कौन बनाता है नोबेल विजेताओं के पोर्ट्रेट? दिलचस्प है इसके डिज़ाइन की कहानी सोने का होता है इस्तेमाल
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कौन बनाता है नोबेल विजेताओं के पोर्ट्रेट? दिलचस्प है इसके डिज़ाइन की कहानी सोने का होता है इस्तेमाल

नोबल पीस प्राइज़ जिन लोगों को दिया जाता है उनका एक पोर्ट्रेट भी जारी किया जाता है, जो सभी का एक जैसा ही होता है. क्या आपने सोचा है कि ये कौन बनाता है? अगर नहीं तो फिर पढ़ें यह खबर

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Nobel Pease Prize Portraits: हाल ही में आपने अलग-अलग कैटेगरी में नोबेल पीस प्राइज़ के विनर्स की तस्वीरें देखी होंगी. इन सभी की तस्वीरों में आपने एक चीज समान देखी होगी. वो यह कि सभी के पोट्रेट काले और गोल्डन रंग होते हैं. काले बॉर्डर के अंदर भरे सुनहरे रंग से बनी वो आकृतियां अब नोबेल प्राइज़ के पहचान से जुड़ गई हैं. हर साल विनर्स के नाम के ऐलान के साथ ही नोबेल प्राईज़ विनर्स की ऑफीशियल पिक्चर्स दुनिया भर के समाचार लेखों, न्यूज चैनलों, मैगज़ीन्स और सोशल मीडिया पर बेतहाशा नजर आने लगती हैं.

जगह-जगह एक जैसी तस्वीर देखकर शायद कभी आपके मन में यह सवाल आया होगा कि आखिर सभी की पोट्रेट इसी रंग के क्यों होते हैं, तो आज हम आपको इस सवाल का जवाब देंगे. जानना दिलचस्प है कि विजेताओं का इंतेख़ाब करने वाली कमेटी के मेंबरान के अलावा पोट्रेट बनाने वाला आर्टिस्ट ही दुनिया का वो इकलौता शख़्स है जो ये दावा कर सकता है कि उसे ऐलान से पहले ही विनर्स के नाम मालूम थे. 

नोबेल प्राइज के लिए आधिकारिक पोट्रेट बनाने वाले आर्टिस्ट स्वीडन के शहरी हैं. जिसका नाम निकलास एलमेहेड. साल 2021 में नोबेल प्राइज के ऑफिशियली सोशल मीडिया हैंडल्स से इस आर्टिस्ट के बारे में आम की गई थी. एलमेहेड साल 2012 से नोबल प्राईज़ के मुताल्लिक़ सभी विजुअल कंटेंट की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. 

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यहां एक और दिलचस्प पहलू के बारे में जान लेना ज़रुरी है कि आख़िर नोबल प्राईज़ विनर्स के पोट्रेट ही क्यों, फोटो क्यों नहीं? दरअसल फोटो के बजाय हाथ से बने पोट्रेट का ख़्याल ज़रुरत से उपजा है. साल 2012 से पहले नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नाम के ऐलान के साथ कैमरे से खींची गई नॉर्मल तस्वीर ही जारी की जाती थी लेकिन तब कई दिक्कतें आती थी. जैसे कि अवार्ड पाने वाले कई वैज्ञानिकों की तस्वीर हासिल करना बहुत मुस्किल था. ज्यादातर वैज्ञानिकों की तस्वीर बेहद खराब क्वालिटी की मिलती थी. जिसकी वजह से उनको पहचानना भी मुश्किल हो जाता था. ऐलान से पहले विजेताओं को भी पता नहीं होता कि वो विजेता हैं, इसलिए ताजा तस्वीरें भी मुमकिन नहीं था. फ़राहम तस्वीरों के साथ कॉपीराइट का बोहरान भी जुड़ा रहता था. लिहाज़ा तस्वीर के बजाए पोर्ट्रेट को तरजीह देना शुरु किया गया.

2012 में आर्टिस्ट निकलास एलमेहेड ने काले रंग के मार्कर से पहली बार पोट्रेट बनाया था. इसके अलावा एलमेहेड बताते हैं कि 2017 में तय किया गया कि नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नाम के ऐलान में मेन रंग सुनहरा होगा. यहीं से उन्हें पोट्रेट में सोने की पन्नी के इस्तेमाल का ख्याल आया है. पोट्रेट पर एक ख़ास गोंद लगाकर ऊपर से सोने की पन्नी लगाई जाती है. सफेद बैकग्राउंड पर काले बॉर्डर के बीच में भरा सोना, तस्वीर को बेहद दिलकश बनाता है.

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