Trending Photos
Bihar News: बिहार में शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं. लगातार स्कूलों, कॉलेजों और साथ ही शिक्षकों के प्रशिक्षण संस्थानों का दौरा कर रहे केके पाठक की नजर शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त खामी और इसे दुरुस्त करने पर टिकी है. ऐसे में केके पाठक के इस एक्शन के चक्कर में बिहार के अनुदानित कॉलेजों के 200 से अधिक प्राचार्य आ गए हैं.
बिहार के शिक्षण संस्थानों को गूगल शीट पर सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश विभाग की तरफ से जारी किया गया था. ऐसे में यह सूचना उपलब्ध नहीं करानेवाले 200 से अधिक अनुदानित कॉलेज के प्राचार्यों पर केके पाठक का डंडा चला है और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश जारी किए गए हैं.
ये भी पढ़ें- जब केके पाठक ने शिक्षकों से कहा, 'देर से आना, जल्दी जाना' ए साहिब ये ठीक नहीं
ऐसे में विभाग की तरफ से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि राज्य सरकार के द्वारा जो अनुदान की राशि इन कॉलेजों को मिलती है उससे प्राचार्य और प्रभारी प्राचार्य वेतन नहीं पाएंगे. वहीं कॉलेज के आंतरिक स्त्रोत से जो धन की प्राप्ति होती है उनसे भी इनको वेतन नहीं मिलेगा.
अनुदानित कॉलेजों को लेकर स्पष्ट कर दें कि यहां के छात्रों के रिजल्ट के आधार पर ही राज्य सरकार के द्वारा इन कॉलेजों को अनुदान की राशि दी जाती है. विभाग के बार-बार निर्देश के बाद भी इन अनुदानित कॉलेजों के द्वारा जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई जिसके बाद विभाग की तरफ से उक्त कार्रवाई का आदेश जारी किया गया है.
गूगल शीट पर जिन भी निजी कॉलेजों या शिक्षण संस्थानों के द्वारा हर दिन की गतिविधि की जानकारी नहीं दी गई है उन सबके खिलाफ इस कार्रवाई का आदेश दिया गया है और ऐसे संस्थानों की संबद्धता भी रद्द की गई है. इसको लेकर शिक्षा विभाग की तरफ से इन कॉलेजों से संबंधित विश्वविद्यालयों को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया गया है. इसको लेकर सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को शुक्रवार को शिक्षा विभाग की तरफ से पत्र जारी किया गया है.
गूगल शीट पर जो जानकारी मांगी गई है उसके अनुसार कॉलेज में कुल कितने शिक्षक और विद्यार्थी पहुंचे. कितनी कक्षाएं इस दौरान चली, इसके साथ ही एक्सट्रा कैरिकुलम एक्टिविटी अगर हुई तो उसकी भी जानकारी देने की बात की गई है. जो हर दिन अपडेट करना है. ऐसे में विभाग ने जांच में पाया कि प्रदेश भर में कुल 300 से ज्यादा ऐसे संस्थान हैं जो इस तरह की सूचना दैनिक आधार पर मुहैया नहीं करा रहे हैं.