Son Bhandar Caves: बिहार के राजगीर का इतिहास काफी पुराना है. यहां घूमने के लिए ऐसे तो कई सारी जगहें हैं. कहा जाता है कि राजगीर एक ऐसी जगह भी है जहां सोने का भंडार है और इसमें इतना सोना है कि अगर ये बाहर आ जाए भारत की समृद्धि का प्रतिक बन सकता है.
राजगीर में स्थित सोन भंडार गुफा पर मिले शिलालेखों के अनुसार इसका निर्माण तीसरी या चौथी शताब्दी के आसपास हुई है. इस गुफा का संबंध जैन धर्म से है . हालांकि, कई इतिहासकारों का मानना है कि ये गुफा मौर्य साम्राज्य (319 से 180 ईसा पूर्व) के समय से भी हो सकती है.
सोन भंडार गुफाओं से जुड़ी कहानियों की मानें तो इसका निर्माण 2500 साल पहले हर्यक वंश के संस्थापक बिम्बिसार और उनकी पत्नी के दावार करवाया गया था. ऐसा माना जाता है कि इसी गुफा में रानी अपने गहने और सोना छिपाया करती थी.
कहा जाता है कि अजातशत्रु ने कई बार इस गुफा को खोलकर खजाना निकालने की कोशिश की, लेकिन वो असफल रहा. इस गुफा का रहस्य जानने के लिए अजातशत्रु ने अपने पिता सम्राट बिम्बिसार को भी कैद कर लिया था.
इस गुफा की जानकारी जब अंग्रेजों को हुई तो उन्होंने गुफा का दरवाजा तोड़ने के लिए इस पर कई तोप के गोले दागे, लेकिन चट्टान फिर भी नहीं टूटी. कहा जाता है कि आज भी गुफा पर अंग्रजो द्वारा चलाई गई गोलियों के निशान देखे जा सकते हैं.
सोनभंडार की मुख्य गुफा के स्ट्रकचर की अगर बात करें तो यह आयताकार है जिसमें नुकीली छत और त्रिकोणीय गेट बनाए गए हैं. सोनभंडार की गुफा बराबर की गुफाओं से मिलती जुलती है. गुफा के प्रवेश द्वार पर गुप्त लिपि में एक शिलालेख भी अंकित है. जिसके अनुसार, इस गुफा का निर्माण जैन मुनि वैरदेव द्वारा किया गया था.
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