Amitabh Bachchan Career: अमिताभ बच्चन को लेकर जितनी फिल्में बनी हैं, उससे कई गुना ज्यादा तो सिर्फ सोची रह गईं. अमिताभ बच्चन तक पहुंचना और अपनी स्क्रिप्ट सुनाना कोई आसान काम नहीं है. उस पर यह स्क्रिप्ट उन्हें पसंद भी आनी चाहिए.
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Tinnu Anand Amitabh Bachchan Films: अमिताभ बच्चन को फिल्म इंडस्ट्री में पचास साल से ज्यादा हो चुके हैं. वह लगातार काम करते रहे हैं और ढेर सारे नए-पुराने निर्देशकों के साथ उन्होंने फिल्में बनाई हैं. आज जब वह उम्र के 80 बरस पार कर चुके हैं, तब भी ऐसे सैकड़ों निर्माता-निर्देशक हैं जो उनके साथ कम से कम एक फिल्म बनाना चाहते हैं. उन्हें मिलकर अपनी फिल्म की कहानी या स्क्रप्ट सुनाना चाहते हैं. अमिताभ जब अपने करियर के शिखर पर थे, तब टीनू आनंद जैसे निर्देशक को भी उन्हें अपनी कहानी सुनाने के लिए महीनों लग गए. टीनू आनंद फिल्म राइटर इंदर राज आनंद के बेटे थे और उनके पास अमिताभ के लिए एक कहानी थी, कालिया.
आखिर पकड़ लिया डॉन को
टीनू आनंद तब स्टूडियो-स्टूडियो अमिताभ का पीछा करते थे. हालांकि यह वही टीनू थे, जिनकी वजह से अमिताभ बच्चन को 1971 में उनकी डेब्यू फिल्म सात हिंदुस्तानी मिली थी. 1979 में टीनू आनंद शशि कपूर, ऋषि कपूर और नीतू सिंह को लेकर दुनिया मेरी जेब में बना चुके थे और अमिताभ के साथ अगली फिल्म बनाना चाहते थे. अमिताभ हर बार उन्हें आज नहीं कल कह कर टाल दिया करते थे क्योंकि समय उनके पास भी नहीं था. वह बेहद व्यस्त रहा करते थे. लेकिन आखिर में हुआ यह कि फिल्म डॉन के सैट पर टीनू आनंद ने अमिताभ बच्चन को पकड़ लिया और अपनी फिल्म कालिया की स्क्रिप्ट सुना दी.
जब टीनू सुना रहे थे स्क्रिप्ट...
असल में यहीं एक ऐसी बात पता चलती है कि अमिताभ बच्चन जब स्क्रिप्ट या कहानी सुनते हैं तो उन्हें देखकर ही उनकी पसंद या नापसंद का पता चल जाता है. जब टीनू आनंद ने अमिताभ को पूरी स्क्रिप्ट सुना दी तो वह चुपचाप बैठे रहे. टीनू आनंद ने कुछ पल उन्हें देखा और कहा कि अब आपको मुझे यह कहने की जरूरत नहीं कि स्क्रिप्ट पसंद आई है क्योंकि मैं जानता हूं कि आपको यह बहुत ज्यादा पसंद आई है. अमिताभ हैरान रह गए कि टीनू ने कैस यह बात समझ ली. उन्होंने टीनू आनंद से पूछा कि ये बात आपको कैसे पताॽ इस पर टीनू आनंद ने कहा कि कुछ लोगों ने मुझे पहले ही बता दिया था कि अगर अमिताभ स्क्रिप्ट सुनते हुए आसमान की तरफ देखने लगें या फिर अपने बालों को ठीक करने में लग जाएं तो इसका मतलब है कि उन्होंने स्क्रिप्ट को रिजेक्ट कर दिया है. मुझे खुशी है कि जब मैं स्क्रिप्ट सुना रहा था आपने ये दोनों ही चीजें नहीं की. अमिताभ सुन कर हैरान हुए और उन्हें टीनू आनंद का आत्मविश्वास भी अच्छा लगा. उन्होंने टीनू आनंद की यह फिल्म साइन कर ली. 1981 में रिलीज हुई यह फिल्म न केवल हिट रही, बल्कि इसके डायलॉग भी लोगों ने खूब पसंद किए.
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