Success Story: मां ने मजदूरी कर बेटी को पढ़ाया, दिव्या पहले UPSC पास कर बनीं IPS और फिर IAS
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Success Story: मां ने मजदूरी कर बेटी को पढ़ाया, दिव्या पहले UPSC पास कर बनीं IPS और फिर IAS

IPS Divya Tanwar: दिव्या ने अपनी प्राथमिक शिक्षा निम्बी जिले के मनु स्कूल से की और बाद में परीक्षा पास कर नवोदय विद्यालय में दाखिला लिया. उन्होंने अपना ग्रेजुएशन बीएससी में गवर्नमेंट पीजी कॉलेज से किया है.

Success Story: मां ने मजदूरी कर बेटी को पढ़ाया, दिव्या पहले UPSC पास कर बनीं IPS और फिर IAS

Success Stories UPSC: यूपीएससी का एग्जाम क्लियर करने के लिए कैंडिडेट्स दिन रात मेहनत करते हैं लेकिन सफलता कितनों को मिलती है यह तो आप जानते ही होंगे. आज हम आपको एक ऐसी कैंडिडेट की सक्सेस स्टोरी बता रहे हैं जिन्होंने पहले ही अटेम्प्ट में यूपीएससी पास किया और IPS अफसर बन गईं. दिव्या तंवर अब एक IAS अधिकारी बनने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, क्योंकि उन्होंने AIR 105 के साथ UPSC परीक्षा 2022 को क्रैक किया है. 

हरियाणा के महेंद्रगढ़ की दिव्या अपने भाई बहनों में सबसे बड़ी हैं और अपनी मां और दो छोटे भाई-बहनों के साथ रहती हैं. वे बेहद साधारण परिवार से आती हैं और यह उनकी सिविल सेवा परीक्षा में पहला अटेम्प्ट था. अपने पहले अटेम्ट में ही दिव्या ने आईपीएस (IPS Divya Tanwar) का पद प्राप्त कर लिया. दिव्या की उम्र बहुत छोटी थी जब उनके सिर से पिता का साया उठ गया उसके बाद से उनकी मां ने दूसरों के खेतों में मजदूरी कर अपना घर चलाया और अपने बच्चों का पालन-पोषण किया.

मेहनत से लिया नवोदय में दाखिला
दिव्या ने अपनी प्राथमिक शिक्षा निम्बी जिले के मनु स्कूल से की और बाद में परीक्षा पास कर नवोदय विद्यालय में दाखिला लिया. उन्होंने अपना ग्रेजुएशन बीएससी में गवर्नमेंट पीजी कॉलेज से किया है. दिव्या अक्सर बच्चों को पढ़ाया भी करती थीं. उनका मानना है कि परीक्षा पास करने में किस्मत से ज्यादा मेहनत का रोल होता है. यदि किसी ने ठान लिया कि यह करना है तो वह मेहनत के दम पर वह हासिल कर ही लेता है.

10 घंटे करती थी पढ़ाई
दिव्या का घर बहुत छोटा है लेकिन उन्होंने वहीं रहकर तैयारी की. तैयारी के लिए उन्होंने किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया और सेल्फ स्टडी की मदद से अपने लक्ष्य को हासिल किया. अगर बात उनकी पढ़ाई की हो तो वे रोज 10 घंटे पढ़ती थी और घर से कभी बाहर नहीं जाती थी. खाना, पढ़ना और सोना, बस यही उनकी तैयारी का शेड्यूल रहा. दिव्या अपनी मां को अपनी सफलता का क्रेडिट देती हैं जिन्होंने अपनी बेटी का हाथ हमेशा थामे रखा और कभी पिता की कमी महसूस नहीं होने दी. उनकी मां ने खुद मजदूरी की लेकिन दिव्या की तैयारी में कोई समस्या पैदा नहीं होने दी.

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