">Lok Sabha Chunav: किस वजह से खारिज हो जाता है किसी का नामांकन? कौन लड़ सकता है चुनाव; पढ़ें पूरी प्रक्रिया
What are the rules for rejecting candidatures?: उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले कॉमेडियन श्याम रंगीला का पर्चा निरस्त हो गया है. जांच के बाद श्याम रंगीला का पर्चा खारिज किया गया है. सभी के दिमाग में एक बात आती है, आखिर नामांकन किस आधार पर खारिज होता है, क्या है नियम, पढ़े पूरी डिटेल्स.
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Details of reason for rejection of Nominations: मिमिक्री आर्टिस्ट श्याम रंगीला का वाराणसी से नामांकन खारिज हो गया है. जिसके बाद सभी लोग इस बात की जानकारी करने लगे कि आखिर किस आधार पर श्याम का नामांकन पत्र खारिज कर दिया गया, और चुनाव लड़ने का सपना टूट गया. तो आज हम आपको बताएंगे कि चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को नामांकन पत्र जमा करने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, किस आधार पर आपका नामांकन हो सकता है खारिज, कौन लड़ सकता है चुनाव, चुनाव आयोग इन प्रत्याशियों से कौन-कौन सी जानकारी मांगता है. पढ़े चुनाव लड़ने की पूरी प्रकिया.
सबसे पहले जानें कौन लड़ सकता है चुनाव?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 84-ए में यह बताया गया है कि कौन संसद का सदस्य बनने के योग्य है. इसके अनुसार जो व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है, उसे चुनाव लड़ने का कोई अधिकार नहीं है. लोकसभा, विधानसभा चुनाव में बतौर प्रत्याशी उतरने के लिए न्यूनतम उम्र 25 वर्ष निर्धारित की गई है, इससे कम उम्र का शख़्स चुनाव नहीं लड़ सकता है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 4(डी) के अनुसार, जिस व्यक्ति का नाम संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में नहीं है, वह चुनाव नहीं लड़ सकता है. साथ ही वह व्यक्ति जिसे किसी मामले में दो साल या उससे अधिक की सज़ा हुई है, वह चुनाव नहीं लड़ सकता है.
वोटर लिस्ट में नाम होना जरूरी
लोकसभा चुनाव की तारीखों के घोषणा के साथ ही नामांकन पत्र भरने के प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है. इसके तहत कोई भी भारतीय नागरिक लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भरकर चुनाव लड़ने के लिए दावेदारी कर सकता है. इसके लिए शर्त होती है कि उसका नाम वोटर लिस्ट में हो.
सबसे पहले भरना होता है नामांकन पत्र
रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट 1951 के तहत चुनावी अधिसूचना जारी होने के बाद नामांकन की प्रक्रिया शुरू होती है. जिसके बाद ही प्रत्याशी या उनके प्रस्तावक को चुनाव आयोग द्वारा तय की गई नामांकन की आख़िरी तारीख तक अपना पर्चा रिटर्निंग ऑफ़िसर या फिर असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफ़िसर को सौंपना होता है. प्रस्तावक वह हो सकता है जो उस क्षेत्र के मतदाता हो, जहाँ से प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं.
10 प्रस्तावक की होती है जरूरत
अगर किसी मान्य राजनीतिक पार्टी का प्रत्याशी नामांकन दाखिल करता है तो उन्हें केवल एक प्रस्तावक की ज़रूरत है. लेकिन निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के नामांकन पत्र पर प्रस्तावक के तौर पर उस क्षेत्र के 10 मतदाताओं के हस्ताक्षर की ज़रूरत पड़ती है. आरक्षित चुनावी क्षेत्रों से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को अपने नामांकन पत्र में ये बताना अनिवार्य है कि वे अनुसूचित जाति या जनजाति से हैं.
