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पटना : एक समय था जब बिहार के बारे में कहा जाता था कि यहां लालू और आलू को छोड़कर अब कुछ नहीं बचा है. खास तौर से जब राज्य का विभाजन हुआ और झारखंड के रूप में नया प्रदेश बना, तब से कहा जाता है कि बिहार में संसाधन के रूप में अब कुछ खास नहीं रह गया है. यहां की सरकार भी केंद्र सरकार के सामने यही रोना रोते हुए राज्य के लिए विशेष दर्जे की मांग करती आ रही है. लेकिन अब बिहार के लोगों के लिए खुशी का समय है, क्योंकि रोहतास और जमुई जिलों में लाखों टन खनिज भंडार की मौजूदगी का पता चला है. अब बिहार सरकार गैर वन क्षेत्रों में मिले चूना पत्थर, वैनेडियम युक्त मैग्नेटाइट इल्मेनाइट, मैग्नेटाइट और ग्लूकोनाइट जैसे खनिजों की नीलामी की तैयारी कर रही है. एक वरिष्ठ अधिकारी अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं खान संबंधी मामले की आयुक्त हरजोत कौर बमराह ने जानकारी दी कि राज्य सरकार नीलामी के लिए लेन देन सलाहकार के रूप में एसबीआई कैपिटल, एसबीआई कैप्स के साथ मिलकर काम करेगी. ये दोनों कंपनियां नीलामी की नियमों और शर्तों को लेकर भी सुझाव देगी.
हरजोत कौर बमराह ने बताया कि बिहार में अब तक का सबसे बड़ा खनिज भंडार मिला है. ऐसे खनिजों की खोज महत्वपूर्ण है. हमें जांच शुरू करने से पहले संबंधित अफसरों से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि ये भंडार वन क्षेत्रों में नहीं हैं. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि खान एवं भूविज्ञान विभाग ने जमुई में 6,000 करोड़ रुपये के आयरन ओर की नीलामी करने का भी फैसला किया है.
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बताया जा रहा है कि पिछले साल बिहार सरकार की ओर से जमुई जिले में मौजूद देश के सबसे बड़े स्वर्ण भंडार की जांच के लिए अनुमति देने का फैसला लिया गया था. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के सर्वे में जमुई जिले में 37.6 टन खनिज युक्त अयस्क के अलावा करीब 22.8 करोड़ टन सोने का भंडार होने की बात कही जा रही है. इससे पहले अतिरिक्त मुख्य सचिव सह खान आयुक्त हरजोत कौर बमराह ने बताया था कि सरकार जमुई में सोने के भंडार की जांच के लिए जीएसआई और राष्ट्रीय खनिज विकास निगम, एनएमडीसी सहित जांच एजेंसियों के साथ परामर्श कर रही है.