म्यूचुअल फंड कर्मचारियों के लिए निवेश नियमों में होगा बदलाव! SEBI ने रखा यह प्रस्‍ताव
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म्यूचुअल फंड कर्मचारियों के लिए निवेश नियमों में होगा बदलाव! SEBI ने रखा यह प्रस्‍ताव

Sebi Norms: अभी सीईओ, सीआईओ और ट्रेजरी मैनेजर जैसे पदों पर काम करने वाले एमएफ कर्मचारियों को सालाना वेतन और भत्तों का 20 प्रतिशत उन म्यूचुअल फंड में निवेश करना होता है, जिनको वे मैनेज करते हैं.

 

म्यूचुअल फंड कर्मचारियों के लिए निवेश नियमों में होगा बदलाव! SEBI ने रखा यह प्रस्‍ताव

Mutual Funds: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड कंपनियों के नॉम‍िनेट‍िड कर्मचारियों के लिए ‘जोखिम एवं जिम्मेदारी के बीच संबंध’ संबंधी नियम को आसान बनाने के लिए कुछ प्रस्ताव रखे. ये प्रस्ताव म्यूचुअल फंड (MF) कंपनियों के कर्मचारियों के लिए जरूरी निवेश प्रतिशत को कम करने, इसे सैलरी कैटेगरी के आधार पर लागू करने और न्यूनतम निवेश गणना से ईएसओपी जैसे घटकों को बाहर करने से संबंधित हैं. इन प्रस्तावों का उद्देश्य खासकर कम वेतन वाले और परिचालन भूमिकाओं में कार्यरत कर्मचारियों के लिए नियम अनुपालन को आसान बनाना है.

तीन साल के लिए ‘लॉक-इन’ रहता है यह पैसा

फिलहाल सीईओ, सीआईओ और कोष प्रबंधक जैसे पदों पर कार्यरत एमएफ कर्मचारियों को अपने सालाना वेतन एवं भत्तों का 20 प्रतिशत उन म्यूचुअल फंड में निवेश करना होता है जिनको वे मैनेज करते हैं. यह राशि तीन साल के लिए ‘लॉक-इन’ रहती है. सेबी ने अपने परामर्श पत्र में कहा कि न्यूनतम अनिवार्य निवेश राशि को 20 प्रतिशत से घटाया जा सकता है और कर्मचारियों के कुल वेतन के आधार पर स्लैब के हिसाब से इसे लागू किया जा सकता है.

50 लाख तक की सैलरी वालों के ल‍िए 10 प्रत‍िशत
सेबी ने सुझाव दिया कि 25 लाख रुपये से कम आय वाले कर्मचारियों के लिए कोई जरूर निवेश नहीं होगा जबकि 25-50 लाख रुपये के बीच वेतन वाले 10 प्रतिशत, 50 लाख रुपये-एक करोड़ रुपये वाले 14 प्रतिशत और एक करोड़ रुपये से अधिक वेतन वाले 18 प्रतिशत निवेश करेंगे. इसके अलावा नियामक ने सीओओ और बिक्री प्रमुख जैसे गैर-निवेश कर्मचारियों के लिए जरूरी निवेश शर्तों को शिथिल करने और फंड कंपनियों के अंदर हर कर्मचारी की भूमिका एवं गतिविधियों के आधार पर लचीलेपन की अनुमति देने का प्रस्ताव भी रखा है.

अभी निवेश का समान प्रतिशत जरूरी
मौजूदा नियमों के तहत म्यूचुअल फंड को मैनेज करने वाली कंपनी के सभी नामित कर्मचारियों के लिए निवेश का समान प्रतिशत जरूरी है. इसके साथ ही सेबी ने कर्मचारी शेयर विकल्प योजना (ESOP) जैसे गैर-नकद घटकों को न्यूनतम निवेश गणना से बाहर करने का सुझाव दिया है. इसके अलावा सेबी ने प्रतिबंधों के तहत कर्मचारियों के इस्तीफा देने पर यूनिट को समय से पहले जारी करने की अनुमति देने का प्रस्ताव किया है.

मौजूदा नियमों के तहत यदि कर्मचारी सेवानिवृत्ति की आयु से पहले नौकरी छोड़ देते हैं तो उन्हें आवंटित यूनिट लॉक हो जाती हैं. सेवानिवृत्त होने की स्थिति में क्लोज-एंडेड योजनाओं को छोड़कर लॉक-इन हटा दिया जाता है. (भाषा)

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