पेट्रोल-डीजल के दामों में कटौती से लेकर इनकम टैक्स में छूट तक...नए साल में आम लोगों को कितनी मिलेगी राहत?
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पेट्रोल-डीजल के दामों में कटौती से लेकर इनकम टैक्स में छूट तक...नए साल में आम लोगों को कितनी मिलेगी राहत?

Fuel Price In India: अगर सरकार उत्पाद शुल्क में कटौती करती है तो पेट्रोल-डीजल का दाम भी कम होगा. उद्योग निकाय ने कहा है कि खपत बढ़ाने के लिए खासकर निम्न आय स्तर पर यह छूट दी जानी चाहिए, क्योंकि ईंधन की कीमतें महंगाई को काफी बढ़ाती हैं. 

पेट्रोल-डीजल के दामों में कटौती से लेकर इनकम टैक्स में छूट तक...नए साल में आम लोगों को कितनी मिलेगी राहत?

Budget 2025-26: महंगाई की मार झेल रहे आम लोगों को नए साल में बड़ी राहत मिल सकती है. भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने वित्त वर्ष 2025-26 के आम बजट के लिए अपने सुझावों में ईंधन पर उत्पाद शुल्क कम करने का सुझाव दिया है.

ऐसे में अगर सरकार उत्पाद शुल्क में कटौती करती है तो पेट्रोल-डीजल का दाम भी कम होगा. उद्योग निकाय ने कहा है कि खपत बढ़ाने के लिए खासकर निम्न आय स्तर पर यह छूट दी जानी चाहिए, क्योंकि ईंधन की कीमतें महंगाई को काफी बढ़ाती हैं. 

इसके अलावा सीआईआई ने कहा है कि बजट में 20 लाख रुपये प्रति वर्ष तक की पर्सनल इनकम के लिए मार्जिनल टैक्स रेट को कम करने पर भी विचार किया जा सकता है. इससे खर्च और हाई टैक्स इनकम के चक्र को गति देने में मदद मिलेगी. सुझावों में यह भी कहा गया कि व्यक्तियों के लिए उच्चतम सीमांत दर 42.74 प्रतिशत और सामान्य कॉरपोरेट कर दर 25.17 प्रतिशत के बीच का अंतर अधिक है. 

महंगाई की चजह से खरीद क्षमता कम

महंगाई ने निम्न और मध्यम आय वालों की खरीद क्षमता को कम कर दिया है. उद्योग निकाय ने कहा, "केंद्रीय उत्पाद शुल्क पेट्रोल के खुदरा मूल्य का लगभग 21 प्रतिशत और डीजल के लिए 18 प्रतिशत है. मई 2022 से इन शुल्कों को वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में लगभग 40 प्रतिशत की कमी के अनुरूप बदलाव नहीं किया गया है. 

ईंधन पर उत्पाद शुल्क कम करने से कुल महंगाई को कम करने और खर्च करने योग्य आय बढ़ाने में मदद मिलेगी. सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि घरेलू खपत भारत की वृद्धि यात्रा के लिए महत्वपूर्ण रही है, लेकिन महंगाई के दबाव ने उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को कुछ हद तक कम कर दिया है.

खर्च वाउचर शुरू करने का सुझाव

उन्होंने कहा कि सरकारी हस्तक्षेप के जरिये खर्च करने योग्य आय को बढ़ाने और आर्थिक गति को बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है. सीआईआई ने कम आय वाले समूहों को टारगेट करते हुए खर्च वाउचर शुरू करने का सुझाव दिया, ताकि तय अवधि में कुछ खास वस्तुओं और सेवाओं की मांग को बढ़ावा दिया जा सके. 

वाउचर को विशिष्ट वस्तुओं और सेवाओं पर खर्च करने के लिए तैयार किया जा सकता है और खर्च सुनिश्चित करने के लिए यह एक तय अवधि (जैसे 6-8 महीने) के लिए वैध हो सकता है. इसके अलावा सरकार से पीएम-किसान योजना के तहत वार्षिक भुगतान को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 8,000 रुपये करने का सुझाव भी दिया गया है.

 

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