Lok Sabha Election: अगर नीतीश कुमार ने मारी पलटी तो बिहार में चारों खाने चित हो सकता है इंडी एलायंस
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2067964

Lok Sabha Election: अगर नीतीश कुमार ने मारी पलटी तो बिहार में चारों खाने चित हो सकता है इंडी एलायंस

Lok Sabha Election: बिहार में राजनीतिक सरगर्मियां नए साल की शुरुआत से ही तेज हो गई थीं, अब भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ऐसी बात कह दी है, जिससे इंडिया ब्लॉक को बड़ा झटका लग सकता है.

फाइल फोटो

पटना: Lok Sabha Election: बिहार में राजनीतिक सरगर्मियां नए साल की शुरुआत से ही तेज हो गई थीं, अब भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ऐसी बात कह दी है, जिससे इंडिया ब्लॉक को बड़ा झटका लग सकता है. एक इंटरव्यू में जब अमित शाह से सवाल पूछा गया कि नीतीश कुमार क्या एनडीए में शामिल हो सकते हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि ऐसा कोई प्रस्ताव आता है तो इस पर विचार किया जाएगा. अमित शाह का यह कहना था कि बिहार में जैसे उथल पुथल मच गई. लालू प्रसाद अपने बेटे तेजस्वी यादव को साथ लेकर मुख्यमंत्री निवास पहुंच गए और नीतीश कुमार से करीब 45 मिनट तक मुलाकात की. भाजपा ने अपने विधानमंडल दल की बैठक बुला ली. जेडीयू ने अपने विधायकों को पटना में ही रुकने का निर्देश जारी कर दिया. यही निर्देश जीतनराम मांझी ने अपने विधायकों के लिए जारी कर दिया. दिल्ली में उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान और जीतनराम मांझी की बैठक हुई. यह सब अनायास हुआ होगा, यह कहना अतिश्योक्ति हो सकती है. कहते हैं बिना आग के धुआं नहीं निकलता. अब धुआं निकला है तो साफ है कि आग भी कहीं न कहीं लगी होगी. 

ये भी पढ़ें- Ekadashi Vrat: एकादशी के दिन चावल खाने की क्यों है मनाही, क्या कहता है शास्त्र

ऐसे समय में जब राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर हैं और यह यात्रा कुछ ही दिनों में बिहार में एंट्री करने वाली है, तब अगर नीतीश कुमार इंडिया का साथ छोड़ देते हैं तो यह बहुत बड़ा झटका होगा. यह न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में इंडिया के पक्ष को कमजोर करने का काम करेगा. इंडिया में शामिल दलों को भी इस बात का अंदेशा है कि नीतीश कुमार के पलटी मारने से नुकसान हो सकता है, इसलिए दिल्ली से डी. राजा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मनाने के लिए पटना पहुंच जाते हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और विधायक दल के नेता शकील अहमद खान मुख्यमंत्री आवास पहुंचकर उन्हें मनाने की कोशिश करते हैं, लेकिन नीतीश कुमार हैं कि टस से मस नहीं हो रहे. 

दरअसल, नीतीश कुमार 19 दिसंबर को दिल्ली में हुई इंडिया की चैथी बैठक के बाद से ही नाराज बताए जा रहे हैं. इंडिया की चैथी बैठक में यह तय हो गया कि नीतीश कुमार को पीएम पद के लिए प्रोजेक्ट नहीं किया जाएगा. उसके बाद जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष ललन सिंह की छुट्टी कर दी गई और नीतीश कुमार ने ही खुद अध्यक्ष का पद संभाल लिया है. उसके बाद से जेडीयू में एक आवाज यह उभरी है कि जब प्रधानमंत्री पद के लिए इंडिया प्रोजेक्ट नहीं कर रहा है तो फिर भाजपा के साथ ही जाने में क्या बुराई है. बताया जा रहा नीतीश कुमार ने पिछले दिनों पटना में पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी. उस मुलाकात में एक निष्कर्ष यह निकलकर सामने आया कि राजद कार्यकर्ताओं से जेडीयू कार्यकर्ताओं का स्वाभाविक जुड़ाव नहीं हो पाता है. जेडीयू के कार्यकर्ता भाजपा के साथ जाना स्वाभाविक रूप से पसंद करते हैं.

