30 साल में इस एक्टर ने स्टारडम को मारी लात, फिर ऐसे बना 3300 करोड़ का मालिक
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30 साल में इस एक्टर ने स्टारडम को मारी लात, फिर ऐसे बना 3300 करोड़ का मालिक

Arvind Swamy ऐसा सितारा है जिन्होंने करियर के पीक पर फिल्मों से ब्रेक लिया और फिर कम उम्र में करोड़ों का बिजनेस अंपायर खड़ा किया. इसके बाद अब फिल्मों में जबरदस्त दोबारा कमबैक किया. लेकिन अचानक इंडस्ट्री की ऐसी क्या वजह थी कि अरविंद ने बढ़ते स्टारडम को छोड़कर बिजनेस का रुख किया.

अरविंद स्वामी

Arvind Swamy: सिनेमाजगत में कई ऐसे सितारे हैं जिन्होंने एक्टिंग में तो वाहवाही लूटी ही लेकिन साथ ही साथ बिजनेस में भी खूब नाम कमाया. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे एक्टर के बारे में बताएंगे जिसने अपने करियर की शुरुआत में बेहतरीन फिल्में दी. 30 साल की उम्र में काफी बड़ा बिजनेस अंपायर खड़ा किया और फिर दोबारा से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा. इतना ही नहीं ये वो एक्टर है जो उस वक्त रजनीकांत और ममूटी जैसे एक्टरों से टकराया और चमकता हुआ सितारा बना, जिसका नाम अरविंद स्वामी (Arvind Swamy) है. जानिए अरविंद स्वामी ने क्यों हिट होते ही सिनेमाजगत छोड़ा और किस तरह से बिजनेस खड़ा किया.

थलापति से की करियर की शुरुआत
अरविंद स्वामी (Arvind Swamy) ने महज 20 साल की उम्र में साल 1991 में अपने करियर की शुरुआत की. ये फिल्म मणिरत्नम की थी जिसका नाम 'थलापति' था. इस फिल्म में अरविंद ने महाभारत के अर्जुन से इंस्पायर किरदार निभाया था. इसके बाद मणिरत्नम की फिल्म 'रोजा' और 'बॉम्बे' ने फिल्में भी सुपरहिट रहीं. इन दोनों ही फिल्मों अरविंद की पकड़ मजबूत कर दी और बेहतरीन अभिनेता के रूप में उभर कर सामने आए. अरविंद का स्टारडम उस वक्त और बढ़ा जब वो राष्ट्रिय पुरस्कार विजेता फिल्म 'मिनसारा कनावु' में काजोल के साथ दिखे. इसके अलावा 'सात रंग के सपने' फिल्म से हिंदी स्ट्रीम में एंट्री ली. अरविंद के बढ़ते स्टारडम की वजह से उन्हें लोग साउथ के दो दिग्गज एक्टर रजनीकांत और कमल हासन का उत्तराधिकारी तक मानने लगे थे.

 

 
 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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अचानक छोड़ी एक्टिंग
लेकिन अचानक अरविंद स्वामी (Arvind Swamy) ने इंडस्ट्री से दूरी बना ली.उस वक्त उनकी उम्र महज 30 साल थी. उस वक्त ऐसी खबरें आईं कि अरविंद डिप्रेशन से जूझ रहे हैं. इसके पीछे की वजह 90 के दशक में करियर में आया अचानक डाउनफॉल भी हो सकता है. कई फिल्में फ्लॉप हुईं तो वहीं दो फिल्मों को बनने में करीबन दो साल का लंबा वक्त लग गया. गिरते करियर और खोते स्टारडम की वजह से साल 2000 में एक्टिंग से दूरी बनाने के फैसले ने फैंस को हैरान कर दिया था. 

 

 

खड़ा किया खुद का बिजनेस
इसके बाद अरविंद स्वामी (Arvind Swamy) ने अपने पिता के बिजनेस की ओर ध्यान देना शुरू किया. वी डी स्वामी एंड कंपनी और इंटरग्रो ग्लोबल पर पूरी तरह से फोकस किया. यहां तक कि साल 2000 की शुरुआत में भी वो काफी सक्सेसफुल बिजनेसमै बन चुके थे. इसके बाद साल 2005 में अपना बिजनेस शुरू किया और उसमें भी खूब सफल रहे. लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था. 2005 में अरविंद का एक्सीडेंट हो गया और उनका पैर आंशिक तौर पर पैरालाइज्ड हो गया. लेकिन अरविंद ने हार नहीं मानी. एक्सीडेंट से पहले पेरोल प्रोसेसिंह और अस्थायी स्टाफिंग में लगी कंपनी टैलेंट मैक्सिमस की स्थापना की थी. कई पोर्टल के अनुसार 2022 में टैलेंट मैक्सिमस का रेवेन्यू 3300 करोड़ था. खास बात है कि पैरालाइज्ड होने के बाद भी अरविंद इन सभी कंपनी में एक्टिव रहे.

दोबारा किया जबरदस्त कमबैक
साल 2013 के बाद अरविंद स्वामी (Arvind Swamy) ने फिल्मों में फिर से जबरदस्त कमबैक किया. लेकिन इस बार वो फिल्मों को लेकर काफी सिलेक्टिव हो गए. मणिरत्नम की 'कदल' के बाद बॉलीवुड में साल 2021 में आई फिल्म 'थलाइवी' में एमजी रामचंद्रन का रोल निभाया. फिलहाल अरविंद स्वामी के पास इस वक्त तीन बड़े प्रोजेक्ट हैं. जिसमें Naragasooran, Kallapart और Sathuranga Vettai 2 शामिल है. 

 

 

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