Women Reservation Bill: मोदी सरकार ने मंगलवार को नई संसद भवन में महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया. दूसरी तरफ इसे लेकर सियासत शुरू हो गई है.
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पटना: Women Reservation Bill: मोदी सरकार ने मंगलवार को नई संसद भवन में महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया. दूसरी तरफ इसे लेकर सियासत शुरू हो गई है. बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने महिला आरक्षण बिल के अंदर आरक्षण की मांग रख दी है.
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने मंगलवार को अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि आरक्षण के अंदर वंचित, उपेक्षित, खेतिहर एवं मेहनतकश वर्गों की महिलाओं की सीटें आरक्षित हो. मत भूलो, महिलाओं की भी जाति है. उन्होंने आगे लिखा कि अन्य वर्गों की तीसरी, चौथी पीढ़ी की बजाय वंचित वर्गों की महिलाओं की अभी पहली पीढ़ी ही शिक्षित हो रही है, इसलिए इनका आरक्षण के अंदर आरक्षण होना अनिवार्य है.
महिला आरक्षण के अंदर वंचित, उपेक्षित,खेतिहर एवं मेहनतकश वर्गों की महिलाओं की सीटें आरक्षित हो।मत भूलो, महिलाओं की भी जाति है।
अन्य वर्गों की तीसरी/चौथी पीढ़ी की बजाय वंचित वर्गों की महिलाओं की अभी पहली पीढ़ी ही शिक्षित हो रही है इसलिए इनका आरक्षण के अंदर आरक्षण होना अनिवार्य है।
— Rabri Devi (@RabriDeviRJD) September 19, 2023
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी सरकारें महिला आरक्षण का बिल सदन में लेकर आती रही हैं. राजद महिला आरक्षण का विरोध करती रही है. कई दल इस बिल के समर्थन में नजर आ रहे हैं.
वहीं केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने आज महिला आरक्षण को लेकर बड़ी बात कही है. उन्होंने कहा कि देश के नए संसद भवन में सदन की कार्रवाई के पहले दिन महिला आरक्षण से जुड़ा ऐतिहासिक ‘नारी शक्ति वंदन अधिनयम विधेयक’ लोकसभा में सरकार द्वारा पेश किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अमृतकाल का भारत एक नए पड़ाव की तरफ बढ़ चुका है. इस विधेयक के सदन से पारित होने के बाद महिला सशक्तीकरण और प्रतिनिधित्व से जुड़े दशकों से लंबित विषय का समाधान होगा. इससे लोकसभा तथा दिल्ली समेत राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण संभव होगा. इसमें एससी-एसटी कोटे के अंतर्गत भी 33% आरक्षण का प्रावधान है.
उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण को लेकर कांग्रेस और उसके घमंडिया गठबंधन के साथी दलों की नीयत कभी साफ़ नहीं रही. उनके लिए यह मात्र चुनावी वोट बैंक का साधन मात्र रही है. उन्होंने इसे दशकों तक अटकाए रखा. जब-जब यह विधेयक सदन में आया राष्ट्रीय जनता दल, जेडीयू, एनसीपी तथा सपा जैसे दलों ने खुलकर इसका विरोध किया.
इनपुट-आईएएनएस के साथ
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