Japan recession: जीडीपी की गिरावट ने जापान से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का ताज छीन लिया है. अब जर्मनी ने जापान की जगह ले ली है. भारत, लगातार आगे बढ़ते हुए ग्लोबल इकोनॉमी (Global economy) यानी वैश्विक अर्थव्यवस्था के टॉप चार्ट में 5वें नंबर पर मजबूती से पैर जमाए हुए है.
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Germany overtakes Japan economy: सुपर पावर अमेरिका अपने डॉलर के दम पर वर्ल्ड इकोनॉमी का सरताज बना हुआ है. कोरोना महामारी के बाद चीन ने खुद को शानदार तरीके से संभाला है. शी जिनपिंग की सरकार ने लड़खड़ाती इकोनॉमी को और नीचे धंसने से बचा लिया है. जापान की इकोनॉमी मंदी की चपेट में आ गई है. दरअसल बीती दो तिमाहियों में जापान की जीडीपी की गिरावट ने उससे दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का खिताब छीन लिया है. अब जर्मनी दुनिया का तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. पिछली तिमाही में 3.3% की गिरावट के बाद अक्टूबर-दिसंबर की अवधि में जापान का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) सालाना 0.4% गिर गया था.
कभी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था जापान, 14 साल में लगा दूसरा तगड़ा झटका
सीएनएन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक 4.2 ट्रिलियन यूएस डॉलर वाले देश जापान को बीते कुछ सालों से कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. जापान में बर्थ रेट कम होने से जनसंख्या लगातार घट रही है. बुजुर्ग आबादी बढ़ गई है. वर्क फोर्स कम हो गया है. जापान ने 2023 की आखिरी तिमाही में अपनी इकोनॉमी में 0.1 प्रतिशत की गिरावट को देखा. 1960 के दशक के अंत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने से लेकर चौथे स्थान पर खिसकने तक जापान सफर एक जटिल आर्थिक इतिहास को बता रहा है.
ताजा आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका, चीन और अब जर्मनी के बाद जापान दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जापान, 2023 में जर्मनी की इकोनॉमी के साइज से पीछे हो गया है. आंकड़े बताते हैं कि जापानियों की वर्तमान स्थिति कैसी है? बाजार के विश्लेषकों का कहना है कि जापान की अर्थव्यवस्था ने धीरे-धीरे अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता और प्रोडक्टिविटी दोनों खो दी है.
15 दिन पहले जर्मनी से आगे था जापान, अब गया पिछड़
चीनी अर्थव्यवस्था के बढ़ने के कारण 2010 में जापान, अमेरिका के बाद दूसरे स्थान की अर्थव्यवस्था से गिरकर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर आ गया था. 2023 के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने जापान के चौथे स्थान पर गिरने का जो अनुमान लगाया था. वो सही साबित हुआ. जापान की नाममात्र जीडीपी पिछले साल कुल 4.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर या लगभग 591 ट्रिलियन येन थी. वहीं 15 दिन पहले की बात करें तो पिछले महीने घोषित जर्मनी के करेंसी चेस्ट और करेंसी पावर के डाटा के आधार पर जर्मनी की इकोनॉमी करीब 4.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर थी.
जिस जीडीपी में कमी से पिछड़ा जापान उसके बारे में जानिए
जीडीपी किसी देश की अर्थव्यवस्था का आकलन करने का एक प्रमुख पैमाना होता है. कमजोर घरेलू खपत के कारण जापान की अर्थव्यवस्था अप्रत्याशित रूप से सिकुड़ गई है, जिससे देश मंदी की ओर बढ़ गया है.
टॉप 5 को जानिए, भारत की स्थिति को समझिए
करीब 27 ट्रिलियन यूएस डॉलर की जीडीपी के साथ Top पर है. कुछ समय पहले अमेरिका की वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर 1.6 फीसदी थी. साल 1969 में ही अमेरिका एक ट्रिलियन यूएस डॉलर की जीडीपी तक पहुंच गया था. चीन की जीडीपी 17.7 ट्रिलियन यूएस डॉलर है. इस देश की वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर 5.2% है. जर्मनी की जीडीपी की बात करें तो मौजूदा समय में वहां की जीडीपी 4.4 ट्रिलियन यूएस डॉलर है. जर्मनी की वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर -0.1 फीसदी है.
जर्मनी-जापान को पीछे छोड़ देगा भारत
करीब दस साल पहले, भारत दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था. आज पांचवें पायदान पर मजबूती से टिका हुआ है. पीएम मोदी ने 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य दिया है. लेकिन जिस तेजी से बीते 10 सालों में भारत 10वें से अब 5वें नंबर पर आया है. उसने 140 करोड़ भारतीयों की उम्मीदों को और बढ़ा दिया है. कोरोना महामारी के बावजूद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ता जा रहा है. उस हिसाब से भारत जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन सकता है.
वर्ल्ड ऑर्डर में कोई खास बदलाव नहीं
बढ़ती युवा आबादी और उच्च विकास दर के साथ भारत इस 2030 तक अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की सबसे बड़ी तीसरी अर्थव्यवस्था बन सकता है. ऐसे में भारत के अगले चंद सालों में जापान और जर्मनी दोनों को पीछे छोड़ देने का अनुमान है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का अनुमान है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2026 में जापान और 2027 में जर्मनी से आगे निकल जाएगी. आज भी दुनिया का करीब 70% अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय अमेरिकी डॉलर में होता है. इस वजह से सुपर रिच अमेरिका नंबर वन है. ऐसे में फिलहाल वर्ल्ड ऑर्डर में अमेरिका नंबर वन और चीन के नंबर टू पर बने रहने पर कोई खतरा नहीं है.