साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार 2021की घोषणा; अर्जुमंद आरा को उर्दू अनुवाद का इनाम
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साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार 2021की घोषणा; अर्जुमंद आरा को उर्दू अनुवाद का इनाम

ये पुरस्कार 2015 से 2019 के दौरान के लिए दिए गए हैं. पुरस्कार के तहत 50 हजार की नकद रकम और एक तांबे का मेडल दिया जाएगा.

आरजुमंद आरा

नई दिल्लीः साहित्य अकादमी द्वारा अनुवाद के लिए दिए जाने वाले पुरस्कारों की शुक्रवार को घोषणा कर दी गई है. साहित्य अकादमी 2021 के अनुवाद पुरस्कारों में उर्दू, हिंदी, इंग्लिश, गुजराती, असमी, बोडो, डांगरी, कन्नड़, कश्मीरी, कोकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, मलयाली, उड़िया, नेपाली, संथाली, तेलगू, तमिल, सिंधी, संस्कृत और पंजाबी भाषा के लेखकों को यह पुरस्कार दिया जाएगा. ये पुरस्कार 2015 से 2019 के दौरान के लिए दिए गए हैं. पुरस्कार के तहत 50 हजार की नकद रकम और एक तांबे का मेडल दिया जाएगा. लेखकों को पुरस्कार एक सार्वजनिक समारोह में दिया जाएगा. अनुवाद के इन पुरस्कारों के तहत उर्दू भाषा के लिए 'बेपनाह शादमानी के मुमलिकत' के लिए अरजुमंद आरा को तर्जुमे का साहित्य अकादमी एवार्ड 2021 दिया गया है. यह अरुंधती राय के नॉवल "The Ministry of Utmost Happiness" का उर्दू तर्जुमा है.    

कौन हैं अर्जुमंद आरा ? 

अर्जुमंद आरा दिल्ली विश्वविद्यालय में उर्दू साहित्य की प्रोफ़ेसर हैं. उन्होंने जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, दिल्ली से 2001 में पी.एच.डी.  किया है . वह अनुवाद और आलोचना के क्षेत्र में काम करती हैं. छात्र-जीवन से ही प्रगतिशील लेखक संघ से वाबस्ता रहीं हैं.अनुवाद के लिए 2013 के दिल्ली उर्दू अकादमी इनाम से वह सम्मानित हो चुकी हैं. अर्जुमंद आरा का सिकन्द्राबाद ज़िला बुलंदशहर (यूपी) में 1969 में जन्म हुआ था.   2002 से दिल्ली विश्वविद्यालय में उर्दू साहित्य का अध्यापन कर रही हैं. 

मुख्य किताबें जिनको उर्दू में अनुवाद किया

ताहर बिन जल्लून (मराकश) के उपन्यास 'दिस ब्लाइंडिंग अब्सेंस ऑफ़ लाइट का अनुवाद ‘ये बसारत-कुश अँधेरे’ शीर्षक से, 2020
हसन ब्लासिम (इराक़) का कहानी संग्रह ‘लाश की नुमाइश' और दीगर इराक़ी कहानियां, 2019
धर्मवीर भारती (हिंदी) सूरज का सातवाँ घोड़ा, 2019
अरुंधति राय के उपन्यास द मिनिस्ट्री ऑफ़ अटमोस्ट हैप्पीनेस का अनुवाद बेपनाह शादमानी की मम्लिकत शीर्षक से, 2018
विभूति नारायण राय (हिंदी) हाशिमपुरा: 22 मई, 2018
अतीक़ रहीमी (अफ़ग़ान) के तीन उपन्यास 'संगे- सबूर' (2016), 
ख़ाकिस्तर-ओ-ख़ाक (2017) और, ख़ाब और खौफ़ की हज़ार भूल-भुलय्याँ (2017) का अनुवाद.
तय्यब सालिह (सूडान) के उपन्यास सीज़न ऑफ़ माइग्रेशन टू द नार्थ का अनुवाद  'शुमाल की जानिब हिजरत का मौसम' शीर्षक से , 2017
दिव्या माथुर (हिंदी) का कहानी संग्रह 'ज़हर मोहरा और दूसरी कहानियां' दिल्ली, 2016
गार्गी चक्रवर्ती द्वारा लिखित जीवनी का ‘पी सी जोशी : एक सवानेह’ शीर्षक से अनुवाद, नेशनल बुक ट्रस्ट, 2014
राल्फ़ रसल की आत्मकथा (फ़ाइंडिंग्स,कीपिंग्स और लोसेज़, गैन्ज़) का 'जुइंदा याबिन्दा' (2005) और 'कुछ खोया, कुछ पाया' (2013) शीर्षकों से अनुवाद.
मुशीरुल हसन द्वारा रचित द नेहरुज़: पर्सनल हिस्ट्रीज़ का अनुवाद 'नेहरू ख़ानदान की सवानेही तारीख़', दिल्ली 2011 

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