विश्व पटल पर बजा बिहार का डंका, मुजफ्फरपुर की बेटी पहुंची ऑस्कर अवॉर्ड के सेमीफाइनल में, फिल्म 'चंपारण मटन' का छाया जलवा
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विश्व पटल पर बजा बिहार का डंका, मुजफ्फरपुर की बेटी पहुंची ऑस्कर अवॉर्ड के सेमीफाइनल में, फिल्म 'चंपारण मटन' का छाया जलवा

कहते हैं बिहार में प्रतिभा की कमी है लेकिन बिहार के युवक-युवतियां जिस तरीके से बिहार से शिक्षा ग्रहण करने के बाद देश ही नहीं विश्व के पटल पर अपना नाम रोशन कर रहे हैं उससे यह पता चलता है कि बिहार में प्रतिभा की कमी नहीं है.

(फाइल फोटो)

मुजफ्फरपुर: कहते हैं बिहार में प्रतिभा की कमी है लेकिन बिहार के युवक-युवतियां जिस तरीके से बिहार से शिक्षा ग्रहण करने के बाद देश ही नहीं विश्व के पटल पर अपना नाम रोशन कर रहे हैं उससे यह पता चलता है कि बिहार में प्रतिभा की कमी नहीं है. जहां एक और बिहार के छात्र चंद्रयान 3 से लेकर कई मिशन पर अपना परचम लहरा रहे हैं. वहीं आज फिर बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के मेहंदी हसन चौक की रहने वाली फलक खान देश ही नहीं बल्कि विदेश के पटल पर अपना परचम लहराने के लिए तैयार बैठी है. मुजफ्फरपुर शहर के मेहंदी हसन चौक निवासी प्रोफेसर ए आर खान की पुत्री फलक खान की फिल्म 'चंपारण मटन' ऑस्कर अवार्ड के रेस में शामिल हो चुकी है. जो कल्पना से परे हैं. 

मुजफ्फरपुर की फलक की फिल्म 'चंपारण मटन' ने ऑस्कर अवार्ड के सेमीफाइनल में अपनी जगह बना ली है. हम उस बेटी फलक खान की कहानी आपके सामने रख रहे हैं कि आज वह इस मुकाम पर कैसे पहुंची.फलक मुजफ्फरपुर के मुजफ्फरपुर इंजीनियरिंग कॉलेज एमआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद मुंबई गई और वहां पर उसने एमबीए की पढ़ाई पूरी की जहां से उसे फिल्म में काम करने और फिल्म बनाने का शौक हुआ तो उसने अपने परिवार वालों को यह बात बताई. उसके बाद उसके परिवार वालों ने पूरा सहयोग करने की बात कही उसके बाद फलक ने अपने मुजफ्फरपुर स्थित आवास से उसने छोटा सा स्टूडियो बनाकर फिल्म बनाने का काम शुरू किया और आज दर्जनों फिल्मों में काम करते हुए कई छोटी-छोटी फिल्म बनाई. फिलहाल वह बिहार के रोहतास जिले में एक फिल्म शूटिंग में शामिल है.

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फलक के पिता प्रोफेसर ए आर खान ने बताया फलक बचपन से ही क्रिएटिव थी और पढ़ाई के साथ-साथ फिल्मों में ज्यादा उसकी रूची थी. जब वह मुजफ्फरपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर एमबीए के लिए मुंबई गई और वहां से वह एमबीए पूरा करने के बाद फिल्मों में काम करने की इच्छा जताई तो उन्होंने खुद छोटे-छोटे फिल्म बनाने के लिए घर में ही एक छोटे से स्टूडियो का निर्माण कराया. उसके बाद यहां से उसने कई ऐसे फिल्म को तैयार किया जो देश में अपना परचम लहराने लगा. इसी बीच उसकी एक फिल्म 'चंपारण मटन' ऑस्कर के सेमीफाइनल में पहुंची जिससे उसके पिता ही नहीं उसके परिवार से लेकर सगे संबंधी सभी लोग खुश हैं. साथ ही एमआईटी कॉलेज के ऑफिसर वह भी उनके पिता को बधाई दे रहे हैं. 

मुजफ्फरपुर की बेटी फलक की फिल्म ‘चंपारण मटन’ऑस्कर यूएस, ऑस्ट्रिया, फ्रांस समेत कई देशों के बीच में भारत से अकेली यह फिल्म स्टूडेंट अकादमी अवॉर्ड के सेमीफाइनल में पहुंची है.बताया जा रहा है कि अवॉर्ड के लिए कई देशों से 1700 से अधिक फिल्मों का नॉमिनेशन हुआ था और उस बीच में भारत से चंपारण मटन ने सेमीफाइनल में जगह बना ली है.फलक के अभिनय से सजी फिल्म चंपारण मटन दुनियाभर में डंका बजा रही है.इसमें फलक की फिल्म नैरेटिव कैटेगरी में चुनी गई है.स्टूडेंट अकादमी अवॉर्ड फिल्म इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट और फिल्म मेकर के लिए होता है.यह ऑस्कर का ही एक विंग है और वर्ष 1972 से यह संस्था उत्कृष्ट फिल्मों को अवॉर्ड दे रही है.

(रिपोर्ट - मणितोष कुमार)

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