देना होता है हलफनामा और जमानत राशि
प्रत्याशी जब नामांकन पत्र जमा करने जाता है तो उसके साथ जमानत राशि और हलफनामा भी देना होता है, नामांकन पत्र और जमानत राशि जिला निर्वाचन अधिकारी को देनी होती है, जो पहले से ही तय है. मौजूदा समय में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशियों को 25 हज़ार और विधानसभा चुनाव के लिए 10 हज़ार रुपये ज़मानत राशि जमा करनी होती है.
एससी और एसटी को जमानत राशि में छूट
लेकिन एससी और एसटी वर्ग के प्रत्याशियों के लिए ये राशि आधी होती है. हलफ़नामे में उम्मीदवार को अपनी आय-व्यय, पैन-आधार जैसा पूरा ब्योरा देना होता है. साथ ही अपने पति/पत्नी और आश्रित बच्चों, किसी तरह के वित्तीय देनदारी आदि के बारे में भी जानकारी देनी होती है.
देना होता है प्रत्याशी को पूरा ब्यौरा
उम्मीदवारों के पास कितने हथियार हैं, कितने ज़ेवर हैं और शैक्षणिक योग्यता जैसी जानकारी भी प्रत्याशियों को बतानी होती है. अगर उम्मीदवार पर किसी तरह का आपराधिक मुक़दमा है, जो इसके बारे में भी चुनावी हलफ़नामे में बताना होता है. हालांकि, अगर किसी शख़्स को आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया हो, या उसे कम से कम दो साल की सज़ा हुई हो तो वह चुनाव नहीं लड़ सकते. नामांकन दाखिल करने के बाद रिटर्निंग ऑफ़िसर रसीद देते हैं. कोई नेता अधिकतम दो सीटों से लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं.
नामांकन पत्र क्यों हो जाता है खारिज
एक बार जब प्रत्याशी अपना नामांकन पत्र जिला निर्वाचन आयोग को दे आता है, उसके बाद बाद चुनाव आयोग प्रत्याशियों की हर एक जानकारी को बारीकी से जांचता है. इस प्रक्रिया को स्क्रूटनी कहते हैं. इस जांज के दौरान कई प्रत्याशियों के नामांकन खारिज हो जाते हैं.
किस आधार पर होते हैं नामांकन खारिज
नामांकन पत्र वापस लेने की क्या है प्रकिया
जो भी प्रत्याशी चुनाव लड़ रहा है, वह अपना नामांन पत्र वापस ले सकता है, लेकिन इसके लिए कुछ नियम भी है.
पार्टी के आधार पर मिलेगा सिंबल
देश की राजनीतिक पार्टियां अपने उम्मीदवार घोषित करती हैं. अपने सिंबल पर चुनाव मैदान में उतारती हैं. इसे ही पार्टी का टिकट मिलना भी कहते हैं. नामांकन के दौरान प्रत्याशी पार्टी (दल) के सिंबल के साथ नामांकन पत्र जमा करते हैं. इसके बाद इलेक्शन कमीशन उनको उसी संबंधित पार्टी का चुनाव चिह्न देता है. अगर आप बिना किसी पार्टी के चुनाव लड़ रहे हैं तो आपको चुनाव आयोग तय करके चुनाव निशान देगा, जिसे आप मना नहीं कर सकते. चुनाव आयोग की ओर से अधिसूचना के साथ जारी कुछ फ़्री सिंबल में से भी किसी एक को चुन सकते हैं. यह जरूर विकल्प आपके पास होता है.
जानें श्याम रंगीला का क्यों नामांकन हुआ खारिज
कॉमेडियन श्याम रंगीला का नामांकन खारिज हो गया है. उन्होंने वाराणसी से पर्चा भरा था. जांच के बाद श्याम रंगीला का पर्चा खारिज हो गया. जांच के बाद श्याम रंगीला का पर्चा खारिज किया गया है. जानकारी यह आई कि वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर ने उनका नामांकन इस आधार पर खारिज कर दिया कि यह “अधूरा” था. जिसमें उन्होंने नामांकन के साथ शपथ पत्र नहीं दिया था.