये मजार दोनों देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा पर है. जहां दोनों देश को लोग एक साथ मिलकर शांति का संदेश देता है.ये मजार सांबा जिले के रामगढ़ सेक्टर में है. इस मजार की खास बात है कि यहां हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्म के लोग आते हैं और बड़ी श्रद्धा के साथ यहां मन्नतें मांगते हैं.
यह दरगाह बाबा दिलीप सिंह मिन्हास की है. जिसे बाबा चमलियाल के नाम से भी जाना जाता है. ये मजार आपसी भाईचारे का संदेश देता है. लेकिन यहां पर मंदिर में भारत-पाक सीमा के दोनों ओर से लोगों का जुटना शांति का संदेश देता है.ये मजार राजधानी राजधानी जम्मू से 42 किमी दूर अंतरराष्ट्रीय सीमा पर है.
प्रशासन ने मेले को लेकर क्या कहा?
हर वर्ष 22 जून को ये मेला लगता है. जिसको लेकर के जिला प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है. लोक निर्माण विभाग ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर तक जाने वाली सड़क पर मरम्मत कार्य कराया. और सांबा के उपायुक्त अभिषेक शर्मा ने बताया कि मेले में समुचित व्यवस्था की गई है ताकि मेले में कोई बाधा न हो और शांतिपूर्ण तरीके से मेला संपन्ंन हो सके. और बीएसएफ अधिकारियों ने भक्तों को सेवाओं का लाभ उठाने के लिए बैरिकेड हटाने पर भी चर्चा की.
बहुत पुरानी है ये परंपरा
335 साल पुरानी परंपरा के अनुसार बाबा चमलियाल पाकिस्तान के सियालकोट क्षेत्र के सैयदियांवाला गांव में रहते थे.यह मेला पाकिस्तान के सैयदियांवाला और भारत के चमलियाल गांव में हर साल आयोजित होता है.जिसमें दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं.
2003 से लगती है लोगों भीड़
2003 में दोनों देशों द्वारा युद्धविराम समझौता करने के बाद से ही लोगों की बड़ी संख्या में मंदिर का दौरा करना शुरू कर दिया. जिसके बाद मेले के दौरान पाकिस्तान भारत के रामगढ़ सेक्टर में स्थित दरगाह पर चादर चढ़ता है.