Adani को लगा झटका, इन्होंने छोड़ दिया कंपनी का कामकाज; अब आगे क्या होगा?
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Adani को लगा झटका, इन्होंने छोड़ दिया कंपनी का कामकाज; अब आगे क्या होगा?

Adani Group: ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की रिपोर्ट में चिह्नित कुछ लेनदेन पर ‘डेलॉयट’के चिंता जताने के कुछ सप्ताह बाद यह घटनाक्रम सामने आया है. अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) ने डेलॉयट के कामकाज छोड़ने और ‘एम.एस.के.ए. एंड एसोसिएट्स’ की नए ऑडिटर के तौर पर नियुक्ति की पुष्टि की है.

Adani को लगा झटका, इन्होंने छोड़ दिया कंपनी का कामकाज; अब आगे क्या होगा?

Adani Share: अडानी ग्रुप को इस साल काफी उतार-चढ़ाव देखने पड़ रहे हैं. साल की शुरुआती महीनों में अडानी ग्रुप को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के कारण काफी बड़ा झटका लगा था. उस दौरान अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों पर नकारात्मक असर देखने को मिला था. वहीं अब एक बार फिर से अडानी ग्रुप की एक कंपनी को झटका लगा है. दरअसल, डेलॉयट ने अडानी ग्रुप की बंदरगाह कंपनी अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) के ऑडिट का कामकाज छोड़ दिया है.

इस बात की हुई पुष्टि
दरअसल, ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की रिपोर्ट में चिह्नित कुछ लेनदेन पर ‘डेलॉयट’के चिंता जताने के कुछ सप्ताह बाद यह घटनाक्रम सामने आया है. अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) ने डेलॉयट के कामकाज छोड़ने और ‘एम.एस.के.ए. एंड एसोसिएट्स’ की नए ऑडिटर के तौर पर नियुक्ति की पुष्टि की है. डेलॉयट 2017 से एपीएसईजेड की ऑडिटर थी. जुलाई 2022 में इसे पांच और साल का कार्यकाल दिया गया था.

ऑडिट समिति के साथ बैठक
एपीएसईजेड ने एक बयान में कहा, “एपीएसईजेड प्रबंधन और इसकी ऑडिट समिति के साथ डेलॉयट की हालिया बैठक में, डेलॉयट ने अन्य लिस्टेड अडानी पोर्टफोलियो कंपनियों के ऑडिटर के रूप में व्यापक ऑडिट भूमिका कटौती का संकेत दिया. ऑडिट समिति का विचार है कि ऑडिट कामकाज छोड़ने के लिए डेलॉयट ने जो कारण बताए हैं, वे ठोस या पर्याप्त नहीं हैं.” बता दें कि हिंडनबर्ग ने इस साल 24 जनवरी को अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर धोखाधड़ी, शेयरों में गड़बड़ी और काले धन को के आरोप लगाए थे. इसके साथ ही संबद्ध पक्षों के बीच लेन-देन की बात कही थी.

अडानी ग्रुप
हालांकि अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग के सभी आरोपों को आधारहीन बताया था. डेलॉयट का कहना था कि अडानी ग्रुप ने इन आरोपों की जांच स्वतंत्र बाहरी एजेंसी से कराना जरूरी नहीं समझा. इसका कारण उनका अपना आकलन और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की जारी जांच है. कंपनी ने अडानी पोर्ट्स के वित्तीय ब्योरे में कहा था, ‘‘समूह की तरफ से किया गया मूल्यांकन हमारे ऑडिट के उद्देश्यों के लिए पर्याप्त उचित साक्ष्य उपलब्ध नहीं करता है.’’

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