कोरोना संक्रमित होने पर स्टेरॉयड का इस्तेमाल युवाओं के कूल्हे को खराब कर रहा है. इस समस्या के कारण कई युवाओं को कूल्हे का प्रत्यारोपण तक करवाना पड़ रहा है.
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कोरोना संक्रमित होने पर स्टेरॉयड का इस्तेमाल युवाओं के कूल्हे को खराब कर रहा है. इस समस्या के कारण कई युवाओं को कूल्हे का प्रत्यारोपण तक करवाना पड़ रहा है. देश के वरिष्ठ आर्थोपेडिक डॉ. कौशलकांत मिश्रा ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि पहले यह बीमारी बुढ़ापे की निशानी मानी जाती थी, लेकिन अब 10 से 40 साल के युवाओं को भी पकड़ रही है.
डॉ. मिश्रा ने बताया कि हिप ज्वाइंट डैमेज के नाम से जानी जाने वाली यह समस्या पहले युवाओं में महज पांच फीसदी होती थी, लेकिन अब इसका ग्राफ 25 फीसदी यानी पांच गुना तक बढ़ गया है. उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमित होने पर स्टेरॉयड लेने से हड्डियों में ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाता है, जिससे हड्डियों को नुकसान पहुंचता है. समय पर इलाज न मिलने पर यह समस्या कूल्हे के गलने तक भी पहुंच सकती है.
डॉ. कौशलकांत मिश्रा ने बताया कि कमर और टांगों में दर्द को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है. अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया जाता है तो यह हमेशा के लिए अपाहिज भी बना सकती है. उन्होंने बताया कि इस समस्या के इलाज के लिए कूल्हे का प्रत्यारोपण सबसे कारगर तरीका है.
गिनीज बुक में हैं डॉ. केके मिश्रा का नाम
डॉ. कौशलकांत मिश्रा का नाम गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है. उन्होंने 107 साल के मरीज के कूल्हे का प्रत्यारोपण किया था. इसके अलावा, उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड जर्नल में सबसे तेज गति 14 मिनट में कूल्हा प्रत्यारोपण और सबसे छोटे साढ़े पांच सेमी के चीरे से कूल्हा प्रत्यारोपण करने का भी रिकॉर्ड बनाया है.
सस्ता व तुरंत इलाज से विदेशी मरीजों की भीड़
डॉ. मिश्रा ने बताया कि भारत में सस्ता और तुरंत इलाज मिलने से विदेशी मरीज भी कूल्हे, कंधा, घुटना प्रत्यारोपण कराने आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि अमेरिका और कनाडा में मेडिकल सर्विस काफी महंगी है और इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. वहीं, भारत में डेढ़ मिनट में इलाज मिल जाता है और इलाज भी काफी सस्ता है. विदेशों में भारत से 20 गुना महंगा इलाज है. उन्होंने ने बताया कि अफगानिस्तान, अफ्रीका, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश के अलावा अमेरिका और कनाडा के भी मरीज कूल्हे, कंधा, घुटना प्रत्यारोपण कराने आ रहे हैं.