हार्ट इंफेक्शन के कारण खतरनाक स्थिति हो सकती है, लेकिन ई-सीपीआर देखकर पेशेंट की जान बचाई जा सकती है. ऐसी ही तकनीक से एक 11 साल की बच्ची को नई जिंदगी मिल गई.
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What is E-CPR: दिल्ली के एक निजी अस्पताल में डॉक्टर्स ने एक 11 साल की लड़की की जान बचाई, जब वो दिल का दौरा पड़ने की कगार पर थी. मरीज को वायरल इंफेक्शन हुआ था जिसके कारण मायोकार्डिटिस, यानी दिल की मांसपेशियों की सूजन हो गई थी. तकरीबन हर एक लाख में से 20 लोग इससे प्रभावित होते हैं. डॉक्टर्स के मुताबिक लड़की को वायरल मायोकार्डिटिस (Viral Myocarditis) के कारण तेज सीने में दर्द हुआ और वो हार्ट फेलियर की कगार पर थी. हालांकि, ई-सीपीआर या 'एक्स्ट्राकोर्पोरियल कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन' नामक एक प्रक्रिया की मदद से उसकी जान बचाई जा सकी.
क्या है ई-सीपीआर?
ई-सीपीआर कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में लाइफ सेविंग टेक्नोलॉजी है. सर गंगा राम अस्पताल में पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मृदुल अग्रवाल (Dr. Mridul Agarwal) ने टीओआई से कहा, "इस लड़की की शायद ईसीएमओ (ECMO) यानी एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन (Extracorporeal membrane oxygenation) के वक्त पर सपोरट के बिना जिंदा नहीं रह पाती, जो एक तरह का आर्टिफीशियल लाइफ सपोर्ट है जो फेफड़े और दिल ठीक से काम नहीं करने वाले इंसान की मदद कर सकता है." ईसीएमओ एक खास तरह का ई-सीपीआर (E-CPR) एक्सट्रीम इमरजेंसी में जान बचाने का तरीका हो सकता है जब पारंपरिक विधि फेल हो जाए.
बिगड़ गई थी हालत
लड़की को शुरुआत में दो इमरजेंसी रूम में ले जाया गया, जहां डॉक्टर्स का मानना था कि उसके सीने का दर्द पेट की समस्या के कारण है. उसका उसी के मुताबिक इलाज किया गया, लेकिन जब उसकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो उसे सर गंगा राम अस्पताल लाया गया. एक ईसीजी ने एक चिंताजनक स्थिति का संकेत दिया, जिसके कारण उसे एडिशनल टेस्ट के लिए तुरंत भर्ती कराया गया. एक इकोकार्डियोग्राम से पता चला कि उसका दिल सामान्य क्षमता का सिर्फ 25% काम कर रहा था. जब उसे गंभीर हार्ट रिदम प्रॉब्लम होने लगी तो उसके हालात बिगड़ गए. डॉक्टर अग्रवाल ने कहा कि लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए दवा के बावजूद भी उसकी स्थिति बिगड़ती रही और उसका ब्लड प्रेशर बहुत कम हो गया.
बच गई जान
हार्ट फेलियर के क्रिटिकल रिस्क का सामना करते हुए, पीडियाट्रिक कार्डियक साइंस के चेयरमैन डॉ. राजा जोशी (Dr. Raja Joshi) के नेतृत्व वाली टीम ने ईसीएमओ की प्रक्रिया शुरू की. उन्होंने कहा कि ईसीएमओ पर सात इंटेंस दिनों के बाद, उनके दिल में काफी सुधार हुआ, उन्हें मशीन से हटाया गया और आखिरकार वो अपने दिल के सामान्य रूप से काम करने के साथ अस्पताल छोड़ने में सक्षम हो गई.
डॉ अग्रवाल ने टीओआई से कहा कि कोविड -19 ने दिखाया है कि वायरल इंफेक्शन शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है. वायरल मायोकार्डिटिस (Viral Myocarditis) की गंभीरता अलग-अलग हो सकती है, जिसमें हल्के मामलों में सिर्फ सामान्य बेचैनी होती है और पूरी तरह से ठीक हो जाती है.