एक सच्चाई यह भी है कि नीतीश कुमार ने एनडीए से नाता इसलिए तोड़ा था कि वे राष्ट्रीय पॉलिटिक्स में जाएंगे, जिसके लिए लालू प्रसाद यादव पहल करेंगे. और बिहार में तेजस्वी यादव सरकार की कमान संभालेंगे. नीतीश कुमार ने इसलिए राजद के साथ सरकार बनाने के कुछ दिनों बाद ही दिल्ली का दौरा किया था पर कांग्रेस की तत्कालीन कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें वो भाव नहीं दिया था, जिसकी लालसा नीतीश कुमार को थी. नीतीश कुमार तब मायूस हुए थे लेकिन उन्होंने अपनी कोशिशें जारी रखीं. पिछले साल 2023 में जब मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के अध्यक्ष बने, तब नीतीश कुमार को उन्होंने बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के अलावा ललन सिंह उस बातचीत में शामिल हुए. कांग्रेस से राहुल गांधी भी पहुंचे थे. 

बताया गया कि नीतीश कुमार को इस मुलाकात में सभी विपक्षी दलों से बातचीत करने का जिम्मा सौंपा गया. उसके बाद नीतीश कुमार कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, भुवनेश्वर आदि जगहों पर गए और क्षेत्रीय क्षत्रपों को एक टेबल पर आने के लिए मनाया. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इनकार कर दिया. उसके बाद ममता बनर्जी ने नीतीश कुमार को सलाह दी थी कि वे पटना में विपक्षी दलों की बैठक बुलाएं. नीतीश कुमार ने ममता की सलाह को माना और पटना में पहली बार विपक्षी दलों का बड़ा जमावड़ा हुआ. बैठक शुरू होने से पहले अधिकांश दलों के नेताओं ने नीतीश कुमार से मिलने से पहले लालू प्रसाद से मिलना और उनका कुशलक्षेम पूछना मुनासिब समझा, जिसको मीडिया में काफी सुर्खियां मिली थीं. 

पटना के बाद बेंगलुरू, उसके बाद मुंबई और फिर चैथे राउंड में दिल्ली में बैठक हुई थी. चौथे राउंड की बैठक काफी लेट से बुलाई गई थी, जिसको लेकर नीतीश कुमार ने नाराजगी भी जताई थी. कांग्रेस ने चैथे राउंड की बैठक तब बुलाई, जब मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ और राजस्थान के चुनाव में उसे भारी धक्का लगा और राजस्थान और छत्तीसगढ़ उसके हाथ से निकल गया. केवल तेलंगाना में वह सरकार बना पाई. अब पूरे देश में कांग्रेस केवल तीन राज्यों में अपने बूते सरकार में है और झारखंड, बिहार और तमिलनाडु में वह सहयोगी दलों के साथ सत्ता में है. खैर, चैथी बैठक में ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने अप्रत्याशित रूप से मल्लिकार्जुन खड़गे को पीएम पद के चेहरे और संयोजक के रूप में प्रस्तावित कर दिया. हालांकि तब अंतिम फैसला नहीं हो पाया, लेकिन यह बात नीतीश कुमार को चुभ गई और वे बैठक से निकलकर प्रेस कांफ्रेंस में शामिल नहीं हुए, बल्कि सीधा पटना के लिए रवाना हो गए. उसके बाद से नीतीश कुमार की नाराजगी को लेकर तमाम तरह की खबरें आती रही हैं. 

जब नीतीश कुमार ने इंडिया ब्लॉक के गठन की दिशा में प्रयास शुरू किया तो विपक्षी दलों के रणनीतिकारों का कहना था कि भाजपा को रोकने के लिए बिहार, यूपी, महाराष्ट्र और कर्नाटक में ठोस रणनीति बनानी होगी. रणनीतिकारों का कहना था कि बाकी राज्यों में भाजपा पहले से ही सेचुरेशन प्वाइंट पर है. 2019 के लोकसभा चुनाव में राजस्थान में वह 25 में 25, मध्य प्रदेश में 29 में 28, यूपी में 80 में से 64, महाराष्ट्र में 48 में से 41, कर्नाटक में 28 में 25, छत्तीसगढ़ में 11 में से 9, गुजरात में 26 में 26, हरियाणा में 10 में 10, हिमाचल प्रदेश में 4 में से 4, झारखंड में 14 में से 11, उत्तराखंड में 5 में से 5 सीटें भाजपा और सहयोगी दलों ने जीता था. रणनीतिकार यह मानकर चल रहे थे कि भाजपा जहां पिछले चुनाव में 100 प्रतिशत स्ट्राइक रेट के साथ है, वहां से कुछ प्लस तो होगा नहीं, नुकसान ही हो सकता है. इसलिए बिहार, महाराष्ट्र, यूपी और कर्नाटक पर फोकस अधिक किया गया था. अब अगर नीतीश कुमार एनडीए में शामिल होते हैं तो बिहार को इस लिस्ट से हटा देना ही ठीक रहेगा.

Trending news