चालू व‍ित्‍त वर्ष में 6.3% की दर से बढ़ेगी इंड‍ियन इकोनॉमी, FICCI के सर्वे में अनुमान
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चालू व‍ित्‍त वर्ष में 6.3% की दर से बढ़ेगी इंड‍ियन इकोनॉमी, FICCI के सर्वे में अनुमान

GDP: सर्वे के अनुसार मौजूदा फाइनेंश‍िल ईयर में कृषि और संबद्ध गतिविधियों की औसत वृद्धि 2.7 प्रतिशत रह सकती है. यह आंकड़ा 2022-23 के चार प्रतिशत के मुकाबले काफी कम है.

चालू व‍ित्‍त वर्ष में 6.3% की दर से बढ़ेगी इंड‍ियन इकोनॉमी, FICCI के सर्वे में अनुमान

Indian Economy: फाइनेंश‍ियल सेक्‍टर की अच्छी सेहत और इनवेस्‍टमेंट में बढ़ोतरी के कारण मौजूदा फाइनेंश‍िल ईयर 2023-24 में देश की आर्थिक वृद्धि दर (Economic Growth Rate) 6.3 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. उद्योग निकाय फिक्की (FICCI) के एक सर्वे में यह अनुमान लगाया गया है. सर्वे में यह भी कहा गया क‍ि अर्थव्यवस्था के सामने गिरावट का खतरा बना हुआ है. फिक्की (FICCI) के इकोनॉम‍िक आउटलुक सर्वे के ताजा दौर में 2023-24 के लिए सालाना एवरेज जीडीपी (GDP) की वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत आंकी गई है.

अधिकतम 6.6 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान

जीडीपी में न्यूनतम छह प्रतिशत और अधिकतम 6.6 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है. सर्वे के अनुसार मौजूदा फाइनेंश‍िल ईयर में कृषि और संबद्ध गतिविधियों की औसत वृद्धि 2.7 प्रतिशत रह सकती है. यह आंकड़ा 2022-23 के चार प्रतिशत के मुकाबले काफी कम है. सर्वे से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष में इंडस्‍ट्री और सर्व‍िस सेक्‍टर में क्रमशः 5.6 प्रतिशत और 7.3 प्रतिशत का इजाफा होने का अनुमान है.

कम मानसून ने विकास के लिए नकारात्मक जोखिम पैदा किया
रिपोर्ट में कहा गया क‍ि 'भूराजनीतिक तनाव के कारण लगातार प्रतिकूल परिस्थितियां, चीन में धीमी वृद्धि, मौद्रिक सख्ती का कम असर और सामान्य से कम मानसून ने विकास के लिए नकारात्मक जोखिम पैदा किया है.' सर्वे के अनुसार, औसत जीडीपी की व‍िकास दर 2023-24 की दूसरी और तीसरी त‍िमाही में 6.1% और 6% तक रहने का अनुमान है. इस सर्वे को स‍ितंबर के महीने में क‍िया गया था. 

इसमें इंडस्‍ट्री, बैंकिंग और फाइनेंश‍ियल सर्व‍िस सेक्‍टर का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख अर्थशास्त्रियों की प्रतिक्रियाओं को शाम‍िल क‍िया गया है. मूल्‍य में बढ़ोतरी पर सर्वे में ह‍िस्‍सा लेने वालों ने सुझाव द‍िया क‍ि महंगाई की द‍िशा अन‍िश्‍च‍ित बनी हुई है. इसमें कहा गया है कि सीपीआई (CPI) बेस्‍ड महंगाई दर भले ही चरम पर पहुंच गई है, लेकिन कीमत में बढ़ोतरी का जोखिम अभी भी बना हुआ है. (इनपुट भाषा से भी)

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